
व्हाइट हाउस ने बेड़ियों में निर्वासितों का नया वीडियो क्यों जारी किया?
डोनाल्ड ट्रंप दुनिया भर में धौंस दिखाना चाहते हैं या दूसरे देशों को बेइज्जत करना चाहते हैं? ज़ंजीरों व हथकड़ियों में लोगों को भेजे जाने को अमानवीय कहे जाने और तीखी आलोचना झेलने के बाद भी फिर से व्हाइट हाउस ने ऐसा वीडियो क्यों जारी किया? पहले तो अवैध अप्रवासियों को अपराधियों की तरह ज़ंजीरों व हथकड़ियों में बाँधकर अमानवीय रूप से भेजा और अब ट्रंप प्रशासन लगातार इसका वीडियो बनाकर जारी कर रहा है। वीडियो जारी करते हुए इसने बेहद अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल भी किया है। अमेरिका ऐसे लोगों को बेड़ियों और हथकड़ियों में अमेरिकी सैन्य विमान में भेज रहा है। अवैध अप्रवासियों को पड़ोस के देशों में भी हिरासत में भेज रहा है। ऐसे लोग मदद की गुहार तक लगा रहे हैं।
अमेरिका जब अपने यहाँ से अवैध अप्रवासियों को निर्वासित कर लोगों को उनके देश भेज रहा है तो फिर उसने क़रीब 300 निर्वासितों को पनामा के एक होटल में क्यों 'कैद' रखा है? यह मामला तब सामने आया है जब होटल में बंद निर्वासितों ने खिड़कियों के शीशे से 'मदद' मांगने वाले मैसेज दिखाए। इन निर्वासित लोगों में भारत सहित कई देशों के अप्रवासी हैं जिनमें अधिकतर एशियाई लोग हैं। हथकड़ियों और बेड़ियों में अवैध अप्रवासियों को वापस भेजे जाने के विवाद के बीच आए इस मामले ने नये सिरे से विवाद को जन्म दे दिया है। दरअसल, कहा जा रहा है कि पनामा ने अमेरिका से निर्वासित इन 300 लोगों को एक होटल में हिरासत में रखा है। अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों द्वारा उनके देश में वापसी की व्यवस्था अब तक नहीं की गई है और उन्हें फ़िलहाल बाहर निकलने की अनुमति नहीं है।
होटल के कमरों में प्रवासियों ने खिड़कियों पर 'मदद करें' और 'हम अपने देश में सुरक्षित नहीं हैं' जैसे मैसेज दिखाए। प्रवासी ईरान, भारत, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन और सहित 10 एशियाई देशों से आए थे। तो सवाल है कि जब अमेरिका अपने सैन्य विमानों के माध्यम से दुनिया भर के देशों में अप्रवासियों को भेज रहा है तो उन्हें होटल में क्यों रखा गया है?
इस सवाल का जवाब अधिकारियों ने दिया है। एपी की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका को उनमें से कुछ देशों में सीधे निर्वासित करने में कठिनाई हो रही है, इसलिए पनामा को एक पड़ाव के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
निर्वासितों को जिस तरह से कारावास और क़ानूनी उलझनों का सामना करना पड़ रहा है, उससे पनामा में भी चिंता बढ़ गई है। यह चिंता खासकर इसलिए बढ़ी है कि अप्रवासियों की तस्वीरें होटल के कमरों की खिड़कियों से झांकते और मदद की गुहार लगाते हुए दिखाई दे रही हैं।
पनामा के सुरक्षा मंत्री फ्रैंक अब्रेगो ने मंगलवार को कहा कि पनामा और अमेरिका के बीच हुए प्रवास समझौते के तहत प्रवासियों को चिकित्सा देखभाल और भोजन मिल रहा है। अमेरिका ऑपरेशन का सारा खर्च दे रहा है। अब्रेगो ने इस बात से इनकार किया कि विदेशियों को हिरासत में लिया जा रहा है, जबकि हक़ीकत ये है कि वे अपने होटल के कमरों से बाहर नहीं निकल सकते। इसकी पुलिस कड़ी निगरानी कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार पनामा के मंत्री अब्रेगो ने कहा कि 299 निर्वासितों में से 171 ने स्वेच्छा से अपने-अपने देश लौटने की इच्छा जताई है। इसमें अंतरराष्ट्रीय डिपोर्टेशन संगठन और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी उनकी मदद करेगी। एक निर्वासित आयरिश नागरिक पहले ही अपने देश लौट चुका है। अब्रेगो ने कहा कि जो लोग अपने देश लौटने के लिए सहमत नहीं होंगे, उन्हें अस्थायी रूप से एक फैसिलिटी में रखा जाएगा।
व्हाइट हाउस ने जारी किया बेड़ियों का वीडियो
निर्वासितों को बेड़ियाँ, हथकड़ियाँ लगाए जाने को लेकर आलोचना झेल रहे ट्रंप प्रशासन ने अब इसका एक वीडियो जारी किया है। इसने इस वीडियो में लिखा है- 'इलीगल एलियन डिपोर्टेशन फ्लाइट'। इस पर एलन मस्क ने भी प्रतिक्रिया दी है।
So based 🦾
— Elon Musk (@elonmusk) February 19, 2025
भारत में विरोध
अमेरिका से अपराधियों की तरह ज़ंजीरों व हथकड़ियों में बाँधकर अमानवीय रूप से भेजे जाने पर दुनिया भर में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। भारत में भी हंगामा मचा है। पहली खेप में 104 ऐसे भारतीयों को भेजे जाने पर तब तूफ़ान खड़ा हो गया था जब उन्हें अमेरिकी सैन्य विमान में हथकड़ियों और बेड़ियों में अमानवीय तरीक़े से भेजा गया। इसके बाद दूसरी और तीसरी खेप में भी भारतीय अप्रवासी लाए गए हैं।
हथकड़ियों और बेड़ियों के साथ ही अमेरिकी सैन्य विमान में भारतीयों के भेजे जाने पर आपत्ति जताई गई। सवाल उठाया गया कि अपने विमान में भारतीयों की सम्मानजनक वापसी क्यों नहीं हो सकती?
ख़ासकर यह सवाल इसलिए उठा क्योंकि कोलंबिया ने उसके देश के अवैध अप्रवासियों को लेकर भेजे गए अमेरिकी सैन्य विमान को उतरने नहीं दिया था। कोलंबिया ने अमेरिका के सैन्य विमान को वापस लौटा दिया था। इस पर डोनाल्ड ट्रंप ने कोलंबिया पर टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। इसके बाद भी कोलंबिया झुका नहीं।
अमेरिका से जंजीरों में बांधकर अमानवीय तरीक़े से अप्रवासियों को भेजे जाने की तस्वीरें सामने आने और इस मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप के साथ तनातनी के बाद कोलंबिया ने ये फ़ैसला लिया। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने अमेरिका से अप्रवासियों को लेकर आई उड़ानों को कोलंबिया में उतरने से रोक दिया था।
डिपोर्ट किए गए पंजाब के लोगों ने 43 करोड़ ख़र्च कर डाले
अमेरिका से पंजाब वापस निर्वासित किए गए लोगों ने अमेरिका पहुँचने के लिए 45 करोड़ रुपये ख़र्च कर डाले हैं। खुद राज्य सरकार ने ही यह डाटा दिया है। राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा जुटाए गए एक दस्तावेज के अनुसार, पंजाब के 127 अवैध अप्रवासियों ने अमेरिकी सपने को साकार करने के लिए ट्रैवल एजेंटों को 43 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया। लेकिन अमेरिकी अधिकारियों ने उन्हें हथकड़ी, जंजीरों में जकड़कर वापस घर भेज दिया। 127 पंजाबी उन 332 भारतीयों में शामिल थे, जिन्हें अमेरिका ने तीन सैन्य विमानों से वापस भेजा था।
पंजाब के अधिकारियों द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्य से निर्वासित 31 लोगों के पहले बैच ने एजेंटों को 4.95 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। इस बैच के सभी निर्वासितों ने एजेंटों को भुगतान की गई राशि का खुलासा नहीं किया था। 65 लोगों के दूसरे बैच ने 26.97 करोड़ रुपये का भुगतान किया था, जबकि 31 निर्वासितों के तीसरे बैच ने उन एजेंटों को 11.37 करोड़ रुपये का भुगतान करने की बात स्वीकार की। अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने के बाद निर्वासितों द्वारा बताई गई जानकारी के आधार पर डेटा जुटाया गया था। प्रत्येक निर्वासित को अपने एजेंट का नाम, भुगतान की गई रक़म और जिस मार्ग से वे अमेरिकी सीमा तक पहुँचे थे, उसका खुलासा करने के लिए कहा गया था। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पहले बैच के कई निर्वासितों ने जानकादी देने में अनिच्छा दिखाई, जबकि दूसरे और तीसरे बैच के लगभग सभी निर्वासितों ने जानकारी साझा की।
(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)