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सलमान रुश्दी पर चाकू से हमला, हमलावर गिरफ़्तार

सलमान रुश्दी पर चाकू से हमला, हमलावर गिरफ़्तार

अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में ख्यात लेखक सलमान रुश्दी पर क्यों हमला किया गया? क्या इस हमले का उनकी उस किताब से कुछ लेना देना है जिसे दशकों पहले ईरान में प्रतिबंधित कर दिया गया था?

लेखक सलमान रुश्दी पर कथित तौर पर शुक्रवार को उस समय हमला कर दिया गया जब वह न्यूयॉर्क शहर में एक कार्यक्रम में व्याख्यान देने वाले थे। पुलिस के बयान में कहा गया है कि रुश्दी की गर्दन पर चाकू से वार किए जाने का साफ़ निशान है। उनकी स्थिति के बारे में ज़्यादा जानकारी सामने नहीं आ पाई है। कथित हमलावर को गिरफ़्तार कर लिया गया है।

इससे पहले एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट में कहा गया था कि उसके रिपोर्टर ने चौटौक्वा इंस्टीट्यूशन में एक व्यक्ति को मंच पर आते देखा; उस शख्स ने रुश्दी को या तो मुक्का मारा या छुरा घोंपा जब उनका परिचय कराया जा रहा था। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार लेखक फर्श पर गिर गये और उस शख्स को रोक दिया गया था। हालाँकि, पहले समाचार एजेंसी एएफपी ने ख़बर दी थी कि पुलिस ने चाकू मारे जाने की पुष्टि की है, लेकिन पीड़ित की तुरंत पहचान करने से इनकार कर दिया है। यानी तब यह साफ़ नहीं था कि वह चाकू रुश्दी पर चलाया गया है या किसी और पर। रुश्दी की स्थिति के बारे में फिलहाल पता नहीं चल पाया है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार लेखक को हेलीकॉप्टर द्वारा स्थानीय अस्पताल ले जाया गया।

यह घटना चौटौक्वा इंस्टीट्यूशन में शुक्रवार को हुआ। वहाँ पर एक व्याख्यान आयोजित किया गया था। व्याख्यान में वह बोलने ही वाले थे कि तभी हमलावार मंच पर चढ़ा और उन पर हमला कर दिया। 

बता दें कि रुश्दी पर 1980 के दशक से ही मारने की धमकी दी जाती रही है। सलमान रुश्दी की किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' ईरान में 1988 से बैन है। कई मुसलमान इसे ईशनिंदा मानते हैं।

बाद में ईरान के दिवंगत नेता, अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने एक फतवा जारी किया था, जिसमें रुश्दी की मौत का आह्वान किया गया था।

बता दें कि 75 वर्षीय रुश्दी भारतीय मूल के हैं और उन्होंने ब्रिटेन की नागरिकता ली हुई है। रुश्दी पिछले 20 वर्षों से अमेरिका में रह रहे हैं।

भारतीय मूल के उपन्यासकार रुश्दी ने 1981 में मिडनाइट्स चिल्ड्रन के साथ प्रसिद्धि हासिल की। इस किताब की अकेले ब्रिटेन में दस लाख से अधिक प्रतियां बिकीं।

अपनी चौथी किताब द सैटेनिक वर्सेज (1988) पर विवाद के बाद वह लोगों की नज़रों से दूर रहे। लेकिन, धमकियों के बावजूद उन्होंने 1990 के दशक में कई उपन्यास लिखे। 2007 में उन्हें साहित्य की सेवाओं के लिए महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा 'सर' की उपाधि दी गई थी। उन्होंने नॉन-फिक्शन सहित एक दर्जन से अधिक कृतियों की रचना की।

उनका पहला उपन्यास 1975 में सामने आया था, लेकिन उनकी एक मौलिक रचना आधुनिक भारत, मिडनाइट्स चिल्ड्रन (1981) के बारे में है, जिसके लिए उन्होंने बुकर पुरस्कार जीता।

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