नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ मार्च निकाल रही जामिया की छात्राओं ने आरोप लगाया है कि पुलिस वालों ने उनके प्राइवेट पार्ट्स पर चोट किए हैं। इस मामले में 10 छात्राओं को अस्पताल में दाखिल कराया गया है। डॉक्टरों ने प्राइवेट पार्ट्स में ज़ख़्म के निशान पाए जाने की पुष्टि की है।
‘इंडिया टुडे’ से बात करते हुए जामिया हेल्थ सेन्टर के डॉक्टर्स ने कहा कि 10 से ज़्यादा छात्राओं के प्राइवेट पार्ट्स पर मारा गया और इस वजह से उन्हें अल-शिफ़ा अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। उन्होंने कहा कि कुछ छात्रों को भी अंदरुनी चोटें आई हैं, क्योंकि उनकी छाती पर लाठियों से मारा गया है।
हेल्थ सेंटर में भर्ती एक छात्रा ने ‘इंडिया टुडे’ को बताया, ‘एक महिला कांस्टेबल ने मेरा बुर्का हटाया और प्राइवेट पार्ट में लाठी से मारा। महिला कांस्टेबल ने मेरे प्राइवेट पार्ट में बूट से मारा।’ ‘इंडिया टुडे’ ने अल-शिफ़ा अस्पताल के अधिकारियों से भी बात की। अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि कम से कम 9 लोग जिसमें जामिया के 8 छात्र और एक स्थानीय निवासी शामिल है, को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एक छात्र को गंभीर चोटें आई हैं और हमने उसे आईसीयू में शिफ़्ट किया है।
इससे पहले जामिया नगर में जामिया के छात्रों और स्थानीय लोगों की पुलिस से झड़प हुई। छात्र संसद तक मार्च निकालने पर अड़े थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। प्रदर्शन का आह्वान जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी (जेसीसी) की ओर से किया गया था। पुलिस ने कहा है कि प्रदर्शनकारियों के पास मार्च निकालने की अनुमति नहीं थी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने नागरिकता क़ानून, नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़कर मार्च निकालना जारी रखा।
समाजवादी पार्टी ने पुलिस की इस कार्रवाई की निंदा की है। पार्टी ने ट्वीट कर रहा कि दिल्ली में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण मार्च निकाल रहे छात्रों पर सरकार के आदेश पर बर्बर लाठीचार्ज किया गया जो अत्यंत दुखद है। पार्टी ने आगे कहा कि संविधान विरोधी क़ानून बनाने वाले संविधान से मिले विरोध के मौलिक अधिकार को भी सत्ता तले कुचल देना चाहते हैं।
कुछ दिन पहले भी तब हंगामा हुआ था जब नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे जामिया के छात्रों पर एक नाबालिग ने गोली चला दी थी। नाबालिग ने गोली चलाते हुए कहा था कि ये लो आज़ादी। इस घटना के दौरान पुलिस की कार्यशैली की ख़ासी आलोचना हुई थी। आरोप लगाया गया था कि जब नाबालिग ने गोली चलाई तो पुलिस मूकदर्शक बनकर खड़ी रही। दिसंबर में भी जब छात्रों ने इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया था तो पुलिस ने जामिया के कैंपस के अंदर घुसकर लाठीचार्ज किया था। इसके विरोध में देश के कई विश्वविद्यालयों में छात्र-छात्राओं ने कई दिन तक प्रदर्शन किया था।