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चंडीगढ़ पर दावे की लड़ाई? भगवंत मान बोले- हक के लिए मज़बूती से लड़ेगा पंजाब

चंडीगढ़ पर दावे की लड़ाई? भगवंत मान बोले- हक के लिए मज़बूती से लड़ेगा पंजाब

बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और आम आदमी पार्टी की लड़ाई दिल्ली के बाद अब पंजाब पहुँच गई है। जानिए, केंद्र ने क्या कहा है और पंजाब के नये मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रतिक्रिया में क्या कहा। 

पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार और केंद्र की बीजेपी सरकार अब आमने सामने आ गई हैं। यह विवाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों को केंद्र सरकार के लाभों का विस्तार करने की घोषणा पर हुआ है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। मान की आम आदमी पार्टी ने भी कहा है कि यह क़दम बीजेपी की घबराहट का नतीजा है।

मान ने सोमवार को अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि पंजाब सरकार चंडीगढ़ पर अपने वास्तविक दावे के लिए दृढ़ता से लड़ेगी। मान ने केंद्र सरकार पर अन्य राज्यों और सेवाओं के अधिकारियों को चंडीगढ़ प्रशासन में लाकर पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया।

उनकी यह प्रतिक्रिया तब आई है जब अमित शाह ने रविवार को कहा था, 'केंद्र शासित प्रदेश में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु अब 58 से 60 वर्ष हो जाएगी और महिला कर्मचारियों को अब दो साल की चाइल्ड केयर लीव मिलेगी जो वर्तमान में एक वर्ष है।' उन्होंने यह घोषणा करते हुए कहा कि इससे चंडीगढ़ के कर्मचारियों को बड़े पैमाने पर लाभ होगा। गृहमंत्री ने इसे चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों की लंबे समय से लंबित मांग को पूरा किया जाना क़रार दिया। 

आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि बीजेपी आप के उदय से 'डर' गई है।

सिसोदिया ने ट्वीट किया, '2017 से 2022 तक कांग्रेस ने पंजाब पर शासन किया। अमित शाह ने तब चंडीगढ़ की शक्तियाँ नहीं छीनी थीं। जैसे ही आप ने पंजाब में सरकार बनाई, अमित शाह ने चंडीगढ़ की सेवाएं लीं। आप के बढ़ते पदचिन्हों से बीजेपी डरी हुई है।'

आप ने पहले केंद्र पर दिल्ली में नौकरशाहों को नियंत्रित करने का प्रयास करने का आरोप लगाया था। मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। दिल्ली में तो आम आदमी पार्टी और केंद्र की बीजेपी सरकार के बीच तनातनी हमेशा बनी ही रही है।

आप के अलावा पंजाब में सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस और अकाली दल ने भी बीजेपी की इस घोषणा पर निशाना साधा। एक ट्वीट में अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा, 'चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्र सरकार के नियम लागू करने का गृह मंत्रालय का निर्णय पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की भावना का उल्लंघन है और इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।'

एक अन्य ट्वीट में कहा गया, 'इसका मतलब पंजाब को हमेशा के लिए पूंजी के अधिकार से वंचित करना है। बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड) के नियमों में बदलाव के बाद यह पंजाब के अधिकारों के लिए एक और बड़ा झटका है।'

कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने कहा कि उनकी पार्टी भी इस फैसले की निंदा करती है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'हम चंडीगढ़ के नियंत्रण पर पंजाब के अधिकारों को हड़पने के बीजेपी के तानाशाही फ़ैसले की कड़ी निंदा करते हैं। यह पंजाब का है और यह एकतरफा निर्णय न केवल संघवाद पर सीधा हमला है, बल्कि यूटी पर पंजाब के 60 प्रतिशत नियंत्रण पर भी हमला है।' 

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