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14 विपक्षी दल बोले- केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग; SC में 5 अप्रैल को सुनवाई

14 विपक्षी दल बोले- केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग; SC में 5 अप्रैल को सुनवाई

विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि सरकार केंद्रीय एजेंसियों का गलत तरीक़े से इस्तेमाल करते हुए विपक्षी नेताओं पर जानबूझकर निशाना बना रही है। जानिए कोर्ट में क्या दलील दी गई।

कांग्रेस के नेतृत्व में चौदह विपक्षी दलों ने अपने नेताओं के खिलाफ सीबीआई और ईडी के कथित मनमाने इस्तेमाल को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया है और 5 अप्रैल को इस पर सुनवाई करने पर सहमत हो गया।

द्रमुक, राजद, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सहित 14 याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि 14 राजनीतिक दल याचिका का हिस्सा हैं। 

उन्होंने आरोप लगाया है कि सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों द्वारा दर्ज किए गए 95 प्रतिशत मामले विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ थे। उन्होंने यह भी कहा है कि भाजपा में शामिल होने के बाद नेताओं के खिलाफ मामलों को अक्सर हटा दिया जाता है या ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। हालाँकि भाजपा इन आरोपों का खंडन करते हुए कहती रही है कि एजेंसियां स्वतंत्र रूप से काम करती हैं।

याचिका दायर करने वालों में से डीएमके और आरजेडी कांग्रेस के सहयोगी हैं, जबकि बीआरएस और टीएमसी कांग्रेस के नेतृत्व वाली किसी भी पहल का हिस्सा बनने से हिचकती रही हैं। दोनों पार्टियों के नेता केंद्रीय एजेंसियों की जांच का सामना कर रहे हैं।

सिंघवी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि लोकतंत्र खतरे में है। उन्होंने कहा है कि वे मौजूदा जांच को प्रभावित नहीं करना चाहते, वे चाहते हैं कि गिरफ्तारी से पहले और बाद के कुछ दिशानिर्देश निर्धारित किए जाएँ।

जिन पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया है उनमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, जनता दल-यूनाइटेड, भारत राष्ट्र समिति, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), नेशनल कॉन्फ्रेंस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, लेफ्ट और डीएमके शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उन पार्टियों को एक साथ लाने में अहम भूमिका है। केजरीवाल के पूर्व डिप्टी मनीष सिसोदिया को पिछले महीने सीबीआई ने और बाद में ईडी ने गिरफ्तार किया था।

मोदी सरनेम वाले बयान पर राहुल गांधी को गुजरात की एक सत्र अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का समर्थन करते हुए कहा है कि 'विपक्षी नेताओं और पार्टियों पर मुक़दमे करके उन्हें ख़त्म करने की साज़िश हो रही है'।

केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ मतभेद होने की बात का ज़िक्र करते हुए कहा है कि भले ही उनके बीच में मतभेद हैं लेकिन राहुल जी को इस तरह मुक़दमे में फँसाना ठीक नहीं है। 

आप प्रमुख का यह समर्थन चौंकाने वाला है। ऐसा इसलिए कि हाल में आप नेता मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री मोदी को ख़त लिखने वाले विपक्षी दलों में कांग्रेस शामिल नहीं थी। इस महीने की शुरुआत में आठ विपक्षी दलों के नौ नेताओं ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ख़त लिखा था और कहा था कि बीजेपी में शामिल होने वाले भ्रष्ट राजनेताओं के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

जब उस ख़त पर हस्ताक्षर करने वालों में कांग्रेस शामिल नहीं थी तो सवाल उठ रहा था कि आख़िर 2024 के चुनाव से पहले विपक्षी एकता कैसे संभव है जब वे एकजुट होने वाले काम ही नहीं कर पा रहे हैं।

बहरहाल, केजरीवाल का राहुल का समर्थन देने से अब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता में एक नए समीकरण का संकेत मिल सकता है। 

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