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यूपी: बजट में अयोध्या पर मेहरबानी क्यों, आख़िरकार राम के सहारे योगी सरकार?

यूपी: बजट में अयोध्या पर मेहरबानी क्यों, आख़िरकार राम के सहारे योगी सरकार?

लगभग चुनावी मोड में आ चुकी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को यह आभास हो गया है कि जीत के लिए राम का सहारा चाहिए। वैसे तो उत्तर प्रदेश में चुनाव अभी दो साल बाद होना है पर योगी सरकार ने राम नाम की बिसात बिछानी शुरू कर दी है।

लगभग चुनावी मोड में आ चुकी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को यह आभास हो गया है कि जीत के लिए राम का सहारा चाहिए। वैसे तो उत्तर प्रदेश में चुनाव अभी दो साल बाद होना है पर योगी सरकार ने राम नाम की बिसात बिछानी शुरू कर दी है। राम मंदिर विवाद हल हो जाने के बाद भी अयोध्या योगी सरकार की प्राथमिकता सूची में है। अयोध्या में अपने कामों के सहारे योगी सरकार वह फिजा बनाना चाहती है जो अगले विधानसभा चुनावों में वोटों के लिए मुफीद साबित हो सके। साल दर साल के सालाना बजट से लेकर अनुपूरक माँगों में अयोध्या की बढ़ती हिस्सेदारी इसी का नमूना है।

मंगलवार को पेश किए गए योगी सरकार के बजट में अयोध्या के लिए क़रीब 600 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। अयोध्या में योगी सरकार की एक अत्याधुनिक धर्मनगरी इक्ष्वाकुपुरी के नाम से भी बसाने की योजना है। अयोध्या में भगवान राम की विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली मूर्ति की स्थापना पर तेज़ी से काम चल रहा है।

योगी सरकार की शुरुआत अयोध्या में दीपावली के मौक़े पर भव्य दीपोत्सव से हुई थी। इस बार के दीपोत्सव में तो सरकार ने 4 लाख से ज़्यादा दिए जलाकर गिनीज़ बुक में अपना नाम दर्ज करा लिया। अयोध्या को दुनिया के नक्शे पर लाने के लिए फैज़ाबाद शहर का नाम बदल कर उसे भी अयोध्या कर दिया गया। बीते साल के बजट से लेकर लगातार आए अनुपूरक बजटों में अयोध्या की विभिन्न परियोजनाओं के लिए धन का आवंटन किया गया। ग़रीबों के तीर्थस्थल के तौर पर अयोध्या की पहचान से इतर उसे भव्य स्वरूप देने के लिए योगी सरकार ने वहाँ बड़े पैमाने पर निजी क्षेत्र को आमंत्रित कर होटल, मोटल, गेस्ट हाउस बनवाने से लेकर तमाम अन्य सुविधाएँ देने का फ़ैसला किया है। अयोध्या के रेलवे स्टेशन का कायाकल्प हो या वहाँ के बस अड्डे को अंतरराज्यीय बनाना है योगी सरकार इस शहर को अपना पोस्टर बनाने में जुट गयी है। इस बार के बजट में भी अयोध्या में उच्च स्तरीय पर्यटक सुविधाओं के विकास के लिए 85 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी है।

अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए 500 करोड़

इस साल के सालाना बजट में योगी सरकार ने अयोध्या एयरपोर्ट के लिए 500 करोड़ रुपये दिए हैं। पिछले साल के बजट में भी इस एयरपोर्ट का विकास के लिए 200 करोड़ रुपये दिए गए थे। अयोध्या में राज्य सरकार की योजना अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू करने की है। इस बार के बजट में जहाँ 85 करोड़ रुपये उच्च स्तरीय पर्यटन सुविधाओं के विकास के लिए दिए गए हैं वहीं पिछले बजट में ‘प्रो पुअर टूरिज़्म’ ग़रीबों के हित में पर्यटन के तहत सामुदायिक सुविधाओं के विकास के लिए पैसे दिए गए थे। योगी सरकार ने बजट में तुलसी स्मारक भवन की साज-सज्जा और उसे नया रूप देने के लिए भी 10 करोड़ रुपये की व्यवस्था इस बार के बजट में की है। 

योगी सरकार आने वाले दो सालों में अयोध्या को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर प्रमुख पर्यटन स्थल के तौर पर देखना चाहती है। सवाल है कि अयोध्या पर ही इतना ज़्यादा ध्यान क्यों

अंकोरवाट की तर्ज़ पर अयोध्या में इक्ष्वाकुपुरी

अयोध्या विवाद के अंत के बाद अब योगी आदित्यनाथ की योजना इस धर्मनगरी को विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बनाने की है। इसके लिए योगी सरकार अयोध्या में कंबोडिया के अंकोरवाट की तर्ज पर नयी नगरी बसाएगी। इक्ष्वाकुपुरी के नाम से बसाए जाने वाले इस क्षेत्र से अयोध्या में न केवल अंतरराष्ट्रीय बल्कि उच्च वर्ग के देशी पर्यटकों को भी आकर्षित करने की योजना है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट माने जा रहे इक्ष्वाकुपुरी के निर्माण के बाद पर्यटन की दृष्टि से यह लोगों की सबसे पसंदीदा जगह बनेगी। प्रदेश सरकार का मानना है कि अध्यात्म और पर्यटन के अनूठे आकर्षण वाली इक्ष्वाकुपुरी से अयोध्या में न केवल व्यावसायिक गतिविधियाँ बढ़ेंगी बल्कि रोज़गार के नए अवसर खुलेंगे। समूची परियोजना पर 3000 करोड़ रुपये का ख़र्च आने का अनुमान है।

प्रदेश सरकार के मुताबिक़ फ़िलहाल अयोध्या में हर साल 1.5 से दो करोड़ तक पर्यटक आते हैं। हाल ही में अयोध्या विवाद का फ़ैसला आने के बाद इनमें से अधिकांश अयोध्या में कुछ देर बिताकर हनुमानगढ़ी व रामजन्मभूमि के दर्शन कर वापस चले जाते हैं। इक्ष्वाकुपुरी के बन जाने के बाद भारतीय अध्यात्म, दर्शन व धर्मशास्त्र की जानकारी के इच्छुक पर्यटक न केवल यहाँ कुछ दिन बिता सकेंगे बल्कि एक अनुभव भी ले सकेंगे। इस नयी धर्मनगरी का विकास अयोध्या में 1900 एकड़ क्षेत्र में किया जाएगा जिसमें महज 10 फ़ीसदी ही कंक्रीट का निर्माण होगा जबकि बाक़ी क्षेत्र में हरियाली होगी। भगवान राम की जलसमाधि वाले स्थान सरयू के गुप्तारघाट से लेकर रामजन्मभूमि तक इक्ष्वाकुपुरी बसायी जाएगी। इसके लिए उपलब्ध सरकारी, नजूल, उद्यान व वन भूमि का उपयोग किया जाएगा।

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