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किसकी 'छवि बचाने' महिला पहलवानों से मिलने पीटी उषा जंतर मंतर पहुंचीं

किसकी 'छवि बचाने' महिला पहलवानों से मिलने पीटी उषा जंतर मंतर पहुंचीं

महिला पहलवानों की आलोचना कर चुकीं भारतीय ओलिंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा आज बुधवार को अचानक महिला पहलवानों से मिलने पहुंच गईं। आखिर पीटी उषा ने अब यह कदम क्यों उठाया। जानिएः

भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की अध्यक्ष पीटी उषा आज बुधवार दोपहर को अचानक जंतर मंतर पर महिला पहलवानों से मिलने पहुंच गईं। अचानक हुए इस घटनाक्रम से मीडिया समेत सभी लोग हैरान हैं। क्योंकि अभी कल तक पीटी उषा महिला पहलवानों के इस आंदोलन के खिलाफ बयान दे रही थीं। पीटी उषा के जंतरमंतर पहुंचने से ठीक पहले महिला पहलवानों विनेश फोगाट, साक्षी मलिक के अलावा बजरंग पुनिया की कल मंगलवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस को जरा याद करें। तीनों पहलवानों ने कल मीडिया के सामने कहा था कि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर दरअसल इस मामले को दबा रहे हैं। उन लोगों ने केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के कहने पर ही पिछली बार एक दिन का धरना अचानक खत्म कर दिया था। अनुराग ठाकुर ने उन लोगों को कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और बाहुबली भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिया था। यहां तक कि महिला पहलवानों ने पीएम मोदी को भी इसकी जानकारी दी थी। लेकिन हुआ क्या ब्रजभूषण सिंह पर न तो बीजेपी ने कार्रवाई की और न दिल्ली पुलिस ने। सुप्रीम कोर्ट से डर कर दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज तो कर ली लेकिन न तो अभी तक गिरफ्तारी की और न आरोपी सांसद से पूछताछ की।     

7 भारतीय महिला पहलवानों ने ब्रजभूशण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप दिसंबर में सबसे पहले लगाए थे। लेकिन उससे पहले उन्होंने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, खेल मंत्रालय के अधिकारियों, पीटी उषा आदि को सारी जानकारी दी थी। जनवरी में महिला पहलवान एक दिन के धरने पर जब बैठीं तो अनुराग ठाकुर ने एक जांच कमेटी बना दी, जिसका आधिकारिक रिपोर्ट आज तक जारी नहीं हुई। 

पीटी उषा या महिला पहलवानों की ओर से अभी इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी है कि उन्होंने एक दूसरे से क्या कहा और पीटी उषा के जंतरमंतर पर आने का मकसद क्या था। लेकिन सूत्रों का कहना है कि सरकार अब चाहती है कि महिला पहलवान जंतर मंतर से हटें और बयान देना बंद करें। दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी और अनुराग ठाकुर का नाम आने के बाद सरकार सतर्क हो गई है। उधर ब्रजभूषण शरण सिंह भी कह रहे हैं कि जब उनसे प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह कहेंगे तो वो कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देंगे। इन बयानों की गहराई नापें तो पता चल जाएगा कि सारे मामले में किसकी छीछालेदर हो रही है। 

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा के साथ बैठक पर पहलवान बजरंग पूनिया ने कहा - पीटी उषा ने यही बोला कि मैं आपके साथ खड़ी हूं और आपको न्याय दिलाऊंगी। हमारा कहना है कि जब तक बृज भूषण शरण सिंह जेल नहीं जाएंगे तब तक हम यही रहेंगे।

बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों का #MeToo अभियान शुरू होने पर भारतीय ओलंपिक संघ की प्रमुख पीटी उषा ने आरोपों की जांच करने वाली समिति की रिपोर्ट का इंतजार नहीं करने के लिए पहलवानों की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था- "विरोध अनुशासनहीनता है। खिलाड़ियों को सड़कों पर विरोध नहीं करना चाहिए था। उन्हें कम से कम समिति की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए था। उन्होंने जो किया है वह खेल और देश के लिए अच्छा नहीं है। यह एक नेगेटिव नजरिया है।

उस समय पहलवान साक्षी मलिक ने कहा था- "पीटी उषा की टिप्पणी से हम आहत महसूस कर रहे हैं। वह खुद एक महिला होने के बावजूद हमारा समर्थन नहीं कर रही हैं। हमने क्या अनुशासनहीनता की है? हम यहां शांति से बैठे हैं। अगर हमें न्याय मिलता तो हम ऐसा नहीं करते।"

पहलवान विनेश फोगाट ने आरोप लगाया था कि उन्होंने पीटी उषा को उनके मामले पर चर्चा करने के लिए फोन किया, लेकिन उन्होंने उनकी कॉल का जवाब तक नहीं दिया। विनेश ने कहा था- "... हम नहीं जानते कि क्या वह किसी प्रकार के दबाव में है।"

दिल्ली पुलिस का रवैया सारे मामले में शर्मनाक है। उसने ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर दो मामले दर्ज किए हैं। एफआईआर में से एक नाबालिग की शिकायत पर आधारित है, जो यौन अपराधों से बच्चों के कड़े संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दायर की गई है। लेकिन दिल्ली पुलिस ने अभी तक न जांच शुरू की और न ही ब्रजभूषण से पूछताछ की है। पहलवान ने डब्ल्यूएफआई प्रमुख की "तत्काल गिरफ्तारी" की मांग लगातार कर रहे हैं।

पहलवानों ने कहा, " हमें दिल्ली पुलिस पर भरोसा नहीं है। यह लड़ाई एफआईआर के लिए नहीं ती। यह लड़ाई ब्रजभूषण जैसे लोगों को दंडित करने के लिए है। उसे जेल में होना चाहिए और पद से हटा देना चाहिए।"

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