ईरान में प्रदर्शनकारी की सरेआम फांसी, यूएस ने निन्दा की

01:02 pm Dec 13, 2022 | सत्य ब्यूरो

ईरान में आम लोगों का उत्पीड़न बढ़ रहा है। सरकार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल 23 साल के युवक को मशहद में कल सोमवार को सार्वजनिक रूप से फांसी दी गई। हालांकि इससे पहले भी एक प्रदर्शनकारी को फांसी दी गई थी लेकिन उसका सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं किया गया था। ईरान में चल रहे उत्पीड़न के खिलाफ दुनिया के तमाम देशों में प्रदर्शन हो रहे हैं। उन देशों में रह रहे ईरानी नागरिक उन देशों से अपने-अपने राजदूत को वापस बुलाने की मांग कर रहे हैं।

ईरान की एक कोर्ट ने माजिद रजा रहनवरद को फांसी की सजा सुनाई थी। यह मुकदमा 23 दिनों तक चला था। बीबीसी के मुताबिक जिस युवक को फांसी दी गई उसका नाम माजिद रजा रहनवरद था। अमेरिका ने इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ईरान अपने नागरिकों से डर गया है। उसने इस घटना की निन्दा की है। ईरान में लंबे समय से अशांति चल रही है। वहां 23 साल की युवती महसा अमीनी की मॉरल पुलिस की हिरासत में मौत होने के बाद ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन भड़क उठे थे।

बीबीसी के मुताबिक माजिद रजा पर आरोप था कि उसने ईरान सुरक्षा बल के दो अधिकारियों की छुरा घोंपकर हत्या कर दी थी। ईरान के सुरक्षा बलों ने उसे गिरफ्तार किया था और 23 दिनों बाद उसे सार्वजनिक रूप से फांसी दे दी गई। फांसी के बाद उनकी मां को फांसी के बारे में नहीं बताया गया। परिवार को कब्रिस्तान बहिश्त-ए-रजा जाने को कहा गया था। बीबीसी के मुताबिक जब वे वहां पहुंचे तो सुरक्षा एजेंट माजिद रजा के शव को दफना रहे थे।

ट्विटर पर एक नागरिक अधिकार समूह ने कहा कि माजिद रजा के परिवार को सोमवार सुबह 7 बजे एक अधिकारी ने फोन किया और बताया: हमने आपके बेटे को फांसी दे दी है और उसके शव को बहिश्त-ए-रजा कब्रिस्तान में दफन कर दिया है। उन्होंने माजिद की मां को कब्र के पास आने की अनुमति दी, और फांसी के बारे में कोई बात नहीं की। मां को यही उम्मीद है कि उनका बेटा जल्द ही रिहा हो जाएगा। 

ईरानी युवक माजिद रजा रहनवरद, जिसे सोमवार को सार्वजनिक फांसी दी गई थी।

बीबीसी ने मिजान न्यूज एजेंसी के हवाले से बताया कि माजिद रजा को "मशहदी नागरिकों के एक समूह की उपस्थिति में" फांसी दी गई थी और उसकी कई तस्वीरें पोस्ट कीं जो कथित तौर पर फांसी दिखाती थीं। माजिद पर बिना मुकदमा चलाए फांसी दी गई। उन्हें उनकी पसंद का वकील भी नहीं दिया गया। जो वकील उन्हें दिया गया था, उसने बचाव नहीं किया।

ईरान में सरकार विरोधी प्रदर्शन महिलाओं के नेतृत्व में शुरू हुआ था। 13 सितंबर को महसा अमीनी को ईरान की मॉरल पुलिस ने "अनुचित तरीके से" हिजाब नहीं पहनने के आरोप में हिरासत में लिया था। उसकी मौत के बाद ईरान में प्रदर्शन शुरू हुए थे। 

सरकार विरोधी प्रदर्शन ईरान में 31 राज्यों के 161 शहरों में फैल गए। 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान के लिए ऐसे प्रदर्शन सबसे गंभीर चुनौती बन गए। ईरान के नेताओं ने विरोध को देश के विदेशी दुश्मनों द्वारा उकसाए गए "दंगों" के रूप में चित्रित किया है।

इन विरोध प्रदर्शनों में हिंसा के आरोपी मोहसिन शेखारी को 8 दिसंबर को फांसी दी गई थी। मोहसिन पर आरोप था कि उसने सुरक्षा बलों के सदस्य पर चाकू से हमला किया था। उसे रंगे हाथों पकड़ा गया था। ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स न्यूज एजेंसी (HRANA) के अनुसार, अब तक कम से कम 488 प्रदर्शनकारियों को सुरक्षा बलों ने मार डाला है और 18,259 अन्य को हिरासत में लिया गया है। प्रदर्शनों के दौरान ईरान के 62 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे।

अमेरिका का बयानः विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, "हम कड़े शब्दों में ईरान के इस कदम की निन्दा करते हैं। यह सार्वजनिक फांसी ईरान के लोगों को डराने के लिए है। ईरान जनता के असंतोष को दबाने के लिए यह सब कर रहा है। यह फांसी बताती है कि ईरानी नेतृत्व वास्तव में अपने ही लोगों से कितना डरता है। अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा कि सभ्य समाज में फांसी की कोई मान्यता नहीं है।

एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को कहा कि ईरानी अधिकारियों द्वारा निर्दोष नागरिकों की मनमानी गिरफ्तारी, सुरक्षा बलों द्वारा गैर-कानूनी ढंग से मारे गए युवकों के रिश्तेदारों को डराना-धमकाना ईरानी शासन के एक क्रूर और भयावह प्रयास का हिस्सा है।

48 पन्नों की एक रिपोर्ट में, एमनेस्टी ने ईरान के सुरक्षा बलों द्वारा कम से कम 44 किशोरों-युवकों की गैरकानूनी हत्याओं के साथ-साथ उनके शोक संतप्त परिवारों के खिलाफ डराने-धमकाने के एक क्रूर अभियान का हिस्सा बताया है। 

रिसर्च से पता चलता है कि ईरानी सुरक्षा बलों ने ऐसे युवकों के शरीर पर गोलियां मारी गईं, कुछ को गोलों से उड़ा दिया गया। चार लड़कियां और एक लड़का लगातार घातक पिटाई की चोटों से मर गए। पीड़ितों में 39 लड़के शामिल हैं, जिनकी उम्र दो से 17 साल के बीच है, और पांच लड़कियां हैं, जिनमें से तीन 16 साल की हैं, एक 17 साल की और दूसरी छह साल की थी। 

एमनेस्टी के रिसर्च से पता चलता है कि ईरानी अधिकारियों ने बाल पीड़ितों के परिवारों को नियमित रूप से परेशान किया है और उन्हें चुप कराने के लिए मजबूर किया है। 30 अक्टूबर को पश्चिम अजरबैजान राज्य में सुरक्षा बलों की फायरिंग में मारे गए 16 वर्षीय कुर्द लड़के, कौमार दारोफ्तदेह के पिता ने 13 नवंबर को एक स्वतंत्र रेडियो फ़र्डा को दिए गए इंटरव्यू में कहा था: उन्होंने (सुरक्षा और खुफिया एजेंटों) ने मुझे बुलाया और बेटे के मारे जाने के बारे में सूचना दी। अधिकारियों ने मेरे बेटे को मार डाला और उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। 

लगभग तीन महीने पहले विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद एमनेस्टी ने कुल मिलाकर मरने वालों की संख्या 300 से अधिक बताई है। सुरक्षा बलों द्वारा की गई हत्याओं को लेकर एमनेस्टी की जाँच जारी है।