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सेना को युद्ध की तैयारी करने को क्यों कह रहे हैं चीनी राष्ट्रपति, निशाने पर भारत?

सेना को युद्ध की तैयारी करने को क्यों कह रहे हैं चीनी राष्ट्रपति, निशाने पर भारत?

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीपल्स लिबरेशन आर्मी से कहा है कि वह 'युद्ध की तैयारी करे' और 'हाई अलर्ट पर रहे'। क्या उनका इशारा भारत की ओर है?

ऐसे समय जब भारत से लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीनी सेना के 50 हज़ार से अधिक सैनिक तैनात हैं और उनसे कुछ ही दूरी पर लगभग इतने ही भारतीय सैनिक भी मुस्तैद हैं, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ख़तरे की घंटी बजा दी है। उन्होंने पीपल्स लिबरेशन आर्मी से कहा है कि वह 'युद्ध की तैयारी करे' और 'हाई अलर्ट पर रहे'। क्या उनका इशारा भारत की ओर है कई दौर की बातचीत नाकाम होने के बाद चीनी राष्ट्रपति का यह बयान नई दिल्ली के लिए बेहद चिंता का सबब है। 

चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, चीनी राष्ट्रपति ने चाओझू शहर में पीएलए के मरीन कोर यानी नौसैनिकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सैनिकों को 'हाई अलर्ट' पर रहना चाहिए, 'अपनी पूरी ऊर्जा, पूरा ध्यान युद्ध की तैयारी में लग देना चाहिए।' 

उन्होंने चीनी सैनिकों से यह भी कहा कि उन्हें 'पूरी तरह देशभक्त, शुद्ध और विश्वसनीय' होना चाहिए।

शी जिनपिंग के कहने का मतलब

शी जिनपिंग राष्ट्रपति तो हैं ही, वह केंद्रीय सेना आयोग के अध्यक्ष भी हैं। इस दुहरी भूमिका की वजह से सेना पर उनका पूरा नियंत्रण है।

इस बयान के सिर्फ दो दिन पहले भारत और चीन की सेनाओं के बीच लेफ़्टीनेंट जनरल स्तर की बातचीत हुई, जो नाकाम रही। दोनों सेनाओं के बीच यह सातवीं बैठक थी और उसके बाद भी वास्तविक नियंत्रण रेखा के आर-पार लगभग एक लाख सैनिक तैनात हैं।

चीन ने वहां से सैनिक वापस बुलाने से इनकार कर दिया है।

लेकिन यह भी हो सकता है कि शी जिनपिंग का इशारा भारत नहीं बल्कि ताईवान और उस बहाने अमेरिका हो। 

क्या है ताइवान का मसला

ताइवान एक टापू है जो पहले चीन का ही हिस्सा था, लेकिन 1949 में क्रांति के बाद जब तत्कालीन शासक च्यांग काई शेक भाग कर ताइवान चले गए तो उसे स्वतंत्र व अलग देश होने का एलान कर दिया। चीन ताइवान को अपना हिस्सा ही मानता है। 

बीते दिनों कोरोना संकट के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन में ताइवान को शामिल करने की बात कई देशों ने की। सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया ने यह बात कही, उसके बाद अमेरिका ने और फिर कुछ यूरोपीय देश यही बात कर रहे हैं। भारत इस पर अब तक चुप है। चीन ऐसी किसी मुहिम का ज़ोरदार विरोध करेगा, यह तय है।

अमेरिका को चेतावनी

बीते दिनों अमेरिका ने अपने दो विमान वाहक पोत यूएसएस निमित्ज़ और यूएसएस रोनल्ड रेगन बिल्कुल ताईवान स्ट्रेट से निकाला। यह चीन को इतना नागवार गुजरा कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने बाकायदा औपचारिक तौर पर कहा कि उसके पास विमानवाहक पोत को नष्ट करने वाले मिसाइलें हैं।

पीएलए ने विमान वाहक पोत को नष्ट करने वाले दो तरह की मिसाइलें उसी इलाक़े में दागीं, हालांकि उससे पहले ही अमेरिकी पोत जा चुके थे और वहां किसी देश का कोई जहाज़ नहीं था। पर उसने अमेरिका को संकेत तो दे ही दिए।

ताईवान को धमकी

बीते दिनों चीन ने अपना नया विमान वाहक पोत लियाओनिंग ताईवान स्ट्रेट से निकाला और दूसरे जहाजों ने उसके आस पास युद्ध अभ्यास किया।

जाहिर है कि यह सबकुछ ताईवान को धमकाने के लिए किया गया था। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या शी जिनपिंग का इशारा ताईवान की ओर था इसकी संभावना अधिक इसलिए है कि उन्होंने युद्ध की तैयारियां करने के लिए नौसेना को चुना, जिसकी भूमिका ताईवान संकट में अधिक होगी। 

भारत-ताईवान

ताईवान ने 10 अक्टूबर को अपनी स्थापना दिवस मनाया। उस मौके पर उसने भारत के अख़बारों में विज्ञापन दिए और भारत-ताईवान दोस्ती का हवाला भी दिया। लेकिन भारत में चीनी राजदूत ने यहां लोगों को ध्यान दिलाया कि एक ही चीन है और वह है पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना, जिसकी राजधानी बीजिंग है। उन्होंने यह भी कहा कि ताईवान चीन का अभिन्न अंग है।

सच तो यह भारत का भी यही मानना है और इतने तनाव के बावजूद अब तक भारत ने इस नीति में कोई बदलाव नहीं किया है। 

तो क्या शी जिनपिंग ताईवान को धमकी दे रहे थे 

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