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क्या पहलवानों के आंदोलन को दबाने के लिए फैलाई जा रही हैं फेक ख़बरें?

क्या पहलवानों के आंदोलन को दबाने के लिए फैलाई जा रही हैं फेक ख़बरें?

यौन उत्पीड़न मामले में बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ़्तार करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे पहलवनों को आज सफ़ाई क्यों जारी करनी पड़ी कि उन्होंने आंदोलन ख़त्म नहीं किया है?

सोमवार की दोपहर मीडिया में तेज़ी से अफ़वाह फैली कि पहलवानों के आंदोलन का अहम चेहरा साक्षी मलिक आंदोलन से पीछे हट गई हैं। ख़बर यह भी चली कि उन्होंने रेलवे में अपनी नौकरी ज्वाइन कर ली है। कहा जाने लगा कि अब पहलवानों ने आंदोलन को खत्म कर दिया है। एक नामी खबरिया चैनल ने पहलवान साक्षी और बजरंग को लेकर ख़बर चलाई कि नाम वापस लेने के बाद उन्होंने रेलवे की नौकरी ज्वाइन की। देखते ही देखते यह ख़बर वायरल हो गयी।

लेकिन कुछ ही देर में पहलवानों ने इसका जोरदार खंडन किया। साक्षी मलिक ने ट्वीट कर इस खबर को बिल्कुल ग़लत बताया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि 'ये खबर बिल्कुल ग़लत है। इंसाफ की लड़ाई में ना हम में से कोई पीछे हटा है, ना हटेगा। सत्याग्रह के साथ साथ रेलवे में अपनी जिम्मेदारी को साथ निभा रही हूं। इंसाफ मिलने तक हमारी लड़ाई जारी है। कृपया कोई ग़लत खबर ना चलाई जाए।'

माना जा रहा है कि ये खबर एएनआई के उस ट्विट के बाद आई जिसमें उसने लिखा था कि पहलवान साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया ने रेलवे में ओएसडी खेल के अपने पद दो दुबारा ज्वाइन कर लिया है।

आंदोलन से पीछे हटने की खबर को अफवाह बताते हुए बजरंग पुनिया ने ट्वीट किया कि 'आंदोलन वापस लेने की खबरें कोरी अफ़वाह हैं। ये खबरें हमें नुक़सान पहुँचाने के लिए फैलाई जा रही हैं। हम न पीछे हटे हैं और न ही हमने आंदोलन वापस लिया है। महिला पहलवान की एफ़आईआर वापस लेने की खबर भी झूठी है। इंसाफ़ मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी।'

इन दोनों पहलवानों के जोरदार खंडन के बाद एएनआई ने ट्वीट कर बताया कि साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया ने स्पष्ट किया है कि वे आंदोलन से पीछे नहीं हट रहे हैं। एएनआई ने अपने ट्वीट में कहा कि  एएनआई ने ऐसा कोई न्यूज़ नहीं बताया है कि पहलवानों ने एफआईआर वापस ले ली है और आंदोलन खत्म हो गया है।

पहलवानों ने अपने ट्वीट में मीडिया से अपील की है कि कृपया गलत खबर नहीं चलाएं। अब सवाल उठता है कि आखिर मीडिया पर ये आरोप क्यों लग रहे हैं कि वह लगातार पहलवानों को लेकर गलत खबर चलाने की कोशिश कर रहा है।

यह आरोप इसलिए भी गंभीर हो जाता है कि रेलवे की नौकरी ज्वाइन करने वाली खबर से पहले कई मीडिया संस्थानों द्वारा प्रमुखता से खबर चलाई गई कि नाबालिग पहलवान ने यौन शोषण से जुड़ा अपना आरोप वापस ले लिया है। साथ ही यह भी खबर चलने लगी कि आंदोलन अब खत्म हो गया है। हालांकि उन मीडिया संस्थानों ने चालाकी दिखाते हुए यह भी लिखा कि अभी इस खबर की पुष्टि नहीं हुई है। बिना किसी पुष्टि के ही ये खबरें चलने लगीं।

इससे पहले लगातार यह ख़बर चल रही थी कि यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण पर से पोक्सो एक्ट हट सकता है। इसके पीछे कारण बताया गया कि नाबालिग पहलवान ने अपना बयान बदल दिया है। जबकि नाबालिग पहलवान का ब्यान 164 के तहत दर्ज किया गया है ऐसे में मजिस्ट्रेट के सामने दिया गया बयान नहीं बदला जा सकता है। 

इन ख़बरों के बीच पीड़िता के पिता ने स्पष्ट कर दिया कि उन्होंने कोई बयान नहीं बदला है और नाबालिग पीड़िता आज भी अपनी शिकायत और बयान पर कायम हैं। इससे स्पष्ट है कि बृजभूषण से पोक्सो हटाने की खबर फेक न्यूज़ थी। दूसरी तरफ मीडिया में ये खबर भी खूब चली कि पहलवानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया है। 

इसको लेकर भी रविवार को जिंद में बजरंग पुनिया ने साफ - साफ कहा कि अभी वो और उनके साथी आंदोलन की आगे की रणनीति पर विचार कर रहे हैं।  आगे आंदोलन कैसे चलेगा, इसके लिए वो सभी संगठनों और खापों की पंचायत बुलाएंगे।

अब ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि मीडिया क्यों ग़लत खबर चलाने की कोशिश कर रहा है? खुद पहलवानों ने मीडिया से ग़लत खबर नहीं चलाने की अपील की है। 

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