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अतीक हत्याकांड के बाद योगी बोले- अब कोई माफिया धमका नहीं सकता...

अतीक हत्याकांड के बाद योगी बोले- अब कोई माफिया धमका नहीं सकता...

क्या अब उत्तर प्रदेश में माफिया, अपराधी उद्योगपतियों को धमका नहीं सकेंगे? क्या यूपी में अपराधी ख़त्म हो गए हैं या फिर वे अब डर कर अपराध छोड़ दिया है?

गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की हत्या के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की क़ानून व्यवस्था पर अजीब बयान आया है। क़ानून व्यवस्था पर तीखी आलोचनाएँ झेल रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि कोई भी माफिया या अपराधी उत्तर प्रदेश में उद्योगपतियों को धमका नहीं सकता है। वैसे तो मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही लगातार वह ऐसे बयान देते रहे हैं, लेकिन अब उनका यह बयान इसलिए ख़ास है कि उनका यह बयान तब आया है जब पुलिस हिरासत में ही और टीवी कैमरों के सामने अतीक और अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई है।

राज्य में सत्ता में आने के बाद से ही मुख्यमंत्री योगी का कथित तौर पर अपराधियों के ख़िलाफ़ सख्त रवैया रहा है। कहा जाता है कि योगी सरकार ने 'ठोक दो' नीति अपनाई है और इसी नीति के तहत अपराधियों के एनकाउंटर किए गए हैं। राज्य में एनकाउंटर की संख्या भी काफी ज़्यादा है। अतीक अहमद की हत्या के बाद सुप्रीम कोर्ट में दायर अधिवक्ता विशाल तिवारी की याचिका में '2017 के बाद से उत्तर प्रदेश में हुई 183 मुठभेड़ों' की जाँच की भी मांग की गई है। 

बहरहाल, लखनऊ और हरदोई ज़िलों में टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के एक समारोह को संबोधित करते हुए योगी ने कहा, 'अब, एक पेशेवर अपराधी या माफिया एक उद्योगपति को फोन पर धमकी नहीं दे सकता है।' 

मुख्यमंत्री ने कहा, 'उत्तर प्रदेश दंगों के लिए कुख्यात था। कई जिलों के नाम से ही लोग डर जाते थे। अब डरने की ज़रूरत नहीं है।' पिछली अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सरकार पर तंज कसते हुए योगी ने कहा कि राज्य में 2012 और 2017 के बीच 700 से अधिक दंगे हुए। लेकिन 2017 और 2023 के बीच यूपी में एक भी दंगा नहीं हुआ, कोई कर्फ्यू नहीं लगाया गया। वैसी स्थिति नहीं उपजी। यह निवेश और उद्योग स्थापित करने का सबसे अनुकूल अवसर है।'

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश अब 'प्रभावी कानून और व्यवस्था की गारंटी देता है'।

क़ानून व्यवस्था पर मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी तब आई है जब अतीक अहमद और अशरफ की हत्या को लेकर विपक्ष योगी आदित्यनाथ पर हमलावर है। पुलिस की तैयारियों और जवाबी कार्रवाई में घोर चूक पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

समाजवादी पार्टी ने कहा, 'यूपी में अपराध अपने चरम पर पहुँच गया है और अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। जब सुरक्षा घेरे में घिरे होने के बावजूद किसी की सरेआम हत्या की जा सकती है तो आम जनता की स्थिति की कल्पना की जा सकती है। जनता में डर का माहौल बनाया जा रहा है। ऐसा लगता है कि कुछ लोग जानबूझ कर ऐसा माहौल बना रहे हैं।'

मायावती ने कहा था, "देश भर में चर्चित इस अति-गंभीर व अति-चिन्तनीय घटना का माननीय सुप्रीम कोर्ट अगर स्वंय ही संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करे तो बेहतर। वैसे भी उत्तर प्रदेश में 'कानून द्वारा कानून के राज' के बजाय, अब इसका एनकाउंटर प्रदेश बन जाना कितना उचित? सोचने की बात।'

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था, 'अतीक़ और उनके भाई पुलिस की हिरासत में थे। उन पर हथकड़ियाँ लगी हुई थीं। JSR के नारे भी लगाये गये। दोनों की हत्या योगी के क़ानून व्यवस्था की नाकामी है। एनकाउंटर राज का जश्न मनाने वाले भी इस हत्या के ज़िम्मेदार हैं।' उन्होंने आगे कहा कि जिस समाज में हत्यारे हीरो होते हैं, उस समाज में कोर्ट और इंसाफ़ के सिस्टम का क्या काम?

आलोचनाओं के बीच राज्य सरकार ने हत्याओं की उच्च स्तरीय जाँच के आदेश दिए हैं। यूपी पुलिस ने भी इस घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जांच दल का गठन किया है। मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है। 

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