
ट्रंप के निशाने पर अब पुतिन- युद्धविराम नहीं होने तक प्रतिबंध, टैरिफ़ लगेगा?
ट्रंप के निशाने पर ज़ेलेंस्की के बाद अब पुतिन आ गए लगते हैं। उन्होंने संकेत दिया है कि यदि रूस युद्धविराम नहीं करता है तो वह पुतिन पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध और टैरिफ़ लगाने पर विचार कर सकते हैं। रूस लंबे समय से यूक्रेन के साथ युद्धरत है और ट्रंप दोनों देशों के बीच शांति लाने के प्रयास में हैं। हालाँकि, उनकी शांति की पहल ने हाल के दिनों में कुछ ज़्यादा ही उथल-पुथल का दौर ला दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अब यूक्रेन संकट पर नया रुख सामने आया है। उन्होंने घोषणा की है कि जब तक कि यूक्रेन के साथ युद्धविराम और शांति समझौता नहीं हो जाता तब तक वह रूस पर बड़े पैमाने पर बैंकिंग प्रतिबंध, सामान्य प्रतिबंध और टैरिफ लगाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, 'इस तथ्य के आधार पर कि रूस अभी युद्ध के मैदान में यूक्रेन को पूरी तरह कुचल रहा है, मैं रूस पर बड़े पैमाने पर बैंकिंग प्रतिबंध, सामान्य प्रतिबंध और टैरिफ़ लगाने पर जोरदार विचार कर रहा हूं।' उन्होंने रूस और यूक्रेन से अपील की, 'अब मेज पर आएं, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। धन्यवाद!'
ट्रंप का यह बयान तब आया है जब पिछले हफ्ते ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के बीच ओवल ऑफिस में हुई मुलाक़ात ने इस संकट को और जटिल कर दिया था। यह बैठक कभी शिष्टाचार से भरी रही तो कभी गर्मागर्म बहस में बदल गई। यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच ज़ेलेंस्की ट्रंप से समर्थन मज़बूत करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन ट्रंप ने साफ़ कर दिया कि वह इस युद्ध को जल्द ख़त्म करना चाहते हैं। उन्होंने यूक्रेन को शांति समझौते के लिए दबाव डालने की कोशिश की।
ट्रंप ने बैठक में अपनी नाराजगी जाहिर की और ज़ेलेंस्की पर दबाव डाला कि वह शांति समझौते की अनिवार्यता को स्वीकार करें।
ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति को "तानाशाह" कहकर पहले ही अपनी शंका जता दी थी और उनका मानना था कि यूक्रेन इस युद्ध को अनावश्यक रूप से लंबा खींच रहा है। उन्होंने कहा था, 'आप तीसरे विश्व युद्ध के साथ जुआ खेल रहे हैं।' उन्होंने ज़ेलेंस्की से सवाल किया था कि वह युद्धविराम के लिए क्यों तैयार नहीं हैं, जो और खूनखराबे को रोक सकता है।
ट्रंप का यह बयान उनकी विदेश नीति की दोहरी रणनीति को दिखाता है। रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाना और साथ ही दोनों पक्षों को बातचीत के लिए मजबूर करना। रूस पर प्रतिबंधों और टैरिफ की धमकी से वह मॉस्को को कमजोर करना चाहते हैं, जो यूक्रेन पर सैन्य बढ़त बनाए हुए है।
ट्रंप की यह बात कि 'रूस यूक्रेन को कुचल रहा है', ज़ेलेंस्की के लिए अपमानजनक हो सकती है। ज़ेलेंस्की लगातार पश्चिमी हथियारों और समर्थन की मांग कर रहे हैं।
ट्रंप का यह रुख उनकी उस सोच से भी जुड़ा है कि यूक्रेन संकट अमेरिका के संसाधनों का अस्वीकार्य बोझ है। वह बार-बार कहते रहे हैं कि अमेरिका को इस युद्ध में इतना उलझना नहीं चाहिए, खासकर जब रूस के 2022 के आक्रमण को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बिना कारण की आक्रामकता करार दिया था।
ज़ेलेंस्की ने चेतावनी दी है कि जल्दबाजी में युद्धविराम रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फिर से हथियार जमा करने और युद्ध को दोबारा भड़काने का मौका दे सकता है। यूक्रेन का मानना है कि बिना मजबूत शर्तों के शांति समझौता रूस को उसकी आक्रामकता का इनाम देगा। दूसरी ओर, ट्रंप का दबाव यूक्रेन को कमजोर स्थिति में धकेल सकता है, जहां उसे रूस की शर्तों पर झुकना पड़े।
ट्रंप के प्रस्तावित प्रतिबंध रूस की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकते हैं, जो पहले से ही पश्चिमी प्रतिबंधों से जूझ रही है। लेकिन रूस के पास चीन और अन्य सहयोगी देशों का समर्थन है, जो इन प्रतिबंधों के असर को कम कर सकता है। अगर ट्रंप की योजना कामयाब होती है और शांति स्थापित होती है, तो यह उनकी कूटनीतिक जीत होगी। लेकिन अगर यह विफल होता है तो यूरोप में तनाव और बढ़ सकता है।
ट्रंप का यह क़दम एक जोखिम भरा दांव है। वह रूस को दंडित करना चाहते हैं, यूक्रेन को शांति के लिए मजबूर करना चाहते हैं और अमेरिका को इस संकट से बाहर निकालना चाहते हैं। लेकिन ज़ेलेंस्की और पुतिन, दोनों ही अपनी-अपनी शर्तों पर अड़े हुए हैं। यह साफ़ नहीं है कि ट्रंप की यह रणनीति युद्ध को ख़त्म करेगी या इसे और जटिल बनाएगी।
(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)