+
वायरलेस ब्रेन चिप पहली बार मानव में लगी, लकवा जैसी बीमारी का इलाज मुमकिन

वायरलेस ब्रेन चिप पहली बार मानव में लगी, लकवा जैसी बीमारी का इलाज मुमकिन

दुनिया के बड़े कारोबारियों में शुमार एलोन मस्क ने कहा है कि उनकी कंपनी न्यूरालिंक ने एक इंसान के अंदर वायरलेस ब्रेन चिप लगाने में सफलता प्राप्च की है। इसे साइबरनेटिक इम्प्लांट नाम दिया गया है। जिस पहले इंसान में रविवार को इसे लगाया गया, उसकी हालत ठीक है।सितंबर में, न्यूरालिंक ने कहा था कि वह अपने वायरलेस ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस (बीसीआई) का प्रयोग इंसान पर करने जा रहा है। 

टेस्ला कार कंपनी के मालिक मस्क ने वायरलेस ब्रेन चिप की कामयाबी की घोषणा मंगलवार को खुद की। इस सफलता से लकवा और पार्किंसंस जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारी का इलाज करने में सफलता मिल सकती है। इसे इंसान और आर्टिफिशल इंटेलीजेंस (एआई) के बीच बेहतर तालमेल की उम्मीद जताई जा रही है। कुल मिलाकर इससे मानव क्षमता को सुपरचार्ज करने में मदद मिलेगी। 

एलोन मस्क ने 2016 में न्यूरोटेक्नोलॉजी कंपनी को दिमाग और कंप्यूटर के बीच सीधे कम्युनिकेट करने के मकसद से बनाया था। हालांकि सफलता का मंगलवार को तीसरा दिन है। लेकिन इसके नतीजे असीम संभावनाएं खोलने जा रहे हैं।

न्यूरालिंक ने कहा कि क्या यह डिवाइस लकवाग्रस्त लोगों को अपने साथ बाहरी उपकरणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इस पर खोजबीन चल रही है। मस्क ने ट्वीट किया कि न्यूरालिंक के पहले संस्करण को टेलीपैथी कहा जाएगा। उन्होंने कहा कि यह लोगों को अपने फोन या कंप्यूटर और उनके जरिए लगभग किसी भी डिवाइस को केवल सोचने से नियंत्रित करने में सक्षम बनाता है। मस्क ने कहा, "इस डिवाइस के शुरुआती इस्तेमाल करने वाले वे होंगे जिन्होंने अपने अंगों का इस्तेमाल खो दिया है। कल्पना कीजिए कि स्टीफन हॉकिंग एक स्पीड टाइपिस्ट की तुलना में तेजी से बोल सकेंगे। यही लक्ष्य है।"

मस्क ने 2019 से मानव परीक्षण के लिए मंजूरी मांगी थी, लेकिन 2022 की शुरुआत में न्यूरालिंक का आवेदन खारिज कर दिया गया था। कंपनी ने तब से इम्प्लांट की सुरक्षा पर एफडीए द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं पर काम किया। मस्क ने 2016 में एक चिप विकसित करने के लक्ष्य के साथ न्यूरालिंक लॉन्च किया था जो मस्तिष्क को जटिल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नियंत्रित करने की अनुमति देगा और अंततः लकवा से पीड़ित लोगों को मोटर फ़ंक्शन को पुनः प्राप्त करने की अनुमति देगा।

अगर यह तकनीक सफल रही, तो मस्तिष्क चिप के इस्तेमाल के जरिए आर्टिफिशल इंटेलीजेंस को मानवीय क्षमताओं के साथ जोड़ दिया जाएगा। मस्क ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इससे पार्किंसंस, डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी मस्तिष्क संबंधी बीमारियों के इलाज में मदद मिलेगी।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें