जस्टिस नरीमन रिटायर, सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति का रास्ता साफ होगा?
जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन के गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के साथ ही यह पूछा जाने लगा है कि क्या अब सुप्रीम कोर्ट में नियुक्तियों का रास्ता साफ हो जाएगा। क्या सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम का विवाद अब ख़त्म हो जाएगा और सहमति बन जाएगी?
सुप्रीम कोर्ट में जज का पद खाली होने के बावजूद पिछले 22 महीनों से नई नियुक्ति नहीं हुई है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम में इस पर सहमति नहीं है।
'इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार, जस्टिस नरीमन इस बात पर अड़े हुए थे कि जब तक अखिल भारतीय वरीयता सूची के सबसे वरिष्ठ दो जजों के नामों की सिफ़ारिश नहीं की जाती, सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम में आम सहमति नहीं बन सकती।
सुप्रीम कोर्ट में खाली पड़े पद
कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अभय ओक इस सूची में सबसे वरिष्ठ है। उनके बाद त्रिपुरा हाई कोर्ट के जस्टिस अकिल क़ुरैशी का नाम है।
सुप्रीम कोर्ट में 34 जजों का प्रावधान है, लेकिन इसमें 25 जज ही हैं। जस्टिस नवीन सिन्हा के 19 अगस्त को रिटायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में जजों के खाली पदों की संख्या 10 हो जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट में जज की अंतिम नियुक्ति सितंबर 2019 में हुई थी। नवंबर 2019 में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई रिटायर हुए थे, लेकिन किसी की नियुक्ति नहीं की गई।
जस्टिस नरीमन की जगह जस्टिस नागेश्वर राव लेंगे।
सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम
सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा कॉलिजियम में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन. वी. रमना के अलावा जस्टिस यू. यू. ललित, जस्टिस ए. एम. खनविलकर, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ हैं और जस्टिस नागेश्वर राव जल्द ही शामिल होंगे।
नियुक्ति क्यों नहीं?
जस्टिस गोगोई के रिटायर होने के बाद सबसे वरिष्ठ जज होने का कारण जस्टिस ओक और जस्टिस क़ुरैशी के नाम थे। लेकिन उनके नाम पर सहमति नहीं बन पाई। जस्टिस नरीमन का कहना था कि इन दोनों जजों के नामों की सिफ़ारिश किए बग़ैर सहमति नहीं बन सकती। तब से यह मामला लटका हुआ है।
उस समय मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस. ए. बोबडे थे। उनके कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट में किसी जज की नियुक्ति नहीं हो पाई।
उन्होंने रिटायरमेंट के कुछ दिन पहले कॉलिजियम की बैठक बुलाई, पर उसमें दो जजों ने असहमति जताई थी।
महिला मुख्य न्यायाधीश
'इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार, जस्टिस बोबडे ने इस विषय पर भी बातचीत शुरू की थी कि किसी महिला जज को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया जाए जो आने वाले समय में देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बन सके।
कर्नाटक हाई कोर्ट की जज जस्टिस बी. वी. नागरत्न और गुजरात हाई कोर्ट की जस्टिस बेला त्रिवेदी के नाम सामने आए थे।
महिला मुख्य न्यायाधीश पर लोग सहमत थे, पर जस्टिस ओक और जस्टिस क़ुरैशी के नामों पर सहमति नहीं बन पाने के कारण बात आगे नहीं बढ़ी।