आप को विदेश से 7 करोड़ मिलेः ईडी, पुराना मामला फिर उठायाः आप
केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी (आप) ने 2014 और 2022 के बीच विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए), जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए) का उल्लंघन करते हुए 7.08 करोड़ रुपये विदेशी फंड प्राप्त किए। ईडी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) को यह यह रिपोर्ट भेजी है। आप ने इसे पुराना मामला बताया है।
ईडी के डोजियर में आरोप लगाया गया है कि आप को यह फंड अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और ओमान सहित देशों के दानदाताओं ने भेजा था। बता दें कि जब यह धन आप को मिला था, तब एफसीआरए कानून इतना सख्त नहीं था। यह जानकारी भी उल्लेखनीय है कि सिर्फ आप ही नहीं खुद भाजपा, कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों को विदेश से चंदे के रूप में फंड मिलता रहा है। कई सारे एनआरआई तो इन राजनीतिक दलों के सदस्य हैं और अच्छी खासी रकम भेजते रहे हैं।
ईडी ने एमएचए को बताया है कि आप और उसके सदस्यों ने विदेशी फंड संग्रह में कई अनियमितताएं की हैं। आरोपों में व्यक्तिगत लाभ के लिए फंड का दुरुपयोग शामिल है, विशेष रूप से 2016 में कनाडा में एक फंड रेजिंग कार्यक्रम के दौरान आप विधायक दुर्गेश पाठक पर तमाम आरोप लगे थे।
ईडी के मुताबिक जांच के दौरान प्राप्त दस्तावेज़ कथित तौर पर इन आरोपों की पुष्टि करते हैं, जिनमें अनिकेत सक्सेना, कुमार विश्वास, कपिल भारद्वाज और दुर्गेश पाठक जैसे आप नेताओं और पदाधिकारियों के बीच ईमेल का आदान-प्रदान हुआ था। जांच से पता चला है कि अमेरिका और कनाडा में अभियानों के जरिए फंड जुटाया गया। जिसमें राजनीतिक दलों को विदेशी चंदे पर एफसीआरए प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए आप के खातों में दानदाताओं की पहचान छिपाई गई।
ईडी ने एमएचए को बताया है कि कई दानदाताओं ने आप को फंड देने के लिए एक ही पासपोर्ट नंबर, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया। यानी एक दस्तावेज को कई नामों से फंड दिया गया। ईडी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को देने वाले के नाम, मूल देश, पासपोर्ट नंबर, दान की गई राशि, दान के तरीके और प्राप्तकर्ता के बैंक खाता नंबर आदि भेजे हैं।
ईडी ने आप की ओवरसीज इंडिया शाखा की भी जांच की है। आप ओवरसीज इंडिया ने कथित तौर पर विदेशी धन जुटाने के लिए अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में लोगों को जोड़ा था। एजेंसी का दावा है कि 2016 में आप ओवरसीज इंडिया के लिए विदेशी दान में 50 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया था।
ईडी का आरोप है कि कनाडाई नागरिकों से उनकी ईमेल आईडी और मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल करके कुल 51.15 लाख रुपये का दान प्राप्त किया गया। हालांकि, ईडी का आरोप है कि आप ने एफसीआरए और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन करते हुए इन दानदाताओं की पहचान छिपाई है।
2016 में कनाडा में आप द्वारा आयोजित एक फंड रेजिंग कार्यक्रम के दौरान, आप ओवरसीज इंडिया के समन्वयक अनिकेत सक्सेना और आप ओवरसीज इंडिया के तत्कालीन संयोजक कुमार विश्वास के बीच ईमेल आदान-प्रदान हुआ। हालांकि कुमार विश्वास अब आप में नहीं हैं।
ईडी के मुताबिक उनके बीच हुई बातचीत से पता चला कि दुर्गेश पाठक और कपिल भारद्वाज, जो उस समय आप के सदस्य थे, ने अनिकेत को एक फंड रेजिंग कार्यक्रम के दौरान जमा की गई 29,000 कनाडाई डॉलर का फंड भगवंत तूर के जरिए सीधे दुर्गेश पाठक और कपिल भारद्वाज को ट्रांसफर करने का निर्देश दिया था।
ईडी के मुताबिक 22 नवंबर, 2015 को टोरंटो में आप द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में, जिसमें दुर्गेश पाठक ने भाग लिया, 15,000 कनाडाई डॉलर का फंड आया। हाथ से लिखी डेटा शीट, जिसमें दानकर्ताओं और उनके संबंधित योगदान का विवरण शामिल है, कनाडा में पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा ईमेल के जरिए आप ओवरसीज इंडिया को भेजी गई थी। ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि जांच करने पर यह पाया गया कि हाथ से लिखी डेटा शीट में दर्ज इन दानदाताओं की पहचान आप द्वारा दिए गए आधिकारिक रिकॉर्ड से मेल नहीं खाती।
आम आदमी पार्टी का जवाब
आप ने सोमवार को ईडी के आरोपों का जवाब दिया। दिल्ली की मंत्री आतिशी ने कहा, ''मैं भाजपा को बताना चाहती हूं कि जब से आप बनी है, तब से उसने पूरी पारदर्शिता के साथ एक-एक रुपये का चंदा लिया है और एक-एक रुपये के चंदे का हिसाब दिया है। चुनाव आयोग, आयकर विभाग, देश की हर संस्था को पूरी पारदर्शिता...से जानकारी दी है। आज जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे पुराने हैं। पहले ही ईडी, सीबीआई, एमएचए, चुनाव आयोग को जवाब दिया जा चुका है।' आप के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) संदीप पाठक ने भाजपा पर पुराना मुद्दा उठाने का आरोप लगाते हुए कहा कि गृह मंत्रालय ने 2015 में दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में कहा था कि आप की फंडिंग में कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने कहा, ''यह मुद्दा पुराना है और ख़त्म हो चुका है, सवाल उठता है कि भाजपा द्वारा आज फिर से यह मुद्दा क्यों उठाया जा रहा है।''