आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक अमानतुल्लाह खान को कोर्ट से जमानत मिलने पर पार्टी इसे सत्य के जीतने का दावा कर रही है। आप प्रमुख केजरीवाल ने इसे बहुत बड़ी उपलब्धि के तौर पर लिया। लेकिन क्या वाकई यह सत्य की जीत है। सीबीआई के विशेष जज विकास ढुल ने फैसले में जो टिप्पणियां की हैं, वो बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। उन टिप्पणियों से लगता है कि जांच एजेंसियां किस तरह सारा मामला बनाती हैं। कोर्ट की टिप्पणियों से बीजेपी के नेता भी शर्मसार होंगे, क्योंकि उनकी शिकायत पर कार्रवाई हुई थी और उन्होंने ही सनसनीखेज आरोप लगाए थे।
अमानतुल्लाह खान को भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने 16 सितंबर को गिरफ्तार किया था। एफआईआर के मुताबिक, उन पर वक्फ बोर्ड के चेयरमैन के रूप में काम करते हुए सभी नियमों और सरकारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए 32 लोगों को भर्ती करने का आरोप लगा था। इसके अलावा, एसीबी ने आरोप लगाया था कि बतौर चेयरमैन अमानतुल्लाह ने वक्फ बोर्ड की कई संपत्तियों को अवैध रूप से किराए पर दिया और दिल्ली सरकार से मिलने वाली ग्रांट और वक्फ बोर्ड के धन का दुरुपयोग किया। अमानतुल्लाह खान पर आरोप था कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों को कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया था।
लाइव लॉ और इंडियन एक्सप्रेस की खबरों के मुताबिक विशेष सीबीआई जज विकास ढुल ने जमानत देते हुए टिप्पणी की कि अमानतुल्लाह की किसी भी गतिविधि से ऐसी बात सामने नहीं आई कि उनकी वजह से वक्फ बोर्ड या सरकार को आर्थिक नुकसान हुआ हो। इस संबंध में सबूत पेश नहीं किए जा सके। उन पर जो आरोप लगाए गए वो गंभीर किस्म के नहीं हैं। रिश्तेदारों को नौकरी देने का कोई सबूत पेश नहीं किया गया। जिन पांच रिश्तेदारों को कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी दी गई, उनके बारे में भी दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत या मटीरियल नहीं है कि इन भर्ती कर्मचारियों में से किसी ने रोजगार हासिल करने के लिए आरोपी को कोई रिश्वत दी थी। रिकॉर्ड में कोई सामग्री भी नहीं है जो यह बताती हो कि इन कर्मचारियों ने अपना वेतन चेयरमैन को सौंप दिया था। ये भी सबूत नहीं दिया गया कि वे नौकरी के लिए योग्य नहीं थे।
जज विकास ढुल ने कहा कि यह कहना कि 32 कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को रखकर वेतन भुगतान पर 3.20 करोड़ रुपये खर्च करके हेराफेरी की गई, गलत आरोप है। वक्फ बोर्ड के फंड पर चेयरमैन का अलग से कोई अधिकार नहीं है। यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है कि वक्फ बोर्ड द्वारा वक्फ फंड में प्राप्त सहायता ग्रांट के रूप में मिली थी। जज ने यह भी कहा कि अमानतुल्लाह खान को अब तक 25 में से 20 मामलों में बरी किया जा चुका है। यह बात ध्यान में रखना होगा।
जज ने कहा कि जहां तक वक्फ संपत्तियों से संबंधित किरायेदारी का मामला है, रेकॉर्ड बता रहे हैं कि राजकोष को कोई प्रथम दृष्टया कोई नुकसान नहीं हुआ है। वक्फ बोर्ड की जिन संपत्तियों को अमानतुल्लाह के कार्यकाल में किराये पर चढ़ाया गया, उनका किराया बोर्ड के रिजर्व प्राइस से बहुत ज्यादा था। सबसे खास बात यह है कि वो सारी संपत्तियां जितने किराये पर पहले से थीं, इनके कार्यकाल में ज्यादा किराये पर या किराया बढ़ाकर चढ़ाई गईं। इससे वक्फ बोर्ड या सरकार को नुकसान नहीं, फायदा हुआ है।
बहरहाल, आम आदमी पार्टी में इस आदेश पर खुशी का माहौल है। जमानत पर ही जज की टिप्पणियों को पार्टी ने सर्टिफिकेट मान लिया है। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने गुरुवार 29 सितंबर को अपने ट्वीट में कहा - सत्यमेव जयते। लेकिन पार्टी चीफ अरविन्द केजरीवाल ने लंबी टिप्पणी की।
केजरीवाल ने ट्वीट में लिखा - अमानतुल्लाह खान को आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए एक फर्जी मामले में गिरफ्तार किया गया था। राज्य के लोग हर समय बदले की राजनीति में लिप्त बीजेपी की तारीफ नहीं कर रहे हैं। बीजेपी दिल्ली में फर्जी जांच करती रही, जबकि गुजरात उनके हाथ से फिसल गया। आज 75 साल बाद लोगों को अपनी समस्याओं के समाधान की जरूरत है। लोगों में बड़ी बेचैनी है। जबकि बीजेपी 24 घंटे बदले की राजनीति करती है।
आप के बाकी नेता, विधायक, सांसद भी खान की जमानत और जज की टिप्पणी पर बहुत खुश नजर आ रहे हैं। क्योंकि उसके तमाम नेताओं पर करप्शन के आरोप लग रहे हैं। कई मामलों में जांच चल रही है। उधर, खान को जमानत मिलने के बाद बीजेपी में सन्नाटा पसर गया है। अमानतुल्लाह खान की गिरफ्तारी के फौरन बाद तमाम बीजेपी नेताओं ने खान पर तमाम तरह के गंभीर आरोप लगाए थे। यहां तक के बीजेपी के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने भी टिप्पणियां की थीं। खान के बारे में कई मीडिया रिपोर्टों में लिखा गया था कि जैसे वो दिल्ली के ओखला इलाके में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का संचालन कर रहे हों। अभी तक बीजेपी ने खान की जमानत पर कोई अधिकृत प्रतिक्रिया नहीं दी है।