कैपिटल बिल्डिंग यानी अमेरिकी संसद हिंसा मामले में भड़काऊ भाषण के आरोपों से अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को सीनेट में बरी कर दिया गया है। अमेरिकी संसद के ऊँच सदन सीनेट में महाभियोग के प्रस्ताव पर बहस और वोटिंग के बाद यह फ़ैसला लिया गया। 6 जनवरी 2021 वॉशिंगटन के कैपिटल बिल्डिंग हिंसा के बाद ट्रंप के ख़िलाफ़ दूसरी बार महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। हालाँकि इसमें सीनेट के अधिकतर रिपब्लिकन सदस्यों ने पूर्व राष्ट्रपति को दंडित करना चाहा लेकिन दो-तिहाई सदस्यों का आँकड़ा नहीं पहुँच सकने के कारण महाभियोग प्रक्रिया को ख़त्म करना पड़ा।
इस मामले में पाँच दिन तक सीनेट में बहस हुई। आख़िरी दिन शनिवार को इस पर वोटिंग कराई गई। डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं की ओर से 6 जनवरी के दंगों के वीडियो के आधार पर तर्क दिया गया कि ट्रम्प ने सत्ता में बने रहने की अंतिम कोशिश में अपने समर्थकों को कांग्रेस पर धावा बोलने का कहते हुए अपनी शपथ का उल्लंघन किया।
ट्रंप के ख़िलाफ़ 57 सीनेटर ने वोट किया जबकि पक्ष में सिर्फ़ 43 वोट ही पड़े। अधिकतर संख्या में सीनेटरों के ट्रंप के ख़िलाफ़ होने के बावजूद महाभियोग की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी और उनको दोषी नहीं ठहराया जा सका। ऐसा इसलिए कि ट्रंप को दोषी ठहराने के लिए सीनेट में दो तिहाई वोट ज़रूरी था।
सीनेट के इस फ़ैसले का ट्रंप ने स्वागत किया और कहा कि उनका राजनीतिक आंदोलन 'अभी शुरू ही हुआ है।' ट्रम्प ने सीनेट वोट के कुछ ही समय बाद जारी एक बयान में कहा, 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन के लिए हमारा ऐतिहासिक, देशभक्ति और शानदार आंदोलन अभी शुरू ही हुआ है।'
इसके साथ ही ट्रंप ने कहा कि उनको अभी बहुत काम बाक़ी है। ट्रम्प ने कहा, 'हमारे पास आगे बहुत काम है, और जल्द ही हम एक उज्ज्वल, और असीम अमेरिकी भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण के साथ उभरेंगे।'
सीनेट में हिंसा के लिए दोषी नहीं ठहराए जाने से ट्रंप उत्साहित दिखे। माना जा रहा है कि ट्रंप की अभी भी रिपब्लिकन पार्टी में गहरी पैठ है और उसी का नतीजा है कि महाभियोग प्रक्रिया सीनेट में आगे नहीं बढ़ सकी।
रिपब्लिकन सदस्यों ने डोनल्ड ट्रंप के तर्कों पर विश्वास किया। बता दें कि ट्रंप के वकीलों ने सीनेट में साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए कहा है कि उन पर हिंसा भड़काने का जो आरोप लगाया गया है, वह एक ‘बहुत बड़ा झूठ’ है। 'बीबीसी' के अनुसार, वकील माइकल वैन डेर वीन ने कहा कि ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग की कार्यवाही राजनीति से प्रेरित है।
बचाव पक्ष ने सबूतों के साथ तर्क देते हुए कि हिंसा से पहले उस रैली में ट्रम्प ने समर्थकों से 'नरक जैसी लड़ाई लड़ने के लिए कहना सिर्फ़ बयानबाज़ी थी'। लेकिन उनका मुख्य तर्क यह था कि सीनेट के पास पूर्व राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ ऐसी कार्रवाई की कोशिश करने का कोई संवैधानिक अधिकार क्षेत्र नहीं है। इस पर अधिकांश रिपब्लिकन सीनेटर सहमत हुए।
लेकिन उन्हीं आधारों पर बरी होने के लिए वोट देने वाले सीनेट में ताक़तवर अल्पसंख्यक नेता मिच मैककोनेल ने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं है कि ट्रम्प के कारण दंगा हुआ।
वीडियो में देखिए, अमेरिका में हमला भारत के लिए चेतावनी?
बता दें कि कैपिटल बिल्डिंग हिंसा के लिए ट्रंप की आलोचना की जाती रही है। यह इसलिए कि जिस यूएस कैपिटल या कैपिटल बिल्डिंग में हिंसा हुई वहीं पर जो बाइडन की जीत को प्रमाण पत्र मिलने से पहले ट्रंप ने वाशिंगटन में एक रैली में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था। इसमें उन्होंने कहा था कि 'हम कभी हार नहीं मानेंगे।' उन्होंने भीड़ को भड़काते हुए कहा, 'आप कमज़ोरी से अपना देश फिर हासिल नहीं कर सकते।' ट्रंप ने भीड़ को कैपिटॉल की ओर कूच करने को कहा था।
ट्रंप के भाषण के बाद ही उनके समर्थकों ने कैपिटल बिल्डिंग में घुसने की कोशिश की और हिंसात्मक प्रदर्शन किया था। इस हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गई। ट्रम्प समर्थक प्रदर्शनकारियों द्वारा कैपिटल बिल्डिंग में घुसने और हिंसा किये जाने को जो बाइडन को राष्ट्रपति नियुक्त करने में संसद की कार्यवाही में बाधा डालने के प्रयास के तौर पर देखा गया।
हालाँकि दुनिया डोनल्ड ट्रंप के जिस 'भड़काऊ' भाषण को कैपिटल बिल्डिंग हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराती रही उसको उन्होंने उस घटना के क़रीब एक हफ़्ते बाद खारिज कर दिया था। ट्रंप ने अपने भाषण को पूरी तरह सही ठहराया था। अपने ख़िलाफ़ संभावित महाभियोग शुरू होने से एक दिन पहले यानी जनवरी महीने में ट्रंप कैपिटल बिल्डिंग हिंसा से पहले दिए गए अपने भाषण पर बोले थे।
ट्रम्प ने अपने ख़िलाफ़ संभावित महाभियोग को 'राजनीति के इतिहास में सबसे बड़ा विचहंट' क़रार दिया था। इसके साथ ही उन्होंने अपने समर्थकों को चेताया कि आपको हमेशा हिंसा से बचना है।
उस बयान से एक हफ़्ते पहले जारी बयान में ट्रंप ने कैपिटल बिल्डिंग यानी अमेरिकी संसद भवन हिंसा की निंदा की थी। उन्होंने एक वीडियो मैसेज में हमले को जघन्य हमला क़रार दिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि वह 'अराजकता और उत्पात' से गु़स्से में हैं। क़रीब ढाई मिनट के अपने वीडियो संदेश में उन्होंने कई चीज़ों पर सफ़ाई दी थी लेकिन तब न तो अपने भाषण और न ही हिंसा भड़काने में अपनी भूमिका के बारे में कुछ बोला था। जबकि ट्रंप पर सबसे ज़्यादा आरोप यही लग रहा था कि उनके कथित भड़काऊ भाषण के बाद ही उनके समर्थकों ने हिंसा की।