अफ़ग़ानिस्तान में भूकंप से 2000 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई है। तालिबान सरकार ने कहा है कि शनिवार को अफ़ग़ानिस्तान में विनाशकारी भूकंप आया। हज़ारों लोगों की मौत के अलावा 9,000 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। यह घटना पिछले कई वर्षों में भूकंप-संभावित पर्वतीय क्षेत्र में आए सबसे घातक झटकों में से एक है। शनिवार को पश्चिमी अफगानिस्तान में 6.3 तीव्रता के भूकंप और उसके बाद आए तेज झटकों में बड़े पैमाने पर नुक़सान हुआ है।
तालिबान के एक प्रवक्ता ने रविवार को कहा कि पश्चिमी अफगानिस्तान में आए शक्तिशाली भूकंपों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 2,000 हो गई है। उसने कहा है कि यह देश में दो दशकों में आए सबसे घातक भूकंपों में से एक है। प्रवक्ता ने तत्काल मदद की अपील की है।
इस भूकंप की वजह से टेलीफोन लाइन ठप हो गई। सोशल मीडिया पर आई तस्वीरों में घर मलबे में तब्दील हुए दिखते हैं। कुछ तस्वीरों में दिखता है कि लोग अपने घरों के बाहर सड़कों पर बैठे हैं। तालिबान ने इस भूकंप में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण ने कहा है कि भूकंप का केंद्र हेरात शहर से क़रीब 40 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में था। कुछ समय के अंतराल पर ही 6.3, 5.9 और 5.5 तीव्रता के तीन झटके महसूस किए गए।
एपी की रिपोर्ट के अनुसार सूचना एवं संस्कृति मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल वाहिद रेयान ने कहा कि हेरात में भूकंप से मरने वालों की जो संख्या बताई जा रही है वह वास्तविक में कहीं ज़्यादा होगी। उन्होंने कहा कि लगभग छह गांव नष्ट हुए हैं और सैकड़ों लोग मलबे में दबे हैं।
मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के एक अपडेट में कहा गया है कि 465 घर तबाह हो गए हैं और 135 अन्य क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि हताहतों की संख्या बढ़ने का अनुमान है क्योंकि खोज और बचाव प्रयास जारी हैं, कुछ लोग ढही हुई इमारतों के नीचे फंसे हो सकते हैं। यूनिसेफ ने भूकंप के बाद की कुछ तस्वीरें जारी की हैं।
अफगानिस्तान में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि उसने हताहतों को अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए ज़ेंडा जान में 12 एम्बुलेंस कारें भेजीं।
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने कहा, 'चूंकि भूकंप से मौतों और हताहतों की संख्या लगातार आ रही है, टीमें अस्पतालों में घायलों के इलाज में सहायता कर रही हैं और अतिरिक्त जरूरतों का आकलन कर रही हैं। डब्ल्यूएचओ समर्थित एम्बुलेंस प्रभावित लोगों को ले जा रही हैं, जिनमें से ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं।'