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विश्व बैंक ने भारत के विकास के अनुमान को घटाकर 8% क्यों किया?

विश्व बैंक ने भारत के विकास के अनुमान को घटाकर 8% क्यों किया?

विश्व बैंक ने किस आधार पर भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर के अनुमानों को घटाया? जानिए, पाकिस्तान और दूसरे दक्षिण एशियाई देशों के बारे में इसने क्या कहा है।

विश्व बैंक ने बुधवार को भारत के लिए अपने आर्थिक विकास दर के पूर्वानुमानों में कटौती की है। इसने दक्षिण एशियाई क्षेत्र की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत के लिए अपने विकास अनुमान को चालू वित्त वर्ष में मार्च 2023 तक के लिए 8.7% से घटाकर 8% कर दिया है। 

बैंक ने कहा है कि भारत में कोरोना महामारी से श्रम बाजार को पूरी तरह उबरने में दिक्कतों और मुद्रास्फीति के दबाव से घरेलू खपत बाधित होगी। बता दें कि इसी हफ्ते जारी आँकड़ों में कहा गया है कि मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर 6.95 फ़ीसदी रही है। यह लगातार तीसरा महीना है जब महंगाई दर रिजर्व बैंक द्वारा तय सीमा से ऊपर है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस महंगाई को 6 प्रतिशत की सीमा के अंदर रखने का लक्ष्य रखा है। यानी मौजूदा महंगाई की दर लगातार तीसरे महीने ख़तरे के निशान के पार है और लगातार बढ़ रही है।

इसके साथ ही विश्व बैंक ने दक्षिण एशियाई देशों के लिए विकास दर में कटौती की है। इस कटौती के पीछे मुख्य वजह यूक्रेन संकट के कारण बढ़ती महंगाई और आपूर्ति शृंखाल में आ रही बाधाओं को बताया गया है। बैंक ने कहा है कि इसने पूरे दक्षिण एशिया के लिए विकास दर के अनुमान को घटाकर 6.6% कर दिया है।

'रायटर्स' की रिपोर्ट के अनुसार विश्व बैंक के दक्षिण एशिया के उपाध्यक्ष हार्टविग शेफ़र ने एक बयान में कहा, 'यूक्रेन में युद्ध के कारण तेल और खाद्य पदार्थों की ऊंची क़ीमतों का लोगों की वास्तविक आय पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।'

विश्व बैंक ने जून में समाप्त होने वाले चालू वर्ष के लिए क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पाकिस्तान के लिए अपने विकास पूर्वानुमान को 3.4% से बढ़ाकर 4.3% कर दिया और अगले वर्ष के विकास के दृष्टिकोण को 4% पर अपरिवर्तित रखा है।

विश्व बैंक ने जीवाश्म ईंधन के बड़े आयात और रूस और यूक्रेन से पर्यटन आगमन में कमी का हवाला देते हुए मालदीव के लिए इस साल के विकास के अनुमान को 11% से घटाकर 7.6% कर दिया। इसने संकटग्रस्त श्रीलंका के 2022 के विकास के अनुमान को 2.1% से बढ़ाकर 2.4% कर दिया है। 

बहरहाल, भारत की विकास दर को लेकर दूसरी रिपोर्टें भी काफ़ी उत्साहजनक नहीं हैं। फ़रवरी के आख़िर में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी एनएसओ द्वारा जारी राष्ट्रीय आय के दूसरे अग्रिम अनुमानों में कहा गया था कि भारत की जीडीपी चालू वित्त वर्ष में 8.9 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। यह पहले के 9.2 प्रतिशत के अनुमान से काफ़ी कम थी। एनएसओ ने 9.2 फ़ीसदी का यह अनुमान जनवरी में ही जारी किया था। तब तो भारतीय रिज़र्व बैंक ने 9.5 फ़ीसदी का अनुमान लगाया था।

अनुमान घटाए जाने का सबसे बड़ा कारण तो यह है कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 5.4 फ़ीसदी ही रही है। 

आँकड़ों से पता चलता है कि आठ बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में वृद्धि भी जनवरी में उससे पिछले महीने के 4.1% से घटकर 3.7% हो गई। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में आठ प्रमुख उद्योगों की भागीदारी 40.27% है। चौथी तिमाही के लिए 4.8 प्रतिशत की वृद्धि दर मानकर ही तब इस पूरे वित्त वर्ष के लिए 8.9 प्रतिशत जीडीपी का अनुमान लगाया गया था।

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