यूपी में विधानसभा चुनाव होंगे या नहीं, इसका फैसला चुनाव आयोग 30 दिसम्बर के बाद लेगा। लेकिन उससे पहले आयोग जमीनी हकीकत का जायजा लेने में जुट गया है।
चुनाव आयोग केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के साथ यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर 27 दिसम्बर को बैठक करेगा।
इसके बाद आयोग की टीम 31 दिसम्बर या 1 जनवरी को अपनी रिपोर्ट मुख्य चुनाव आयुक्त को सौंपेगी। उसके बाद कोई न कोई फैसला जरूर होगा।
ओमिक्रॉन का खतरा बढ़ रहा है। रायबरेली में पहले ओमिक्रॉन केस की पुष्टि हो चुकी है। ओमिक्रॉन के ही मद्देनजर चुनाव टालने की मांग की जा रही है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री से कहा है कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 कुछ दिनों के लिए टाले जाएं। रैलियां बंद की जाएं।
28 दिसम्बर को जाएगी टीम
यूपी विधानसभा चुनाव टालने या कराने से पहले चुनाव आयोग स्वास्थ्य सुविधाओं के नजरिए से यूपी की स्थिति जानना चाहता है।
इसी के मद्देनजर आयोग के अधिकारी और केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव रंजीत भूषण की बैठक 27 दिसम्बर को होगी।
इसके ठीक अगले दिन 28 दिसम्बर को चुनाव आयोग की टीम यूपी रवाना हो जाएगी। वहां वो 30 दिसम्बर तक रहेगी। इस दौरान वो यूपी के आला अफसरों से कई दौर की बात करेगी।
इस बातचीत में यूपी चुनाव को लेकर हालात का जायजा लिया जाएगा कि वहां चुनाव कराए जाएं या नहीं।
इसलिए अब पांच राज्यों में भी चुनाव कराए जाएं या नहीं, आयोग देर से तारीखों की घोषणा करेगा।
पहले यह घोषणा दिसम्बर के आखिरी हफ्ते में संभावित थी।
यूपी में 403 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव प्रस्तावित हैं। सभी राजनीतिक दलों के नेता जोरशोर से राज्य का दौरा कर रहे हैं।
बीजेपी, सपा, कांग्रेस, रालोद के तमाम नेताओं ने आज यूपी में कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद भी किसी राजनीतिक दल ने अपने कार्यक्रम स्थगित करने की घोषणा नहीं की। अगर एक भी राजनीतिक दल ने ऐसी पहल की होती तो शायद अन्य भी करते। लेकिन हर कोई रणछोर का धब्बा लेने से बचना चाहता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम भी जाएगी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी यूपी और पंजाब में हालात जानने के लिए अपनी टीम भेजने जा रहा है। हालांकि उसकी टीम 8 अन्य राज्यों में भी जाएगी।
समझा जाता है कि चुनाव आयोग भी इस टीम की रिपोर्ट का इंतजार करेगी।
यह टीम अस्पतालों की स्थिति, बेड की स्थिति, आक्सीजन की उपलब्धता आदि का आकलन करेगी।
जरूरत पड़ने पर वही टीम सुझाव देगी। वह रोजाना शाम 7 बजे अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भी भेजेगी।
कोरोना की दूसरी लहर में यूपी बदतर हालात का सामना कर चुका है। इलाज के अभाव में बहुत मौतें हुईं।
राज्य में इतनी ज्यादा मौतें हुईं थी कि शवों को नदियों में बहाना पड़ा था।
हालांकि राज्य सरकार का कहना है कि आक्सीजन या बेड की कमी से यूपी में कोई मौत नहीं हुई।