अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडाई स्टील और धातु आयात पर टैरिफ़ को 50% तक दोगुना करने की अपनी योजना को अचानक रोक दिया। यह फ़ैसला उनकी उस धमकी के चंद घंटों बाद आया, जिसमें उन्होंने कनाडा पर भारी शुल्क बढ़ाने की बात कही थी। हालाँकि, पहले से घोषित 25% टैरिफ 12 मार्च से ही लागू हो गए हैं। यह घटनाक्रम अमेरिका और कनाडा के बीच चल रहे व्यापार युद्ध का ताजा मोड़ है। इससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा असर पड़ने की आशंका बढ़ गई है।
इस फ़ैसले का असर क्या होगा, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर किन परिस्थितियों में ट्रंप ने यू-टर्न लिया। ट्रंप ने हाल ही में कनाडा से आयातित स्टील और धातु पर टैरिफ़ को 50% तक बढ़ाने की धमकी दी थी। यह घोषणा उनकी ‘अमेरिका फ़र्स्ट’ नीति का हिस्सा थी, जिसके तहत वह व्यापार असंतुलन को ठीक करने और अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा देने का दावा करते हैं। लेकिन इस धमकी के कुछ ही घंटों बाद, ट्रंप ने इस योजना को रोक दिया। हालाँकि, पहले से तय 25% टैरिफ को लागू करने में कोई बदलाव नहीं किया गया, और यह बुधवार से प्रभावी हो गया। इस यू-टर्न के पीछे का कारण अभी साफ़ नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि कनाडा के साथ चल रही बातचीत या उसकी ओर से कोई जवाबी क़दम इसकी वजह हो सकता है।
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने टैरिफ़ को लेकर आक्रामक रुख अपनाया और फिर वह पीछे हटे। उनकी रणनीति में अक्सर दबाव बनाना और फिर सौदेबाजी की गुंजाइश रखना शामिल रहा है। इस बार भी यह क़दम उसी पैटर्न का हिस्सा लगता है। 50% टैरिफ की धमकी एक चेतावनी थी, जिसने ओंटारियो को झुकने पर मजबूर किया। लेकिन 25% टैरिफ को लागू रखना दिखाता है कि ट्रंप अपनी सख़्त छवि बनाए रखना चाहते हैं। यह कदम उनकी घरेलू राजनीति को भी मज़बूत कर सकता है, खासकर उन राज्यों में जहां स्टील उद्योग प्रभावशाली है।
ट्रंप के इस फ़ैसले से वैश्विक शेयर बाजारों में अस्थिरता देखी गई। सोमवार को अमेरिकी S&P 500 में 2.7% और नैस्डैक में 4% की गिरावट आई, जो मंगलवार को भी जारी रही। निवेशकों को डर है कि ये टैरिफ स्थायी होंगे या सिर्फ एक सौदेबाजी का हथियार हैं।
अमेरिका और कनाडा के बीच व्यापारिक तनाव कोई नई बात नहीं है। ट्रंप के पिछले कार्यकाल में भी स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ़ लगाए गए थे, जिसके जवाब में कनाडा ने अमेरिकी सामानों पर जवाबी शुल्क लगाए थे। इस बार 25% टैरिफ़ लागू होने से यह तनाव फिर से बढ़ गया है। कनाडा अमेरिका का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है, जो उसे स्टील का 20% और एल्युमीनियम का 50% आपूर्ति करता है। इन टैरिफ़ से कनाडाई निर्यातकों को बड़ा नुक़सान होगा, जबकि अमेरिकी उद्योगों में कच्चे माल की क़ीमतें बढ़ सकती हैं।
यह व्यापार युद्ध दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए जोखिम भरा साबित हो सकता है। कनाडा के लिए अमेरिकी बाजार बेहद अहम है, और टैरिफ़ से उसकी अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा।
दूसरी ओर, अमेरिका में ऑटोमोबाइल, निर्माण और पैकेजिंग जैसे क्षेत्रों में लागत बढ़ने से उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ सकता है। यदि कनाडा जवाबी टैरिफ़ बढ़ाता है, तो यह विवाद वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को भी प्रभावित कर सकता है।
यह घटनाक्रम केवल उत्तरी अमेरिका तक सीमित नहीं है। यदि यह व्यापार युद्ध बढ़ता है, तो वैश्विक स्टील और धातु बाजार में अस्थिरता आ सकती है। अमेरिका को स्टील और एल्युमीनियम निर्यात करने वाला भारत भी इसकी चपेट में आ सकता है। भारत ने 2024 में अमेरिका को $450 मिलियन का प्राइमरी स्टील और $820 मिलियन का एल्युमीनियम निर्यात किया था। यदि कनाडा अपने उत्पादों के लिए वैकल्पिक बाज़ार तलाशता है, तो भारत को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता बढ़ने से भारत की निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ सकता है।
हालाँकि, भारत अभी तक ट्रंप के प्रत्यक्ष निशाने पर नहीं आया है। ट्रंप ने पहले भारत को व्यापार में बड़ा अब्यूजर कहा था, लेकिन इस बार उनका ध्यान कनाडा, मैक्सिको और चीन पर अधिक रहा है। फिर भी, भारत को सतर्क रहने और अपनी व्यापार नीति को मजबूत करने की ज़रूरत है।
ट्रंप का 50% टैरिफ रोकना कनाडा के लिए अस्थायी राहत ज़रूर है, लेकिन 25% टैरिफ़ लागू होना दिखाता है कि वह अपनी कठोर नीति पर कायम हैं। यह फ़ैसला उनकी घरेलू राजनीति को मज़बूत करने का हिस्सा हो सकता है।
अमेरिकी स्टील और धातु उद्योग को समर्थन देने का वादा ट्रंप के समर्थकों के बीच लोकप्रिय है, खासकर उन राज्यों में जहाँ ये उद्योग बड़े पैमाने पर रोजगार देते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे नौकरियाँ बढ़ने की बजाय महंगाई बढ़ने का ख़तरा ज़्यादा है।
कनाडा की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि वह जवाबी क़दमों पर विचार कर रहा है। यदि कनाडा जवाबी टैरिफ़ या अन्य प्रतिबंध लगाता है, तो यह विवाद और गहरा सकता है।
ट्रंप का यह फ़ैसला व्यापार युद्ध में एक नया मोड़ है। 50% टैरिफ़ रोकना राहत की साँस देता है, लेकिन 25% टैरिफ़ लागू होने से तनाव बरकरार है। यह घटनाक्रम दिखाता है कि ट्रंप की नीतियां अप्रत्याशित और आक्रामक बनी रहेंगी। कनाडा के लिए यह समय अपनी रणनीति को मज़बूत करने का है, वरना आर्थिक नुक़सान बढ़ सकता है। वैश्विक स्तर पर यह विवाद अन्य देशों के लिए भी सतर्क करने वाला है कि वे अपनी व्यापार नीतियों को कैसे तैयार करें।
फिलहाल, यह साफ़ है कि अमेरिका और कनाडा के बीच यह टकराव अभी ख़त्म नहीं हुआ है। आने वाले दिनों में दोनों देशों के अगले क़दम इस व्यापार युद्ध की दिशा तय करेंगे। क्या यह शांति की ओर बढ़ेगा, या नई जंग की शुरुआत है?
(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)