महिला कोटा बिल से एनडीए या इंडिया को फायदा? जानें सर्वे की रिपोर्ट
महिला आरक्षण विधेयक के पास होने से इसका चुनावी फायदा किसको मिलेगा? इस सवाल को ढूंढने की कोशिश में एबीपी और सीवोटर ने एक सर्वे किया है। यह सर्वेक्षण पूरे भारत में 5,403 वयस्कों पर किया गया और यह सीवोटर व्यक्तिगत साक्षात्कार पर आधारित है। सर्वे में एनडीए समर्थकों और 'इंडिया' गठबंधन के समर्थकों दोनों की राय ली गई है।
एबीपी की रिपोर्ट के अनुसार सर्वे में शामिल लोगों में से क़रीब 36 प्रतिशत का मानना है कि इस विधेयक के पारित होने से बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को फायदा मिलेगा। हालाँकि, 21 प्रतिशत ने कहा है कि इससे विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' को फायदा मिलेगा। 19 प्रतिशत ने कहा कि दोनों को फायदा होगा जबकि 10 प्रतिशत ने कहा कि किसी को नहीं और 14 प्रतिशत ने कुछ नहीं कहा।
सर्वे के लिए एबीपी सीवोटर ने विपक्ष और एनडीए समर्थकों से संपर्क किया। जब पूछा गया कि किस पार्टी को सबसे अधिक फायदा होगा, तो सर्वेक्षण में शामिल कुल लोगों में से 36.4% ने 'एनडीए गठबंधन' को वोट दिया। इसमें से 29 प्रतिशत विपक्षी समर्थक और 47 प्रतिशत एनडीए समर्थक थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 27 प्रतिशत विपक्षी समर्थकों ने 'इंडिया' गठबंधन को वोट दिया, जबकि 11 प्रतिशत एनडीए समर्थकों ने कहा कि विपक्षी गठबंधन को फायदा होगा।
विपक्ष के 20 फीसदी और एनडीए के 17 फीसदी मतदाताओं ने कहा कि बिल के पारित होने से 'एनडीए' और 'इंडिया' गठबंधन दोनों को फायदा होगा। लगभग 9.5% उत्तरदाता कुछ तय नहीं कर पाए। इनमें 8.1% विपक्षी समर्थक और 11.6% एनडीए समर्थक शामिल हैं।
इसके अलावा, सर्वेक्षण में विपक्षी नेताओं के इस आरोप की पड़ताल की गई कि मोदी सरकार केवल चुनाव में फायदा लेने के मकसद से महिला आरक्षण विधेयक लेकर आई है। कुल उत्तरदाताओं में से 42.3% ने विपक्षी नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों का समर्थन किया। इसमें 52.2% विपक्षी समर्थक और 27.3% एनडीए समर्थक हैं जिन्होंने विपक्ष के ऐसे दावे का समर्थन किया।
इसके विपरीत, कुल उत्तरदाताओं में से 42.7% ने आरोप का विरोध किया, जिसमें 31.5% विपक्षी समर्थक और 59.5% एनडीए समर्थक शामिल हैं। लगभग 15.1% उत्तरदाता तय नहीं कर पाए। इनमें 16.3% विपक्षी समर्थक और 13.2% एनडीए समर्थक शामिल हैं।
बता दें कि पांच दिवसीय विशेष संसद सत्र के दौरान इस विधेयक को पारित किया गया था। 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' लोकसभा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सहित राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत कोटा की गारंटी देता है।