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आप सांसद राघव चड्ढा का राज्यसभा से निलंबन रद्द

आप सांसद राघव चड्ढा का राज्यसभा से निलंबन रद्द

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को आप सांसद राघव चड्ढा का राज्यसभा से निलंबन रद्द कर दिया। जानिए पूरी कहानीः

भाजपा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने आप सांसद राघव चड्ढा का निलंबन रद्द कर दिया।

निलंबन वापस होने के बाद AAP सांसद राघव चड्ढा ने कहा- "11 अगस्त को मुझे राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था। मैं अपने निलंबन को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया और अब 115 दिनों के बाद मेरा निलंबन रद्द कर दिया गया है... मुझे खुशी है कि मेरा निलंबन वापस ले लिया गया है और मैं सुप्रीम कोर्ट और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को धन्यवाद देना चाहता हूं...।''


आप सांसद राघव चड्ढा को अगस्त में राज्यसभा से तब तक के लिए निलंबित कर दिया गया था जब तक कि विशेषाधिकार समिति उनके मामले में फ़ैसला न दे दे। राघव चड्ढा पर राज्यसभा में दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव में पांच सांसदों के जाली हस्ताक्षर करने के आरोप हैं। चार राज्यसभा सांसदों ने दावा किया था कि चड्ढा ने 7 अगस्त को एक प्रस्ताव में उनकी अनुमति के बिना उनका नाम शामिल किया था। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इसकी जांच के लिए विशेषाधिकार समिति को भेजा था।

सांसद सस्मित पात्रा, एस फांगनोन कोन्याक, एम थंबीदुरई और नरहरि अमीन ने चड्ढा पर उनसे पूछे बिना उनका नाम सदन के पैनल में जोड़ने का आरोप लगाया था। हालांकि आप ने बीजेपी पर चड्ढा को 'जानबूझकर फंसाने की कोशिश' करने का आरोप लगाया था। पार्टी ने कहा था कि राघव चड्ढा के खिलाफ 'फर्जी हस्ताक्षर' के आरोप 'झूठे और राजनीति से प्रेरित' थे। इसने भाजपा पर पार्टी के खिलाफ बोलने के लिए चड्ढा को निशाना बनाने का आरोप लगाया था।

उच्च सदन ने सदन के नेता पीयूष गोयल द्वारा राघव चड्डा को निलंबित करने के लिए प्रस्ताव पारित किया था। गोयल ने आप नेता के 'अनैतिक आचरण की आलोचना की और इसे 'नियमों की अपमानजनक अवहेलना' बताया था।

राघव चड्ढा ने उस समय अपनी सफाई एक उदाहरण के जरिए भी पेश की थी। उन्होंने कहा था- "मैंने 10 लोगों को Birthday Party का Invitation दिया। 8 लोगों ने स्वीकार किया, 2 लोगों ने कहा कि तेरी हिम्मत कैसे हुई Invite करने की उसी तरह मैंने समिति में शामिल करने के लिए न्यौता दिया था, हस्ताक्षर थोड़ी दिए थे।"

दरअसल, ये सारा मामला दिल्ली सेवा विधेयक से जुड़ा है। इसे लेकर केंद्र सरकार विवादों में आ गई थी। राघव चड्ढा ने संसद में दिल्ली सेवा विधेयक पर बहस के दौरान मोदी सरकार पर तीखा हमला किया था। उन्होंने इस विधेयक को चुनी हुई सरकार को कमजोर करने की कोशिश क़रार दिया था। उन्होंने कहा था कि यह विधेयक अफसरशाही को बढ़ावा देता है और एलजी को सारी शक्तियाँ देता है। 

इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि बीजेपी अपने ही नेता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की राह से भटक रही है। ये दोनों नेता दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करते रहे थे। चड्ढा ने इस विधेयक को समर्थन करने वालों को चेताते हुए राहत इंदौरी की पंक्तियाँ दोहराईं- 'लगेगी आग तो आएँगे कई घर जद में...'।

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