हेनरी किसिंजर का 100 साल की आयु में निधन, कौन था यह शख्स, जानिए

04:52 pm Nov 30, 2023 | सत्य ब्यूरो

अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता हेनरी किसिंजर का बुधवार को 100 वर्ष की आयु में कनेक्टिकट स्थित उनके घर पर निधन हो गया। किसिंजर अपनी शताब्दी (इस वर्ष मई में) के बाद से सक्रिय थे, उन्होंने व्हाइट हाउस में बैठकों में भाग लिया था।उनकी एक पुस्तक हाल ही में आई थी और उत्तर कोरिया के परमाणु खतरे के बारे में सीनेट समिति के सामने गवाही दी थी। जुलाई 2023 में, उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने के लिए बीजिंग का अचानक दौरा किया। कहने का आशय यह है कि मरते दम तक यह बुजुर्ग अमेरिकी विदेश नीति को अपने ढंग से समृद्ध करता रहा। 

1970 के दशक में, रिपब्लिकन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के कार्यकाल में कई ऐसी ग्लोबल घटनाएं हुईं जिन्होंने पूरी दुनिया को प्रभावित किया और इसके पीछे हेनरी किसिंजर का ही दिमाग था। जर्मनी में जन्मे इस यहूदी रिफ्यूजी की मदद से अमेरिका-चीन में कूटनीतिक शुरुआत हुई, ऐतिहासिक अमेरिकी-सोवियत हथियार नियंत्रण वार्ता हुई। इज़राइल और उसके अरब पड़ोसियों के बीच संबंधों का विस्तार हुआ और उत्तरी वियतनाम के साथ पेरिस शांति समझौता हुआ।

अमेरिकी विदेश नीति के प्रमुख शिल्पी के रूप में किसिंजर का शासन 1974 में निक्सन के इस्तीफे के साथ रुका। लेकिन वो उसके बाद राष्ट्रपति गेराल्ड फोर्ड के साथ भी एक राजनयिक ताकत बने रहे और जीवन भर मजबूत राय पेश करते रहे।

कई लोगों ने किसिंजर की प्रतिभा और व्यापक अनुभव के लिए सराहना की, दूसरों ने उन्हें विशेष रूप से लैटिन अमेरिका में कम्युनिस्ट विरोधी तानाशाही के समर्थन के लिए युद्ध अपराधी करार दिया। उनके बाद के वर्षों में, उनकी यात्राएँ अन्य देशों द्वारा उन्हें गिरफ्तार करने या पिछली अमेरिकी विदेश नीति के बारे में पूछताछ करने के प्रयासों तक सीमित थीं।

उन्हें 1973 में मिला नोबेल शांति पुरस्कार अब तक के सबसे विवादास्पद पुरस्कारों में से एक था। नोबेल समिति के दो सदस्यों ने चयन को लेकर ऐतराज कर दिया और कंबोडिया पर अमेरिकी गुप्त बम विस्फोट को लेकर सवाल उठाए। पूर्व राष्ट्रपति गेराल्ड फोर्ड ने किसिंजर को "सुपर सेक्रेटरी ऑफ स्टेट" कहा था। यानी सुपर विदेश मंत्री। लेकिन दुनिया ने उन्हें कंजूस से लेकर आत्मुग्ध आलोचक और अहंकारी तक कहा। लेकिन फोर्ड का मानना था कि "हेनरी ने अनजाने में भी कभी कोई गलती नहीं की।"

अपनी उदासी भरी अभिव्यक्ति और गंभीर जर्मन-उच्चारण वाली आवाज की वजह से किसिंजर शायद ही सोशल सर्किल में लोकप्रिय थे। वो व्यक्तिगत मुद्दों को लेकर ज्यादा बात नहीं करते थे। उनका जीवन उस तरह से सामाजिक रूप से खुला नहीं था, आमतौर पर यूएस के राजनीतिक लोग जिस तरह होते हैं। एक बार उन्होंने एक पत्रकार से कहा था कि वो खुद को एक काऊब्वॉय हीरो के रूप में देखते हैं।

हेंज अल्फ्रेड किसिंजर का जन्म 27 मई, 1923 को जर्मनी के फ़र्थ में हुआ था और यूरोपीय यहूदियों को ख़त्म करने के नाजी अभियान से पहले 1938 में अपने परिवार के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए थे। हेनरी किसिंजर 1943 में अमेरिकी नागरिक बन गए। द्वितीय विश्व युद्ध में वो यूरोप की सेना में रहे। फिर स्कॉलरशिप मिलने पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय गए। वहां से  1952 में मास्टर डिग्री और 1954 में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। अगले 17 वर्षों में वो हार्वर्ड में पढ़ाते रहे। 

उस समय के अधिकांश समय के दौरान, किसिंजर ने सरकारी एजेंसियों के सलाहकार के रूप में भी कार्य किया। जिसमें 1967 में उन्होंने वियतनाम में अमेरिकी मध्यस्थ के रूप में कार्य किया था। उन्होंने निक्सन खेमे को शांति वार्ता के बारे में जानकारी देने के लिए राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन के प्रशासन के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल किया। यह उनके लिए गेम चेंजर रहा। जब निक्सन ने वियतनाम युद्ध को समाप्त करने का ऐलान किया तो निक्सन 1968 के राष्ट्रपति चुनाव में जीत गए। जीतने के बाद निक्सन ने पहला काम किसिंजर को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में व्हाइट हाउस में लाने का किया। फिर 1973 में उन्हें अमेरिका का विदेश मंत्री बनाया गया। उसके बाद कई ऐतिहासिक घटनाएं उनके नाम दर्ज हैं। वो अमेरिकी राजनीतिक इतिहास में न भूलने वाले व्यक्तित्व हैं।