+
370- धीमी मौत मर रहे हैं कश्मीरी: यूसुफ़ तारीगामी

370- धीमी मौत मर रहे हैं कश्मीरी: यूसुफ़ तारीगामी

सरकार के इस दावे पर कि पाबंदी लगाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में एक गोली भी नहीं चलाई गई है, सीपीएम के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक यूसुफ़ तारीगामी ने कहा है कि कश्मीरी धीमी मौत मर रहे हैं।

सरकार के इस दावे पर कि पाबंदी लगाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में एक गोली भी नहीं चलाई गई है, सीपीएम के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक यूसुफ़ तारीगामी ने कहा है कि कश्मीरी धीमी मौत मर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीरियों को स्वर्ग नहीं चाहिए, वे सिर्फ़ आपके साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहते हैं। उन्होंने दिल्ली में सीपीएम के मुख्य कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित किया। 

लंबे समय से बीमार चल रहे तारीगामी को एम्स में शिफ़्ट करने का सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था। सीपीएम यानी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तारीगामी को एम्स में इलाज कराने को कहा था। कोर्ट के आदेश के बाद ही येचुरी तारीगामी से श्रीनगर में मिल सके थे। इससे पहले उन्हें वहाँ जाने से रोक दिया गया था। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 में फेरबदल के बाद से पाबंदी लगी हुई है और नेताओं को नज़रबंद रखा गया है। यूसुफ़ तारीगामी भी उनमें से एक थे।

पार्टी कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए तारीगामी ने कहा कि बीजेपी का दावा है कि एक भी गोली नहीं चलाई गई है और कोई भी मारा नहीं गया है, लेकिन ‘सच्चाई यह है कि कश्मीरी एक धीमी मौत मर रहे हैं। हम भी जीना चाहते हैं, एक कश्मीरी, एक हिंदुस्तानी बोल रहा है। यह मेरी अपील है, हमारी भी सुनें।’ उन्होंने कहा कि उन्होंने कश्मीर में सबसे बुरा समय देखा है, लेकिन आज जितना महसूस कर रहे हैं वह उतना कभी परेशान नहीं हुए। उन्होंने कहा कि राज्य के परामर्श के बिना अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करना और राज्य का पुनर्गठन करना मोदी शासन की हताशा को दर्शाता है। 

तारीगामी ने कहा कि कश्मीरियों को भारत में शामिल होने के लिए न तो दबाव डाला गया और न ही मजबूर किया गया। 'द हिंदू' की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘हम अपनी इच्छा से धर्मनिरपेक्ष भारत में शामिल हुए। आज उन रिश्तों पर हमला हुआ है जिनको कश्मीर के लोगों और देश के अन्य लोगों की कड़ी मेहनत से बनाया गया था।’ उन्होंने कहा, ‘कृपया हमारी बात सुनें। आपने केवल एक ही पक्ष सुना है, कश्मीर के लोगों को भी सुनें। हम मारा जाना या तबाह होना नहीं चाहते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘वे दिल्ली में एक सप्ताह तक ऐसा करने की कोशिश क्यों नहीं करते’ 

जम्मू-कश्मीर में 42 दिन से ज़्यादा समय से लगी पाबंदी के कारण लोगों को आ रही दिक्कतों को लेकर सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ‘मुख्य समस्या लोगों की जीवन-यापन की है। 40 दिन हो गये जन-जीवन अस्त-व्यस्त हुए। और कोई भी नहीं जानता कि कितने दिन तक यह जारी रहेगा।' येचुरी ने कहा कि लैंडलाइन फोन अभी भी नहीं चल रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि तरीगामी के घर और कई अन्य पार्टी सहयोगियों के लैंडलाइन अभी भी काम नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई चीजों की कमी है, ख़ासकर अस्पतालों में दवाओं की।

बता दें कि केंद्र सरकार ने इसी महीने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में फेरबदल किया था। इससे राज्य को प्राप्त विशेष दर्जा समाप्त हो गया था। राज्य को दो हिस्सों में बाँटकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है। इस फ़ैसले के बाद से क्षेत्र में पाबंदी लगा दी गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक़ 400 से ज़्यादा नेताओं को गिरफ़्तार किया गया है। इसमें दो पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। भारी संख्या में सशस्त्र बल तैनात किए गए हैं। पूरे क्षेत्र में संचार माध्यम बंद कर दिए गए और आवाजाही पर पाबंदी लगा दी गई। हालाँकि हाल के दिनों में कुछ जगहों पर संचार माध्यमों की बहाली और पाबंदी हटाए जाने की ख़बरें हैं। लेकिन अभी भी वहाँ सामान्य स्थिति बहाल नहीं हुई है और घाटी में तो स्थिति ज़्यादा ही ख़राब है।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें