श्रीलंका: बदतर हालात, न दवाएं हैं, न बिजली, महंगाई बेकाबू

02:57 pm Mar 30, 2022 | सत्य ब्यूरो

पड़ोसी मुल्क श्रीलंका में हालात दिन पर दिन बदतर होते जा रहे हैं। ईंधन के लिए लोग लंबी कतारों में लगे हैं और बिजली की कमी के कारण लंबे पावर कट झेलने को मजबूर हैं। भयंकर आर्थिक संकट की वजह से लोग परेशान हैं और गुस्से में भी हैं।

दिन पर दिन बिगड़ते जा रहे हालात की वजह से ही श्रीलंका में पेट्रोल पंपों पर फौज को तैनात करना पड़ा है। जरूरी सामानों की जबरदस्त किल्लत है और डॉलर व विदेशी मुद्रा का भी भयंकर संकट है। 

इस वजह से लोग लगातार भारतीय राज्य तमिलनाडु आने को मजबूर हैं।

तमाम सामान इस कदर महंगे हो गए हैं कि लोगों के लिए इन्हें खरीदना मुश्किल हो गया है।

लंबी लाइनों में लगे लोग 

कोलंबो की एक महिला ने न्यूज़ एजेंसी एएफ़पी को बताया कि वह मिट्टी का तेल लेने के लिए 5 घंटे से लाइन में लगी है। महिला ने एजेंसी से कहा कि उसके सामने लाइन में लगे 3 लोग बेहोश हो गए और उसकी भी हालत बेहद खराब हो गई थी। गर्मी बहुत ज्यादा है और इस वजह से लोगों के लिए लंबी लाइनों में लगना बेहद तकलीफ देह है।

स्कूलों में कागज खत्म हो चुके हैं और इस वजह से परीक्षाओं को टालना पड़ा है। एक शख्स ने एएफ़पी को बताया कि वह कोलंबो में पिछले 60 साल से रह रहे हैं लेकिन उन्होंने कभी इस तरह के हालात नहीं देखे। उन्होंने कहा कि न तो कुछ पीने को है और न ही कुछ खाने को जबकि राजनेता ठाठ से रह रहे हैं और हम लोग सड़कों पर भीख मांग रहे हैं। 

मुसीबतों की बारिश 

श्रीलंका बीते कई सालों से मुसीबतों को झेल रहा है। साल 2009 में देश लंबे वक्त तक चले गृह युद्ध से उबर पाया था कि साल 2016 में जबरदस्त सूखा पड़ा और इसके बाद साल 2019 में देश में आतंकवादियों द्वारा बम धमाके हुए। इस वजह से विदेशी लोगों ने यहां आना बंद कर दिया। इसके बाद कोरोना महामारी ने पर्यटन के क्षेत्र को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया और अब रूस-यूक्रेन युद्ध की मार भी यहां के लोगों पर पड़ी है। 

लोग इस बदतर हालात के लिए हुकूमत के खराब प्रबंधन को भी जिम्मेदार मानते हैं।

राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे।

सुसाइ नाम की महिला ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि 3 लोगों के उसके परिवार का हर महीने का खर्च 30,000 श्रीलंकाई रुपए था। लेकिन इस महीने उसका यह खर्च 83,000 रुपए पहुंच गया। महिला ने कहा कि दूध का पाउडर नहीं मिल रहा है और चावल और दाल के लिए भी जबरदस्त संघर्ष करना पड़ रहा है। 7 घंटों तक बिजली नहीं आ रही है और मोमबत्ती भी नहीं है। 

‘…पैसों को खा सकते हैं?’

महिला ने कहा कि पैरासिटामोल की 12 गोलियों की कीमत 420 रुपए हो गई है और कई दवाएं मिल ही नहीं रही हैं। महिला की तनख्वाह 55000 रुपए है और उनका खर्च पति के द्वारा भेजे गए पैसों से चलता है। वह सवाल पूछती हैं कि क्या हम पैसों को खा सकते हैं। 

टैक्सी ड्राइवर रहमान तस्लीम पूछते हैं कि क्या भारत उन्हें शरण देगा या उन्हें दुबई चले जाना चाहिए। इस तरह के हालात कई और लोगों के भी हैं।

श्रीलंका की हुकूमत को उम्मीद है कि उसे दुनिया के बाकी मुल्कों से वित्तीय सहायता मिलेगी। चीन की ओर से चावल, पेट्रोल और गैस हासिल करने की कोशिश की जा रही है। यूनाइटेड नेशनल पार्टी के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे कहते हैं कि यह संकट कम से कम 5 साल तक चलेगा और इसके लिए राजपक्षे सरकार द्वारा आर्थिक नीतियों को उलटफेर किया जाना ही वजह है। 

इस बीच श्रीलंका के वित्त मंत्री वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ के प्रमुखों से मिलने जा रहे हैं। भारत सरकार ने 17 मार्च को श्रीलंका को 1 अरब डॉलर की सहायता दी थी। 

श्रीलंका में जो हालात हैं उसमें लोगों को बुनियादी जरूरतें सही दामों पर कैसे मिलेंगी, यह सबसे बड़ा सवाल है। निश्चित रूप से वहां की हुकूमत हालात को संभालने में नाकामयाब रही है और अगर हालात कुछ दिन और ऐसे ही चले तो लोग सरकार के खिलाफ जबरदस्त विद्रोह कर सकते हैं।