नफ़रत के सौदागरों को नहीं दिखता, 80 के मुजीबुल्लाह प्रवासियों का सामान मुफ़्त ढोते हैं!
नाम है मुजीबुल्लाह रहमान। उम्र 80 साल। काम करते हैं कुली का। वह क़रीब 50 साल से लखनऊ के चारबाग़ रेलवे स्टेशन पर यह काम कर रहे हैं, लेकिन वह अब सोशल मीडिया पर हीरो बनकर उभरे हैं। भले ही वह अभिनेता सोनू सूद की तरह बसों से अप्रवासी लोगों को घर भेजने में सक्षम नहीं हैं, लेकिन उनकी जितनी क्षमता है शायद उससे ज़्यादा ही उन प्रवासी मज़दूरों की मदद कर रहे हैं। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से आने वाले थके-हारे लोगों का वह मुफ़्त में सामान ढोते हैं। वह अपनी उम्र की पाबंदियों के बावजूद लोगों की मदद करने को तत्पर रहते हैं। जितना बन पड़ता है वह भूखे लोगों को खिलाते भी हैं।
80 साल की उम्र में लोग आराम करना चाहते हैं लेकिन मुजीबुल्लाह रहमान अपनी क्षमता के अनुसार कोरोना और लॉकडाउन की मार झेल रहे प्रवासी मज़दूरों की सहायता में लगे हैं। वह स्टेशन से 6 किमी दूर गुलज़ारनगर में अपनी बेटी के साथ रहते हैं। लॉकडाउन के दौरान वह रोज़ाना पैदल चलकर स्टेशन आते थे और लोगों की मदद कर रहे थे। उनके इस सेवाभाव और नेक काम ने ही ट्विटर और फ़ेसबुक पर लोगों के दिल जीत लिए।
भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद क़ैफ़ ने भी ट्विटर पर तारीफ़ की। क़ैफ़ ने मुजीबुल्लाह की कहानी शेयर करते हुए लिखा, 'मानवता किसी उम्र के बंधनों में नहीं बंधती। ये 80 वर्षीय मुजीबुल्लाह हैं। वह लखनऊ में चारबाग़ स्टेशन पर कुली का काम करते हैं। वह बिना कोई पैसा लिए प्रवासी मज़दूरों का सामान ढोते हैं और उनके लिए खाना भी उपलब्ध कराते हैं। मुश्किल घड़ी में उनकी निस्वार्थ सेवा हम सभी के लिए प्रेरणादायक है।'
Humanity knows no age! This is 80-year-old Mujibullah—a coolie by profession in Lucknow’s Charbagh station. He helps the migrants with their luggage & also provides food to them without charging anything for his services. His selflessness during tough times is an inspiration 🙏🏽 pic.twitter.com/8KlXfxXs1h
— Mohammad Kaif (@MohammadKaif) June 2, 2020
फ़ेसबुक पर फराह ख़ान नाम के यूज़र ने मुजीबुल्लाह से बातचीत का एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, 'पेशे से कुली मुजीबुल्लाह साहब ज़िंदगी के 80 साल पूरे कर चुके हैं। जब से मज़दूरों के लिए ट्रेन चलनी शुरू हुई है ये रोज़ाना 6 किलोमीटर पैदल चलकर चारबाग़ स्टेशन पर उनका सामान उठाने आते हैं। बिना किसी से पैसे लिए।...'
खूशबू नाम के ट्विटर यूज़र ने लिखा, 'लखनऊ रेलवे स्टेशन पर 80 वर्षीय कुली मुजीबुल्लाह परेशान प्रवासियों को मुफ्त में सामान ढोकर उनकी मदद कर रहे हैं। वह इसे 'खिदमत' कहते हैं और उनका मानना है कि उनकी मदद करना उनका कर्तव्य है।'
80-year-old Mujibullah, coolie at the Lucknow railway station is doing his bit to help troubled Migrants by carrying their Lluggage for Free.
— Khushboo (@Khush_boozing) June 1, 2020
He calls it 'Khidmat' and believes it to be his duty to help them.❤️ pic.twitter.com/hSBGmXoGsI
लॉकडाउन के दौरान मुंबई, सूरत, बड़ौदा, दिल्ली, हैदराबाद, चेन्नई जैसे बड़े शहरों में लाखों प्रवासी फँसे रहे। उनकी नौकरियाँ चली गई और अधिकतर के पास खाने तक के पैसे नहीं रहे तो वे वापस अपने-अपने गाँव लौटने लगे। बड़ी संख्या में मज़दूर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर आए तो जब ट्रेन चलने लगी तो ट्रेनों से भी आए। लोगों की ऐसी ही परेशानियों को देखकर मुजीबुल्लाह रहमान भी मदद को आए।