कुछ घंटों में पता चल जाएगा, एग़्जिट पोल के नतीजे सही साबित होंगे या मनोज तिवारी
अभूतपूर्व चुनाव प्रचार और एक छोटे से राज्य को जीतने के लिए जिस तरह से किसी पार्टी ने कई केंद्रीय मंत्रियों, सौ से ज़्यादा सांसदों, 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों-उप मुख्यमंत्रियों, गृह मंत्री और स्वयं प्रधानमंत्री को मैदान में उता दिया, उससे दिल्ली विधानसभा चुनाव सामान्य चुनाव नहीं रहा। सिर्फ़ दिल्ली ही नहीं, पूरे देश की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं।
क्यों अहम है यह चुनाव?
मंगलवार की सुबह से ही बिहार और बंगाल के लोग कुछ ज़्यादा उत्सुकता से दिल्ली चुनाव नतीजों का इंतजार करेंगे। इस साल के अंत तक बिहार और अगले साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होंगे। यह तय है कि दिल्ली के नतीजों का असर उन चुनावों पर भी पड़ेगा क्योंकि बीजेपी के कार्यकर्ताओं, नीति निर्धारकों और उसके शीर्ष नेतृत्व पर इसका असर पड़ेगा।
मंगलवार को यह इंतजार पूरा हो जाएगा। सुबह 8 बजे वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी, कुछ मिनटों में ही ट्रेंड आने लगेगा। अगले एक से दो घंटे में अनाधिकारिक तौर पर ही सही, यह साफ़ हो जाएगा कि दिल्ली की जनता ने सत्ता की चाबी किसे सौंपी।
कम मतदान
कई तरह के आरोपों के बीच और चुनाव ख़त्म होने के कई घंटे बाद चुनाव आयोग ने रविवार की शाम यह बताया कि दिल्ली में 62.59 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया। यह पिछले मतदान से 5 प्रतिशत कम है। सबसे ज़्यादा 71.60 प्रतिशत मतदान बल्लीमारान में और सबसे कम 45.50 प्रतिशत दिल्ली कैंट क्षेत्र में हुआ।तमाम हदें तोड़ दी गईं
पहले के तमाम चुनावों से अलग यह चुनाव इसलिए भी है कि इस बार उत्तेजक भाषण देने और सांप्रदायिक बातें करने में तमाम सीमाओं को तोड़ दिया गया। चुनाव प्रचार पर हिन्दुत्व का रंग तो पहले भी चढ़ाया जाता रहा है, हिन्दू-मुसलिम पहले भी किया जाता रहा है पर इस बार यह कहा गया कि ‘शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन करने वाले आपके घरों में घुस कर आपकी बहन-बेटी से बालात्कार करेंगे।’ इसे स्पष्ट रूप से एक धर्म विशेष से जोड़ा गया।
स्वादिष्ट और बेहद लोकप्रिय भोजन, बिरियानी को एक धर्म विशेष से ही नहीं जोड़ा गया, इसे पाकिस्तानी खाना कह कर प्रचारित किया गया। ऐसी तसवीर खींची गई मानो बिरियानी खाना देशद्रोह हो।
यह भी कहा गया कि ‘बीजेपी जीत गई तो सरकारी जम़ीन पर बनी सभी मसजिदें गिरा दी जाएंगी।’ यह नारा भी खूब चला, ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को।’ एक राज्य के मुख्यमंत्री को आतंकवादी कहा गया और एक केंद्रीय मंत्री ने उस दुहरा कर कहा, हां, अरविंद केजरीवाल आतंकवादी हैं। फिर उसे उचित ठहराने के तर्क भी दिए।
यह भी कम दिलचस्प नहीं रहा कि विकास की बात करने वाले अरविंद केजरीवाल एक टीवी चैनल पर हनुमान चालीसा पढ़ते नज़र आए तो एक हनुमान मंदिर से लौटने के बाद बताया कि हनुमान जी ने उन्हें क्या कहा।
लेकिन इससे भी आगे बढ़ कर मनोज तिवारी ने कहा कि किस तरह अरविंद केजरीवाल ने मूर्ति को अशुद्ध कर दिया। संकेत यही गया कि बीजेपी के बढ़ते हिन्दुत्व की काट के लिए केजरीवाल ने ऐसा किया। लेकिन यह भी कहा गया कि यह हिन्दुत्व की जीत है कि विकास की बात करने वाले भी हिन्दुत्व की बात करने को मजबूर हुए।
पिछले चुनाव में दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में से आम आदमी पार्टी को 67 सीटें मिली थीं, बीजेपी को तीन सीटों पर ही जीत हासिल हुई थीं। कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था। इस बार सभी एग़्जिट पोल में यह तो कहा गया है कि आम आदमी पार्टी की ही जीत होगी, पर सीटों के अनुमान में अंतर है। औसत निकालने पर यह पाया गया है कि आम आदमी पार्टी को 54, बीजेपी को 14 और कांग्रेस को 2 सीटें मिल सकती हैं।
एग़्जिट पोल के नतीजे आम आदमी पार्टी के पक्ष में हैं, लेकिन बीजेपी के दिल्ली प्रमुख मनोज तिवारी का दावा है कि उनकी पार्टी को 48 से ज़्यादा सीटें मिलेंगी। इंतजार कीजिए, बस कुछ घंटे और।