बाइडन- ग़नी बातचीत लीक, पाक बेनकाब, भेजे थे हज़ारों आतंकवादी

08:12 pm Sep 01, 2021 | सत्य ब्यूरो

तालिबान को पालने- पोसने, संगठित और मजबूत करने में पाकिस्तान की भूमिका की बात पहले भी कही जाती थी, पर अब इसका पुख़्ता सबूत सामने आया है, जिससे इनकार करना इसलामाबाद के लिए मुश्किल होगा। 

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और तत्कालीन अफ़ग़ान राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी के बीच हुई अंतिम टेलीफ़ोन बातचीत से पाकिस्तान की भूमिका एकदम साफ हो जाती है। 

इस बातचीत में ग़नी ने कहा,

हम तालिबान के हमले का सामना कर रहे हैं, इसके पीछे पाकिस्तानी योजना और समर्थन है। कम से कम 10 से 15 हज़ार अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी हम पर हमला कर रहे हैं, इनमें ज़्यादातर पाकिस्तानी हैं या पाकिस्तान की ओर से भेजे गए हैं।


अशरफ़ ग़नी, पूर्व राष्ट्रपति, अफ़ग़ानिस्तान

इसके पहले भी अफ़ग़ानिस्तान ने कई बार आतंकवादी गतिविधियों में पाकिस्तान का हाथ होने की बात कही थी। पर यह बातचीत दो देशों के राष्ट्रपतियों के बीच हो रही थी। 

ब्रिटिश समचार एजेन्सी 'रॉयटर्स' को इस बातचीत का ट्रांसक्रिप्ट हाथ लगा। पाकिस्तान ने इसे खारिज कर दिया है और अमेरिकी प्रवक्ता ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। 

यह बातचीत 23 जुलाई को हुई थी और तकरीबन 14 मिनट तक चली थी। 

क्या बात हुई?

इस बातचीत में अमेरिकी राष्ट्रपति ने अफ़ग़ानिस्तान को मदद करने का भरोसा दिया था। उन्होंने बातचीत में कहा, "हम आपको वायु सेना का समर्थन देते रहेंगे।"

इस बातचीत में आगे चल कर जो बाइडन अफ़ग़ान राष्ट्रपति को यह भी याद दिलाते हैं कि उनके पास एक बड़ी और प्रशिक्षित सेना है। वे कहते हैं,

आपके पास स्पष्ट रूप से सबसे अच्छी सेना है। आपके पास अच्छे हथियारों से लैस तीन लाख सैनिक हैं, इन्हें 70-80 हज़ार लोगों का सामना करना है और वे ऐसा करने में सक्षम हैं।


जो बाइडन, राष्ट्रपति, अमेरिका

बाइडन की चेतावनी

जो बाइडन अशरफ़ ग़नी को यह भी चेतावनी देते हैं कि लोगों में उनके बारे में अच्छी धारणा नहीं है। लोगों को ऐसा लगता है कि काबुल सरकार तालिबान से अच्छे से नहीं लड़ रही है। 

बाइडन अफ़ग़ान राष्ट्रपति को सलाह देते हैं कि वे इसे ठीक करने के लिए देश के राजनेताओं की मदद लें और सबको बुला कर एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस करें और उसमें अपनी बातें एकजुट होकर रखें। 

इस बातचीत से यह भी साफ हो जाता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति को इसका कोई अनुमान नहीं था कि इस बातचीत के 23 दिन बाद ही अफ़ग़ान सरकार गिर जाएगी, तालिबान क़ब्ज़ा कर लेगा और ग़नी देश छोड़ कर ही भाग जाएंगे। 

जो बाइडन ने ग़नी से कहा, "हम ज़बरदस्त लड़ाई लड़ेंगे, राजनयिक, राजनीतिक व आर्थिक और यह सुनिश्चित करेंगे कि न सिर्फ आपकी सरकार बची रहे बल्कि मजबूत हो और बढ़े।" 

अनुमान ग़लत साबित

लेकिन ये सारे अनुमान ग़लत साबित हुए। इस बातचीत के सिर्फ 23 दिन बाद तालिबान के लड़ाके काबुल तक पहुँच गए और अशरफ़ ग़नी ने बग़ैर लड़ाई लड़े हथियार डाल दिया और देश छोड़ कर चले गए। 

मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि अशरफ़ ग़नी अपने साथ बहुत सारा पैसा ले गए, हालांकि ग़नी ने इससे इनकार किया था।

उन्होंने कहा था कि ख़ून-खराबा रोकने के लिए वे देश छोड़ कर चले गए।