ट्रंप का नस्ल को लेकर हमला- 'अश्वेत या भारतीय?' जानें, कमला हैरिस का जवाब

05:36 pm Aug 01, 2024 | सत्य ब्यूरो

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में अब नस्लीय पहचान का मुद्दा उठ गया है। डोनल्ड ट्रंप ने ही यह मुद्दा उठाया है और उन्होंने अपनी विरोधी उम्मीदवार कमला हैरिस की नस्लीय पहचान पर सवाल खड़ा कर दिया है। दरअसल, ट्रंप ने अश्वेत पत्रकारों के लिए एक सम्मेलन में तीखी बहस के दौरान कमला हैरिस की नस्लीय पहचान पर सवाल उठाया। अमेरिका में अश्वेतों की बड़ी आबादी है और जाहिर तौर पर हर उम्मीदवार अश्वेतों को लुभाने की कोशिश करता है। समझा जाता है कि ट्रंप इसी को लेकर कमला हैरिस की नस्लीय पहचान पर सवाल उठाया है।

ट्रंप ने दावा किया कि उपराष्ट्रपति और संभावित डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस ने हाल तक अपनी एशियाई-अमेरिकी विरासत पर जोर दिया था। उन्होंने दावा किया कि अब वह एक अश्वेत व्यक्ति बन गईं। शिकागो में बुधवार को नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्लैक जर्नलिस्ट्स के सम्मेलन में उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता था कि वह कई साल पहले तक अश्वेत थी, जब वह संयोग से अश्वेत हो गई और अब वह अश्वेत के रूप में जानी जाना चाहती है।' उन्होंने कहा, 'तो मुझे नहीं पता- वह भारतीय हैं या अश्वेत?'

ट्रंप के इस बयान पर कमला हैरिस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि ट्रंप की टिप्पणी विभाजनकारी और अपमानजनक है। उन्होंने कहा कि ट्रंप 'वही पुराना राग अलाप' रहे हैं।

द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार ह्यूस्टन में ऐतिहासिक रूप से अश्वेत सोरोरिटी सिग्मा गामा रो की एक बैठक में उन्होंने कहा, 'और यह वही पुराना राग था: विभाजन और अपमान। और मैं बस इतना कहना चाहती हूँ कि अमेरिकी लोग इससे बेहतर के हकदार हैं। अमेरिकी लोग ऐसे नेता के हकदार हैं जो सच बोलता हो। ऐसा नेता जो तथ्यों का सामना करने पर शत्रुता और क्रोध से प्रतिक्रिया न करे। हम ऐसे नेता के हकदार हैं जो यह समझता हो कि हमारे मतभेद हमें बाँटते नहीं- वे हमारी ताकत का एक अनिवार्य स्रोत हैं।'

कमला हैरिस पहली अश्वेत और एशियाई-अमेरिकी उपराष्ट्रपति हैं, जिनके माता-पिता भारतीय और जमैका में जन्मे। उन्होंने ऐतिहासिक रूप से अश्वेत विश्वविद्यालय हावर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन किया और मुख्य रूप से अश्वेत अल्फा कप्पा अल्फा सोरोरिटी में शामिल हुईं। 2017 में सीनेट में प्रवेश करने के बाद वह कांग्रेसनल ब्लैक कॉकस की सदस्य बन गईं। 

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे ने कहा कि किसी को भी 'किसी को यह बताने का कोई अधिकार नहीं है कि वे कौन हैं, वे किस तरह से पहचाने जाते हैं। यह किसी का अधिकार नहीं है।' न्यूयॉर्क के प्रतिनिधि रिची टोरेस ने पूछा, 'डोनल्ड ट्रंप को अश्वेतों का रहनुमा किसने नियुक्त किया?' उन्होंने ट्रंप को पहले 'नस्लवादी' होने का आरोप लगाया। पूर्व राष्ट्रपति का नस्ल के आधार पर अपने विरोधियों पर हमला करने का इतिहास रहा है। उन्होंने देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बराक ओबामा पर अमेरिका में पैदा न होने का झूठा आरोप लगाया था। ट्रंप ने अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी निक्की हेली पर झूठा दावा करके हमला किया कि वह राष्ट्रपति नहीं बन सकतीं क्योंकि उनके जन्म के समय उनके माता-पिता अमेरिकी नागरिक नहीं थे। 

वैसे, ट्रंप की इमेज एक ऐसे नेता के रूप में है जो बदज़ुबानी के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि वह अहंकारी हैं और बड़बोले भी। झूठ बोलने का तो जैसे उन्होंने रिकॉर्ड ही बना लिया है। ट्रंप अपने कई झूठों को लेकर चर्चित रहे हैं। ट्रंप के बारे में मशहूर है कि वह न केवल झूठ बोलते हैं बल्कि बेशर्मी से भी बोलते हैं।

जून, 2017 में ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने ट्रंप के झूठ और ग़लत तथ्यों की एक सूची छापी थी। अख़बार ने लिखा था कि अमेरिका के इतिहास में ऐसा कोई भी राष्ट्रपति नहीं पैदा हुआ है जिसने झूठ बोलने में इतना वक़्त गँवाया हो। अमेरिका के तमाम मीडिया हाउसों ने राष्ट्रपति बनने के बाद से ट्रंप के दस हज़ार से ज़्यादा झूठों का संकलन किया है।

डोनल्ड ट्रंप वो सख्स हैं जिन्होंने राष्ट्रपति रहने के दौरान दो बार महाभियोगों का सामना किया। उनपर कैपिटल हिल बिल्डिंग में हिंसा के लिए आरोप लगाए गए। पिछले साल यूएस कैपिटल पर भीड़ के हमले की जांच कर रहे एक कांग्रेस पैनल ने कहा था कि तब चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए ट्रंप ने सत्ता में बनने रहने के लिए तख्तापलट की कोशिश की थी। इसने यह भी कहा था कि तब ट्रंप ने अपने कथित भड़काऊ बयान से अपने समर्थकों की भीड़ को इकट्ठा किया और 'हमले के लिए भड़काया'।