पुतिन ने यूक्रेन में दिया सैन्य कार्रवाई का आदेश, कहा- दूसरे देश न दें दख़ल

09:57 am Feb 24, 2022 |

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई करने की घोषणा कर दी है। न्यूज़ एजेंसी एएफ़पी ने यह खबर दी है। पुतिन ने दुनिया के बाकी देशों को चेताया है कि रूस की सैन्य कार्रवाई में दख़ल देने की किसी भी कोशिश के गंभीर नतीजे होंगे। पुतिन के एलान के बाद यूक्रेन की राजधानी कीव के मुख्य हवाई अड्डे के पास गोलियां चलने की आवाज सुनाई दी है। 

उधर, यूक्रेन ने अपने देश में आपातकाल घोषित कर दिया है और इस संकट के बढ़ने के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक भी इस मामले में हो रही है।

पुतिन ने कहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच अब युद्ध को टाला नहीं जा सकता। उन्होंने यूक्रेन के सैन्य बलों से कहा है कि वह अपने हथियार छोड़ दें और घर चले जाएं। 

रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा है कि उसकी यह सैन्य कार्रवाई यूक्रेन के लोगों की रक्षा के लिए है क्योंकि वे बीते कई सालों से मुश्किलें झेल रहे हैं। जबकि यूक्रेन ने इस बैठक में कहा है कि रूस को हमला करने से रोका जाए। 

रूस अपनी इस जिद पर अड़ा हुआ है कि यूक्रेन को नैटो का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। हालांकि इस तरह का कोई भी प्रस्ताव अभी नहीं है लेकिन पुतिन इस बात की गारंटी चाहते हैं कि ऐसा नहीं होना चाहिए। 

हथियारों के मामले में रूस बेहद शक्तिशाली है और दुनिया की सबसे ताकतवर मिसाइल और एटमी हथियार भी उसके पास हैं। लेकिन अमेरिका और नैटो देशों का मुकाबला करना उसके लिए बेहद मुश्किल होगा।

रूस की ओर से पूर्वी यूक्रेन के लुहान्स्क और दोनेत्स्क को आजाद देश के तौर पर मान्यता देने के बाद से ही उस पर दुनिया के तमाम देशों ने प्रतिबंध लगा दिए हैं लेकिन बावजूद इसके रूस पीछे हटने को तैयार नहीं है। इस बीच, रूस ने यह भी कहा है कि उसकी यूक्रेन पर हमला करने की कोई योजना नहीं है। 

पुतिन ने कहा है कि रूस अपने देश के हितों और लोगों की सुरक्षा से पीछे नहीं हटेगा और इसके लिए हम अपनी सेना को मजबूत बनाते रहेंगे।

अमेरिका और यूरोपीय देश रूस को चेता चुके हैं कि यूक्रेन पर किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई के बेहद गंभीर नतीजे होंगे। नैटो देशों ने भी रूस को चेताया है लेकिन इसके बाद भी रूस ने यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई करने का एलान कर दिया है।

ईयू ने कहा था कि यूक्रेन में दो अलगाववादी इलाकों को मान्यता देना अंतरराष्ट्रीय नियमों का, यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और मिन्स्क समझौते का भी घोर उल्लंघन है। जर्मनी, फ्रांस और अमेरिका ने एक बयान जारी कर कहा था कि इसका जवाब दिया जाएगा।

यूक्रेन ने कहा था कि उनके देश की पहली योजना इस संकट को कूटनीतिक ढंग से हल करने की है। जबकि दूसरी योजना के तहत उनका देश अपनी जमीन के हर इंच, हर शहर और हर गांव के लिए लड़ाई लड़ेगा। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूस पर शांति वार्ता को तोड़ने का आरोप लगाया और कहा था कि यूक्रेन शांति का पक्षधर है। उन्होंने कहा था कि यूक्रेन अपनी जमीन नहीं छोड़ेगा। 

पूर्वी यूक्रेन के लुहान्स्क और दोनेत्स्क इलाकों में रहने वाले लोग रूस के समर्थक हैं। इन्हें यूक्रेन में अलगाववादी भी कहा जाता है क्योंकि ये चाहते हैं कि यूक्रेन रूस का हिस्सा बन जाए। ये दोनों ही इलाके रूस और यूक्रेन की सीमा के बिल्कुल नजदीक हैं और 2014 में जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था तब से ही इन इलाकों में अलगाववादी नेताओं ने अपनी आवाज तेज कर दी थी।