दिल्ली सेवा बिल- लगेगी आग तो आएँगे कई घर जद में: राघव चड्ढा
आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने आज संसद में दिल्ली सेवा विधेयक पर बहस के दौरान मोदी सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने इस विधेयक को चुनी हुई सरकार को कमजोर करने की कोशिश क़रार दिया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक अफसरशाही को बढ़ावा देता है और एलजी को सारी शक्तियाँ देता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बीजेपी अपने ही नेता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की राह से भटक रही है। ये दोनों नेता दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करते रहे थे। चड्ढा ने इस विधेयक को समर्थन करने वालों को चेताते हुए राहत इंदौरी की पंक्तियाँ दोहराईं- 'लगेगी आग तो आएँगे कई घर जद में...'।
आप नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा इस तथ्य पर प्रतिक्रिया दे रही है कि वे दिल्ली में लगातार कई चुनाव हार गए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वास्तव में वे संघवाद का उल्लंघन कर रहे हैं और संवैधानिक संशोधन विधेयक पारित करने की बाधा को पार किए बिना संविधान को बदल रहे हैं।
राघव चड्ढा ने आगे कहा कि बीजेपी शुरू से ही दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करती रही है। उन्होंने बीजेपी के वो पुराने मेनिफेस्टो भी दिखाए, जिसमें दिल्ली बीजेपी ने दिल्ली पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की बात कही है। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी सहित बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि उन्होंने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए बहुत संघर्ष किया है।
उन्होंने कहा, 'ये बिल राजनीतिक धोखा और संवैधानिक पाप है। केंद्र सरकार ने यह बिल लाकर लाल कृष्ण अडवाणी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, मदन लाल खुराना का अपमान किया है।' चड्ढा ने लोकसभा में अमित शाह के पंडित जवाहरलाल नेहरू वाले बयान का ज़िक्र कर अमित शाह को नसीहत दी। राघव चड्ढा ने कहा कि आप नेहरूवादी मत बनिए, आप तो बस आडवाणीवादी बनिए।
इससे पहले कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने दिल्ली सेवा विधेयक पर केंद्र को समर्थन देने की घोषणा करने वाले राजनीतिक दलों को चेतावनी देने के लिए जर्मन धर्मशास्त्री मार्टिन नीमोलर की पंक्तियों को उद्धृत किया। उन्होंने कहा, 'हमें सामूहिक रूप से इसका विरोध करना चाहिए क्योंकि एक दिन यह संघवाद आपके दरवाजे पर दस्तक दे सकता है। सबका नंबर आएगा।' इसके बाद सिंघवी ने नीमोलर के हवाले से कहा, "पहले वे समाजवादियों के लिए आए, और मैं इसलिए नहीं बोला क्योंकि मैं समाजवादी नहीं था। फिर वे ट्रेड यूनियनवादियों के लिए आए, और मैं नहीं बोला क्योंकि मैं ट्रेड यूनियनवादी नहीं था। तब वे यहूदियों के लिये आये, और मैं कुछ न बोला, क्योंकि मैं यहूदी नहीं था। फिर वे मेरे लिये आये, और मेरी ओर से बोलनेवाला कोई न रहा।"
दिल्ली में नौकरशाहों पर नियंत्रण मज़बूत करने वाला यह विधेयक यदि क़ानून बनता है तो दिल्ली अध्यादेश की जगह लेगा। इस अध्यादेश को केंद्र राष्ट्रीय राजधानी में आम आदमी पार्टी सरकार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद ले आया था। विधेयक को केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में पेश किया था और गुरुवार को वह पारित हो गया था। लोकसभा में विधेयक पर जब वोटिंग की बारी आई थी तब विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन ने इसके विरोध में वॉकआउट किया था।