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हाई कोर्ट के 'डंडे' के बाद क्या यमुना में रुक पाएगा अवैध खनन?

हाई कोर्ट के 'डंडे' के बाद क्या यमुना में रुक पाएगा अवैध खनन?

हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि स्थिति रिपोर्ट देखने से यह बिल्कुल स्पष्ट है कि अवैध खनन जारी है। यूपी और दिल्ली के बीच आने वाले तट क्षेत्र का भी अनुचित फायदा उठाया जा रहा है।

नदियों में हो रहा अवैध खनन पर्यावरण और राजस्व के लिहाज से बड़ा खतरा बनता जा रहा है। सरकारें इस पर रोक लगाने के तमाम प्रयास करने के बाद भी इसे रोक नहीं पा रही हैं।

अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपनी चिंता ज़ाहिर की। और दिल्ली पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस को नदी के किनारे पर हो रही अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए एक संयुक्त कार्य बल बनाने का निर्देश दिया।

दिल्ली हाईकोर्ट, दिल्ली के हिरनकी गांव के पास यमुना तट क्षेत्र में हो रहे रेत खनन को रोकने के लिए उचित निर्देश देने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिकाकर्ता रविंद्र के अनुसार,  नदी के सीमांत तटबंध पर हाइड्रोलिक खुदाई मशीनों और डंपर के माध्यम से अवैध रेत खनन हो रहा है।

मामले की सुनवाई कर रहीं जस्टिस प्रतिभा सिंह की सिंगल बेंच ने यह आदेश 27  मार्च को दिया। लेकिन ये फ़ैसला अब सामने आया है। जस्टिस सिंह ने अपने आदेश में यह भी निर्देश दिया कि संयुक्त कार्य बल नियमित रूप से नदी के तटों की निगरानी करे तथा किसी भी प्रकार के अवैध खनन को रोकने के लिए उचित पिकेट तैनात करे।

दिल्ली पुलिस के सहायक पुलिस आयुक्त द्वारा 22 मार्च को दायर की गई रिपोर्ट को देखते  हुए कोर्ट ने कहा कि इससे पता चलता है कि हिरनकी के पास यमुना तट क्षेत्र का कुछ हिस्सा अलीपुर पुलिस थाने के अंतर्गत आता है, जो बाहरी उत्तर के डीसीपी के अधीन है, जबकि कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता है।

बैंच ने कहा कि स्थिति रिपोर्ट देखने से यह बिल्कुल स्पष्ट है कि अवैध खनन जारी है। यूपी और दिल्ली के बीच आने वाले तट क्षेत्र का भी अनुचित फायदा उठाया जा रहा है।

अवैध खनन से जुड़े कुछ लोगों को एफआईआर संख्या 254/23 के आधार पर गिरफ्तार भी किया गया है। कोर्ट ने कहा कि यह बहुत चिंता का विषय क्योंकि अवैध खनन के कारण बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय प्रभाव पड़ रहा है।

संयुक्त कार्यबल के गठन का निर्देश देते हुए कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 21 जुलाई तक दिल्ली से सरकार से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने आदेश को लागू करने के लिए इसकी कॉपी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के पुलिस अधीक्षक को भेजे  जाने का भी आदेश दिया।

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