श्रद्धा वालकर की हत्या 18 मई को हुई थी। आरोपी आफताब शव को 35 टुकड़े कर शवों को कुछ दिनों में ही ठिकाने भी लगा चुका था। चूँकि श्रद्धा घर छोड़कर भागी थी तो घर वाले संपर्क में थे नहीं। तो सवाल है कि फिर हत्या का पता कैसे चलता? क़रीब छह महीने बाद अब कैसे हत्या की वह घटना उजागर हुई?
आइए, हम आपको बताते हैं कि हत्या के मामले का खुलासा कैसे हुआ। लेकिन यह जानने से पहले यह जान लें कि यह पूरा मामला क्या है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार साल 2019 में आफताब और श्रद्धा का रिश्ता शुरू हुआ था। लेकिन उनके परिवारों द्वारा विरोध करने के बाद वे दोनों पालघर से मुंबई शिफ्ट हो गए थे और साथ रहने लगे थे। बाद में वे दिल्ली में चले गए। इस साल महरौली के छतरपुर पहाड़ी इलाक़े में 15 मई को एक वन रूम फ्लैट किराए पर लिया। यहीं पर वह घटना हुई।
इसी दिल्ली में अब श्रद्धा की हत्या का खुलासा हुआ है। पुलिस का कहना है कि उसकी हत्या तो उसके प्रेमी आफताब द्वारा ही गला घोंट कर कर दी गई थी, लेकिन उसने इस अपराध से बचने के लिए एक तरकीब निकाली। यह तरकीब थी शव को टुकड़ों में काटने की, फ्रीज़ में स्टोर कर एक-एक टुकड़े को ठिकाने लगाने की।
हत्या को छुपाने की कोशिश में 18 मई को श्रद्धा की हत्या के बाद आफताब ने उसके इंस्टाग्राम अकाउंट को लॉगइन किया और उसके दोस्तों को मैसेज भेजे जिससे उन्हें यह लगे कि श्रद्धा अभी भी जिंदा है। आफताब ने श्रद्धा के क्रेडिट कार्ड का बिल भी चुका दिया जिससे कंपनियां श्रद्धा के मुंबई वाले पते पर कांटेक्ट न कर सकें।
लेकिन हत्या की वह वारदात छुप नहीं सकी। श्रद्धा के दोस्तों की खोजबीन से वह राज खुल ही गया। उसके एक दोस्त ने सबसे पहले सितंबर में महाराष्ट्र के पालघर इलाक़े में रहने वाले उसके परिवार को उसकी 'लापता' स्थिति के बारे में बताया था। इसके बाद ही इस मामले में हरकत हुई और इस हत्या का खुलासा हुआ।
श्रद्धा के दोस्त लक्ष्मण नादर ने श्रद्धा के परिवार वालों से संपर्क किया था। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार श्रद्धा और आफताब के बीच कई बार झगड़े होते थे और बहस होती थी। नादर ने कहा, 'एक बार उसने मुझसे वाट्सऐप पर संपर्क किया और उसे अपने आवास से बचाने के लिए कहा। उसने कहा कि अगर वह उस रात उसके (आफताब) साथ रही तो वह उसे मार डालता।'
रिपोर्ट के अनुसार नादर ने आगे कहा कि उसने कुछ अन्य दोस्तों के साथ, छतरपुर में श्रद्धा को उसके आवास से बचाया और यहाँ तक कि आफताब को चेतावनी दी कि वे पुलिस से संपर्क करेंगे। उन्होंने कहा, 'आफताब के प्रति श्रद्धा की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए हम पुलिस के पास नहीं गए।'
नादर ने कहा कि दो महीने तक श्रद्धा से संपर्क नहीं होने पर उन्हें उसकी चिंता होने लगी और तब उन्होंने परिवार से संपर्क किया।
इंडिया टुडे से बातचीत में नादर ने कहा, 'उसने मेरे किसी भी संदेश का जवाब नहीं दिया। आखिरकार, इससे मुझे चिंता होने लगी। मैंने श्रद्धा के बारे में एक दूसरे को जानने वाले दोस्तों और अन्य लोगों से पूछना शुरू कर दिया। उसके ठिकाने का पता नहीं लगने के बाद मैंने आखिरकार उसके भाई को बताया कि कुछ महीनों से उससे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है और हमें पुलिस से मदद लेनी चाहिए।'
इस बात का पता चलने पर श्रद्धा के पिता विकास वालकर ने मुंबई पुलिस से संपर्क किया। पुलिस के मुताबिक़, कुछ महीने पहले दोनों के रिश्ते में खटास आ गई थी। पुलिस का कहना है कि जब उसने आरोपी को शादी करने के लिए कहा तो आफताब नाराज़ हो गया था।
जाँच के दौरान दिल्ली पुलिस आखिरकार आफताब तक पहुंच गई, उससे पूछताछ की और फिर उसे गिरफ्तार कर लिया। आखिरकार उसने उस अपराध को कबूल भी कर लिया। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आफताब ने पुलिस को बताया है कि श्रद्धा उस पर शादी करने के लिए दबाव बना रही थी और इसे लेकर उन दोनों के बीच लगातार लड़ाई झगड़े हो रहे थे।
आफताब ने पुलिस को बताया कि 18 मई को भी उन दोनों के बीच बहस हुई। उस दिन आफताब ने श्रद्धा की गला दबाकर हत्या कर दी। इसके बाद आफताब ने धारदार हथियार से श्रद्धा के शरीर के 35 टुकड़े कर दिए।