'अमेरिका में नस्लवाद पर मुहम्मद अली ने मेडल नदी में फेंका था, अब भारत में तैयारी'
'इतिहास खुद को दोहरा रहा है'। सोशल मीडिया पर यह लिखते हुए दावा किया गया है कि जो दशकों पहले अमेरिका में हुआ था अब भारत में हो रहा है। तब अमेरिका में नस्लवाद के ख़िलाफ़ वहाँ के एक प्रसिद्ध खिलाड़ी मुहम्मद अली ने विरोध में अपना मेडल नदी में बहा दिया था। अब भारत में यौन उत्पीड़न के आरोपी पर कार्रवाई नहीं होने पर गोल्ड मेडलिस्ट अपने-अपने मेडल गंगा नदी में बहाने जा रहे हैं।
प्रदर्शन करने वाले पहलवानों का हिस्सा रहे गोल्ड मेडलिस्ट बजरंग पुनिया ने आज जब घोषणा की कि वे अपने मेडल को गंगा नदी में बहाने जा रहे हैं तो सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएँ आईं। राहुल ताहिलानी नाम के यूज़र ने लिखा, '1960 - मुहम्मद अली ने नस्लवाद का सामना करने के बाद अपना ओलंपिक स्वर्ण पदक ओहियो नदी में फेंक दिया था। 2023 - भारतीय महिला पहलवान न्याय न मिलने पर अपने मेडल गंगा नदी में फेंकेंगी!'
1960 - Muhammad Ali threw his Olympics gold medal in Ohio river after facing racism.
— Rahul Tahiliani (@Rahultahiliani9) May 30, 2023
2023 - Indian women #wrestlers to throw their medals in Ganga river after failing to get justice! 💔 pic.twitter.com/VKGwKoGIUw
ऐसी प्रतिक्रियाएँ तब आई हैं जब पहलवान खिलाड़ी मेडल फेंकने की बात कर रहे हैं। बजरंग पुनिया ने लिखा है कि "28 मई को हमारे साथ जो हुआ आप सब ने देखा है। पुलिस ने हमारे साथ क्या व्यवहार किया। हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे, हमारे आंदोलन की जगह को भी छीन लिया गया और उसे तहस नहर कर दिया गया। अगले दिन हमारे ही ऊपर एफआईआर कर दी गई।"
बजरंग पुनिया ने सवाल किया है कि क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांगकर अपराध किया है। पहलवानों ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि अपने मेडल हरिद्वार में गंगा में आज शाम बहाने के बाद वे दिल्ली में इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे।
इसी के बाद सोशल मीडिया यूज़रों ने इस पर प्रतिक्रिया देनी शुरू की। एक यूज़र ने अमेरिकी बॉक्सर मुहम्मद अली और साक्षी मलिक की तसवीरों को साझा करते हुए लिखा, 'पहलवानों द्वारा अपने पदक गंगा में फेंकना उस समय के महान मुक्केबाज मुहम्मद अली की याद दिलाता है, जब वह अमेरिका में बड़े पैमाने पर नस्लवाद पर गुस्सा हो गये थे। अली ने अपना मेडल ओहियो नदी में फेंका, हमारे पहलवानों ने गंगा को चुना।'
Wrestlers' throwing their medals in Ganga is reminiscent of what Muhammad Ali, the greatest boxer of all time, did when he got angry over rampant racism in America. Ali threw his medal in the Ohio river, our wrestlers chose Ganga, both incidents were, when players felt disgust ! pic.twitter.com/qG06JAEwqD
— Ramandeep Singh Mann (@ramanmann1974) May 30, 2023
जानें, मुहम्मद अली के साथ क्या घटा था
एक अमेरिकी शहर की यह घटना 1960 के दशक की है। तब लुइसविले शहर की जड़ें अलगाव और नस्लवाद में गहरी थीं। उस समय की न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि मुक्केबाज़ को उनके गृह नगर में सार्वजनिक रूप से 'ओलंपिक निगर' कहा जाता था। निगर शब्द काले लोगों के लिए नस्लवादी टिप्पणी के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
एक दिन अली भोजन करने के लिए लुइसविले के एक रेस्तरां में गये। लेकिन जैसा कि रेस्तरां का मालिक श्वेत व्यक्ति था, अली को उनके काले रंग की वजह से भोजन परोसने से मना कर दिया गया था। इससे अली पूरी तरह हिल गये। वह ओहियो नदी पर दूसरे स्ट्रीट ब्रिज पर भाग कर गए और अपने ओलंपिक स्वर्ण पदक को नीचे नदी में फेंक दिया।
रिपोर्ट के अनुसार 1975 में "द ग्रेटेस्ट" नामक अपनी आत्मकथा में, अली ने लिखा, "मैं अपने चमकदार स्वर्ण पदक के साथ ओलंपिक के बाद लुइसविले वापस आ गया। एक लंच में गया जहां काले लोग नहीं खा सकते थे। सोचा कि मैं उन्हें उसी जगह पर रखूंगा। मैं बैठ गया और भोजन मांगा। ओलंपिक चैंपियन वाला अपना स्वर्ण पदक पहने हुए था। उन्होंने कहा, 'हम यहां निगर्स की सेवा नहीं करते हैं।' मैंने कहा, 'ठीक है, मैं उन्हें नहीं खाता हूँ। लेकिन उन्होंने मुझे गली में बाहर कर दिया। तो मैं नीचे ओहियो नदी के पास चला गया, और उसमें अपना स्वर्ण पदक फेंक दिया।"
बहरहाल, भारत में पहलवानों द्वारा गंगा नदी में मेडल फेंके जाने का फ़ैसला लिये जाने पर लोगों ने सरकार पर निशाना साधा है। अजय झा नाम के यूज़र ने लिखा है, 'जिस मेडल को पाने के लिए इन महिला पहलवानों ने अपनी पूरी जिंदगी खपा दी। आज वो न्याय की गुहार लगाते लगाते गूंगी बहरी सरकार के आगे हार गईं। ये हार इन पहलवानों की नहीं, देश के लोकतंत्र और न्याय प्रणाली की है। जिस तंत्र को इनका रक्षक बनना चाहिए था, आज वही इनका भक्षक बन चुका है।'
जिस मेडल को पाने के लिए इन महिला पहलवानों ने अपनी पूरी जिंदगी खपा दी। आज वो न्याय की गुहार लगाते लगाते गूंगी बहरी सरकार के आगे हार गई। ये हार इन पहलवानों का नही, देश के लोकतंत्र और न्याय प्रणाली का है। जिस तंत्र को इनका रक्षक बनना चाहिए था, आज वही इनका भक्षक बन चुका है। pic.twitter.com/jjoue3iMPm
— Ajay Jha (@Ajay_reporter) May 30, 2023
देश की बेटियाँ अपना मेडल गंगा में बहाने जा रही है, देश को शर्मसार करती मोदी भाजपा सरकार। pic.twitter.com/yHug2i6gkk
— Ritu Choudhary (@RituChoudhryINC) May 30, 2023
शिवम विज नाम के यूज़र ने लिखा है, 'भारत के ओलंपिक पदक विजेता पहलवानों के पास असली शिकायत न होती तो वे इस हद तक क्यों जाते? एक राष्ट्र के रूप में हम अपने नायकों के साथ भी सहानुभूति क्यों नहीं रख सकते?'
Why would India’s Olympic medal-winning wrestlers go to such extreme lengths if they didn’t have a genuine grouse? Why as a nation we can’t empathise even with our heroes? #WrestlerProtests
— Shivam Vij (@DilliDurAst) May 30, 2023
"तुम गिराने में लगे थे, तुमने ये सोचा नहीं,
— Neeraj Jha (@neeraj_jhaa) May 30, 2023
मैं गिरा तो मस'अला बनकर खड़ा हो जाऊंगा"
गंगा में मेडल बहाने का ऐलान किया है पहलवानों ने। सरकार की निरंकुशता कहें, अज्ञानता या कुछ और?#WrestlersProtest #Ganga pic.twitter.com/6Y0Pd6eyeR
बता दें कि 7 महिला पहलवानों ने भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। दिल्ली पुलिस में पॉस्को एक्ट के साथ दो एफआईआर भी दर्ज हैं लेकिन अभी तक सांसद की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पिछले एक महीने से महिला पहलवान और अन्य लोग जंतर मंतर पर धरना दे रहे थे लेकिन इस रविवार को जब उन्होंने महिला महापंचायत करना चाही तो उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम की सुरक्षा के मद्देनजर हिरासत में ले लिया गया। ये लोग उस जगह बढ़ना चाहते थे, जहां पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन कर रहे थे। पुलिस ने उसी दिन जंतर मंतर पर उनका तंबू वगैरह भी उखाड़ दिया।
इन घटनाक्रमों के बाद पहलवानों ने मेडल को गंगा नदी में फेंकने का फ़ैसला किया है। बजरंग पुनिया के ट्वीट में कहा गया है कि "चमकदार तंत्र में हमारी जगह कहां है, भारत की बेटियों की जगह कहां है, क्या हम सिर्फ नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई हैं। अपवित्र तंत्र अपना काम कर रहा है और हम अपना काम कर रहे हैं। अब लोक को सोचना होगा कि वह अपनी इन बेटियों के साथ खड़े हैं या इन बेटियों का उत्पीड़न करने वाले उस तेज सफेदी वाले तंत्र के साथ...।"
पहलवानों ने लिखा है कि उत्पीड़क संसद में बैठकर ठहाके लगा रहा है और पुलिस व सिस्टम हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रहा है।
उन्होंने कहा है, 'वो शख्स टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देने वाली अपनी घटनाओं को कबूल करके उनको ठहाकों में तब्दील कर दे रहा है। यहां तक की पॉस्को एक्ट को बदलवाने की बात सरेआम कह रहा है। हम महिला पहलवान अंदर से ऐसा महसूस कर रही हैं कि इस देश में हमारा कुछ बचा नहीं है। हमें वे पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलिंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे...।'