बिहार कांग्रेस के 16 विधायक हैदराबाद पहुंचे, बचे 3 भी पहुंचने वाले हैं
बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद एक बार फिर से राजनैतिक सरगर्मी तेज हो गई है। 12 फरवरी को नीतीश सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना है। इससे पहले विभिन्न दलों को अपने विधायकों की खरीद फरोख्त की चिंता सता रही है। इस कड़ी में सबसे ज्यादा चिंता कांग्रेस को है।
इसको देखते हुए कांग्रेस ने बिहार के अपने विधायकों को हैदराबाद भेज दिया है। प्राप्त सूचना के मुताबिक 16 विधायक हैदराबाद पहुंच चुके हैं। इन्हें दिल्ली से चार्टर्ड प्लेन से हैदराबाद भेजा गया है। बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मदन मोहन झा के साथ ये विधायक हैदराबाद पहुंच गए हैं।
शेष बचे हुए 3 विधायक भी जल्द ही हैदराबाद पहुंच सकते हैं। इन्हें दिल्ली से इसलिए भेजा गया है क्योंकि इन कांग्रेस ने बिहार के अपने सभी विधायकों को शनिवार को पार्टी की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली बुलाया था।
यहीं से इन्हें हैदराबाद रवाना कर दिया गया है। माना जा रहा है कि कांग्रेस ने सोची समझी रणनीति के तहत बिहार के अपने विधायकों को दिल्ली बुला लिया था। कांग्रेस बिहार में अपने विधायकों को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है।
एयरपोर्ट से बाहर निकलते हुए मीडिया से बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने कहा है कि ये सभी विधायक तेलंगाना के सीएम से मिलने आएं हैं। वहीं राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि अब इन विधायकों को बिहार विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने के बाद बुलाया जायेगा।
कांग्रेस को अपने विधायकों के टूटने का डर इसलिए भी था कि पूर्व में उसके विधायक टूट कर सत्ता पक्ष में शामिल हो चुके हैं। कभी कांग्रेस के बिहार अध्यक्ष रह चुके अशोक चौधरी आज जेडीयू में हैं और सीएम नीतीश कुमार के बेहद करीबी हैं।
कांग्रेस को आशंका है कि विश्वास मत से पहले उसके विधायकों को सत्ताधारी दल जेडीयू या बीजेपी तोड़ सकती है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि बीजेपी बिहार में ऑपरेशन लोटस चला सकती है। सामने आई जानकारी के मुताबिक बिहार कांग्रेस के कुल 19 विधायकों को भी हैदराबाद के उसी रिसोर्ट में रखे जाने की सूचना है जिसमें पिछले दिनों झारखंड के विधायकों को रखा गया था।
अब 16 विधायकों के हैदराबाद पहुंच जाने से कांग्रेस काफी हद तक चिंता मुक्त हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि दल बदल कानून से बचने के लिए इन 19 विधायकों में से 13 का टूटना जरूरी है। अगर 16 हैदराबाद चले गए हैं तो इस बात की संभावना अब न के बराबर है कि अब इनमें से कोई पार्टी से बगावत करेगा। कांग्रेस को डर था कि सत्ता पक्ष इन्हें लोकसभा का टिकट या बिहार सरकार में मंत्री पद का प्रलोभन देकर तोड़ सकता था।
दूसरी तरफ बिहार की राजनीति पर नजर रखने वालों राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि सिर्फ कांग्रेस को ही नहीं बल्कि जदयू को भी अपने विधायकों को टूटने का डर सता रहा है। भाजपा भी इसको लेकर डरी हुई है कि कहीं जदयू के विधायक टूट गए या फिर तेजस्वी ने कोई बड़ा खेल कर दिया तो सत्ता परिवर्तन के बाद बनी एनडीए सरकार गिर सकती है।
कांग्रेस नेताओं को लग रहा है कि भाजपा और जदयू सरकार बचाने के लिए अपने डर के कारण कांग्रेस को तोड़ सकती है। कुल मिलाकर कहें तो बिहार में जोड़ तोड़ का खेल होने को लेकर सभी दल डरे सहमें हुए हैं।
वहीं कई राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है बिहार में नीतीश सरकार या यूं कहें कि एनडीए की सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है। नीतीश कुमार का दावा है कि उनके पास 128 विधायकों का समर्थन है। जबकि सरकार बनाने के लिए 123 विधायको का समर्थन ही जरूरी है।
फिलहाल बिहार विधानसभा में भाजपा के पास 78 विधायक हैं। जदयू के पास 45 विधायक हैं। हम पार्टी के पास 4 विधायक और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन भी एनडीए सरकार के पास है। इस तरह से कुल 128 विधायकों का समर्थन नीतीश सरकार को है।