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खून की जगह मौसमी जूस चढ़ाने के मामले में 10 लोग गिरफ्तार

खून की जगह मौसमी जूस चढ़ाने के मामले में 10 लोग गिरफ्तार

क्या अस्पताल या ब्लड बैंक से किसी मरीज को ख़ून की जगह मौसमी का जूस चढ़ाने जैसी लापरवाही बरती जा सकती है? क्या इसकी कल्पना भी की जा सकती है?

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक मरीज के साथ कथित तौर पर भयावह लापरवाही किए जाने का मामला सामने आया है। वहाँ के एक निजी अस्पताल में एक डेंगू मरीज को कथित तौर पर प्लेटलेट्स वाले ख़ून के बजाय फलों का जूस चढ़ा दिया गया। मरीज के परिजनों का आरोप है कि जूस चढ़ाने के बाद मरीज की मौत हो गई। जिला प्रशासन द्वारा इस घटना की प्रारंभिक जांच के बाद अस्पताल को सील कर दिया गया है। कहा गया है कि अधिकारियों ने इस मामले में चूक का खुलासा किया है।

इस मामले में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें एक शख्स आरोप लगा रहा है कि डेंगू के मरीज को प्लाज्मा की जगह मौसमी का जूस चढ़ा दिया गया।

उस वीडियो में एक शख्स ब्लड बैंक लिखा एक बैग दिखाता है और कहता है कि प्रयागराज में कुछ सिरफिरे लोग हैं या फिर अस्पताल से जुड़े हुए कर्मचारी हैं या लोग हैं जो जान से खिलवाड़ करते हैं। वह शख्स वीडियो में आगे कहता है कि ख़ून के नाम पर मौसमी का जूस बेच देते हैं और इसे मरीज को चढ़ा भी दिया जाता है। वह कहते हैं कि ऐसे में लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। 

इस मामले में मरीज के परिवार ने राज्य सरकार से जिम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई करने की अपील की है।

पुलिस ने इस मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने कहा है कि ये लोग ब्लड बैंकों से प्लाज्मा लेते थे और उन्हें दोबारा पैक करके प्लेटलेट्स के रूप में बेच देते थे। बताना होगा कि डेंगू के मामलों में प्लेटलेट्स की मांग अधिक होती है। पुलिस अफसर शैलेश पांडे ने बताया कि हालांकि पूछताछ के दौरान गिरफ्तार किए गए लोगों ने कहा है कि ऐसा नहीं हो रहा था और रक्त प्लाज्मा को ही प्लेटलेट्स के रूप में दिया जा रहा था। 

पुलिस अफसर ने कहा कि हाल के दिनों में डेंगू तेजी से फैला है और इस वजह से प्लेटलेट्स की मांग बढ़ गई है। इसका फायदा उठाकर ये लोग ज्यादातर गरीब लोगों को ठग रहे थे।

एक रिपोर्ट के अनुसार प्रयागराज के ग्लोबल हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर में 32 वर्षीय मरीज के परिजनों को कथित तौर पर 'प्लाज्मा' के रूप में लिखे एक बैग में मौसमी के जूस की आपूर्ति की गई थी। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार मरीज के परिवार का आरोप है कि अस्पताल की ओर से आपूर्ति किए गए बैग में से एक से ख़ून चढ़ाने के बाद उसकी हालत बिगड़ गई। मरीज को दूसरे निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहाँ उसकी मौत हो गई। उनके परिवार ने कहा, "इस दूसरे अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि 'प्लेटलेट्स' बैग नकली था और वास्तव में रसायनों और मौसमी जैसे जूस का मिश्रण था।"

शख्स के परिवार ने अस्पताल स्टाफ़ के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई की मांग की है। मरीज के एक रिश्तेदार सौरभ त्रिपाठी ने कहा, 'मेरी 26 वर्षीय बहन विधवा है। मैं चाहता हूं कि योगी आदित्यनाथ सरकार अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।'

इस वीडियो को साझा करते हुए एक यूज़र ने ट्वीट किया है कि 'अब तक आपने मज़ाक़ में सुना होगा, आज देख भी लीजिए...।'

अजय राय नाम के यूज़र ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शासन की आलोचना की है।

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने एक ट्वीट में कहा है कि अस्पताल में वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए अस्पताल को सील कर दिया गया है। 

प्रयागराज के अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने मीडिया को दिए एक बयान में कहा है कि अस्पताल को मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देश पर सील कर दिया गया है और यह तब तक रहेगा जब तक कि नमूने का परीक्षण नहीं हो जाता।

संबंधित अस्पताल ने आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि प्लेटलेट्स मरीजों के रिश्तेदारों ने खुद खरीदे थे। अस्पताल के मालिक ने कहा कि मरीज के प्लेटलेट्स का स्तर गिरकर 17,000 हो गया, जिसके बाद उसके रिश्तेदारों को ब्लड प्लेटलेट्स की व्यवस्था करने के लिए कहा गया था। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल के मालिक ने एक बयान में कहा, 'वे एक सरकारी अस्पताल से पांच यूनिट प्लेटलेट्स लाए। तीन यूनिट चढ़ाने के बाद मरीज की प्रतिक्रिया हुई। इसलिए हमने इसे रोक दिया।'

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