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108 महिला अफ़सर कर्नल बनेंगी, सैन्य कमांड संभाल सकती हैं

108 महिला अफ़सर कर्नल बनेंगी, सैन्य कमांड संभाल सकती हैं

देश की सेना में पहली बार महिलाओं को इतना ऊँचे ओहदे के लिए चयन किया जा रहा है जो किसी सैन्य ईकाई का नेतृत्व भी कर सकती हैं। जानिए कैसे लिया गया यह फ़ैसला।

सेना की कमान महिलाओं के हाथ देने में पहले पक्षपात होता रहा था और यह सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ़ कर दिया था। लेकिन अब 108 महिला अफ़सरों का कर्नल बनना तय हो गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार इसमें से क़रीब 80 महिला अधिकारियों को अब तक कर्नल (चयन ग्रेड) के पद के लिए मंजूरी दे दी गई है। इसका मतलब है कि वे पहली बार अपने संबंधित हथियारों और सेवाओं में कमांड इकाइयों के लिए पात्र हैं। यानी वे सेना की ईकाई का नेतृत्व कर सकती हैं।

वर्तमान में सेना मुख्यालय में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से कर्नल के पद पर पदोन्नति के लिए चयन प्रक्रिया चल रही है ताकि उन्हें उनके पुरुष समकक्षों के बराबर लाया जा सके। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 1992 से 2006 के बैच तक - 108 रिक्तियों के लिए 244 महिला अधिकारियों को पदोन्नति के लिए विचार किया जा रहा है। ये अधिकारी इंजीनियर्स, सिग्नल, आर्मी एयर डिफेंस, इंटेलिजेंस कोर, आर्मी सर्विस कॉर्प्स, आर्मी ऑर्डनेंस कॉर्प्स और इलेक्ट्रिकल व मैकेनिकल इंजीनियर सहित विभिन्न हथियारों और सेवाओं में हैं।

रिपोर्ट के अनुसार एक सूत्र ने कहा, 'महिलाओं को समान अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से, भारतीय सेना ने महिला अधिकारियों को उनके पुरुष समकक्षों के बराबर स्थायी कमीशन यानी पर्मानेंट कमीशन दिया है।' 

बता दें कि सेना में महिलाओं को पर्मानेंट कमीशन देने का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी उठा था। काफ़ी पहले कई महिला अधिकारियों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। दो साल पहले इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेना में सबसे उँचे पद यानी सेना की कमान महिलाओं के हाथ देने में पक्षपात होता है। 

तब कोर्ट ने कहा था कि सेना में पर्मानेंट कमीशन पाने के लिए महिलाओं के लिए मेडिकल फिटनेस का जो नियम है वह 'मनमाना' और 'तर्कहीन' है। इसने कहा था कि ये नियम महिलाओं के प्रति पक्षपात करते हैं। सुप्रीम कोर्ट सेना में पर्मानेंट कमीशन को लेकर क़रीब 80 महिला अधिकारियों द्वारा दायर याचिकाओं पर फ़ैसला सुना रहा था। कोर्ट ने तब सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि समाज का जो ढाँचा है वह पुरुषों द्वारा और पुरुषों के लिए तैयार किया गया है। 

2020 में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा था कि पुरुष अफ़सर की तरह ही महिला अफ़सर सेना की कमान संभाल सकती हैं। यानी सीधे-सीधे कहें तो यह कहा गया था कि महिला अफ़सर कर्नल रैंक से ऊँचे पदों पर अपनी योग्यता के दम पर जा सकती हैं।

सेना में सबसे उँचे पद यानी सेना की कमान महिलाओं के हाथ देने के ख़िलाफ़ सरकार जो तर्क देती रही थी उसे सुप्रीम कोर्ट ने तब एक झटके में खारिज कर दिया था। 

तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में सरकार का तर्क भेदभावपूर्ण, रूढ़ीवादी और परेशान करने वाला है और केंद्र सरकार को अपने नज़रिए और मानसिकता में बदलाव लाना चाहिए।

बता दें कि कर्नल रैंक तक के अफ़सरों के पास भी काफ़ी अधिकारी होते हैं और उसे स्वतंत्र काम करने का अधिकार दिया जाता है। कर्नल एक बटालियन का नेतृत्व करता है जिसमें क़रीब साढ़े आठ सौ जवान होते हैं। 

बहरहाल, अब महिला अधिकारी कर्नल पद पर नियुक्त की जा रही हैं। इस फ़ैसले के बाद अब इंडियन एक्सप्रेस से एक अधिकारी ने कहा, 'यह देखकर प्रसन्नता हो रही है कि देर होने के बावजूद हमारी कड़ी मेहनत और दृढ़ता का फल दिया जा रहा है। यह एक ऐसा दिन है जिसका अधिकांश लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे थे।' 

रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है, 'चयन बोर्ड की समाप्ति पर, फिट घोषित की गई 108 महिला अधिकारी विभिन्न कमांड असाइनमेंट के लिए विचाराधीन होंगी। इस तरह की पोस्टिंग का पहला सेट जनवरी के अंत तक जारी किया जाएगा।'

हालाँकि, महिलाएँ अभी भी इन्फैंट्री, मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री और आर्मर्ड कॉर्प्स जैसे शुद्ध लड़ाकू हथियारों के लिए योग्य नहीं हैं। सेना ने हाल ही में महिलाओं को कॉर्प्स ऑफ आर्टिलरी में शामिल करने का फैसला किया है। लेकिन इस प्रस्ताव को फिलहाल सरकार की मंजूरी का इंतजार है।

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