क्या नीतीश को केंद्र की राजनीति में देखना चाहते हैं चौबे?
बीजेपी पर बिहार के विधानसभा चुनाव से पहले यह आरोप लगा कि अगर चुनाव में उसकी सीटें ज़्यादा आईं तो वह नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री स्वीकार नहीं करेगी। हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार नीतीश को ही बिहार में एनडीए का नेता बताया। लेकिन अब चुनाव नतीजे आ चुके हैं और बीजेपी को नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से 31 सीटें ज़्यादा मिली हैं तो बिहार बीजेपी से फिर से ऐसे सुर सुनाई देने लगे हैं। बीजेपी को 74 और जेडीयू को 43 सीटें मिली हैं।
लोकसभा चुनाव 2019 के बाद से ही बिहार बीजेपी में संजय पासवान समेत ऐसे कई नेता थे, जो चाहते थे कि अब यहां बीजेपी को बड़े भाई की भूमिका में होना चाहिए। कारण था कि देश में प्रचंड मोदी लहर के कारण मिली बड़ी जीत। यह जीत बिहार में भी मिली थी और एनडीए ने राज्य की 40 में से 39 सीटों पर कब्जा जमाया था।
बीजेपी के नेताओं का कहना था कि यह करिश्मा सिर्फ मोदी के नाम पर पड़े वोटों के कारण हुआ है, वरना 2014 के लोकसभा चुनाव में 2 सीटें लाने वाली जेडीयू 2019 में 16 सीटें कैसे ले आती। लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने पार्टी के नेताओं को समझाया और कहा कि चुनाव में चेहरा नीतीश कुमार ही होंगे।
मोदी और शाह या नड्डा भी चाहते हैं कि राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी बीजेपी के किसी नेता को मिले। लेकिन यहां मुश्किल यही है कि नीतीश इसके लिए तैयार नहीं होंगे और नीतीश के बिना सरकार नहीं बनने की।
बीजेपी जानती है कि बिहार की सत्ता में भागीदारी के लिए नीतीश का साथ चाहिए ही चाहिए। या तो फिर कोई ऐसा नेता हो जिसके पास इतनी सीटें हों कि उसके साथ मिलकर सरकार बनाई जा सके।
ऐसे में नीतीश को बिहार में एनडीए का चेहरा स्वीकार करने के अलावा दूसरा विकल्प उसके पास नहीं है। क्योंकि इस स्थिति में एक राज्य उसके हाथ से निकल जाएगा।
लेकिन इस बार के चुनाव नतीजों ने बिहार बीजेपी के कुछ नेताओं की सियासी उम्मीदों को फिर से हवा दे दी है। निश्चित रूप से बीजेपी का प्रदर्शन जेडीयू से बहुत बढ़िया रहा है लेकिन सवाल फिर वही है कि अकेले दम पर या कोई और सहयोगी ऐसा नहीं है, जिसके साथ मिलकर 122 के जादुई आंकड़े तक पहुंचा जा सके।
बिहार के चुनाव नतीजों पर देखिए, चर्चा-
ऐसे में बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने नीतीश कुमार को केंद्र की राजनीति में जाने की सलाह दी है और ऐसी सलाह पहले भी दी जा चुकी हैं। बिहार से ही आने वाले और केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने ‘आज तक’ से कहा, ‘आने वाले दिनों में बिहार में बीजेपी संगठन को और मजबूत करना है। आज हम 75 पर हैं, आगे हमें इसे 150 पर ले जाना है।’
चौबे ने कहा कि नीतीश जी किसी भी नंबर पर बैटिंग कर सकते हैं, यहां हो या कहीं भी और इस बारे में फ़ैसला केंद्रीय नेतृत्व को लेना है।
अंतिम चरण के मतदान के बाद भी उन्होंने एक ख़बरिया चैनल से बातचीत में कहा था कि नीतीश कुमार अगर किसी को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी देना चाहें तो दे सकते हैं। उन्होंने कहा था कि नीतीश चुनाव में चुने हुए किसी नेता को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दे सकते हैं। नीतीश चूंकि विधान परिषद से आते हैं, ऐसे में चौबे का निशाना कहां था, यह समझा जा सकता है।
चुनाव नतीजे वाले दिन भी बिहार बीजेपी के एक पदाधिकारी ने कहा था कि अब राज्य में बीजेपी का मुख्यमंत्री होना चाहिए।
नीतीश नहीं होंगे तैयार!
बिहार में अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए छटपटहटा रही बीजेपी के लिए यह सुनहरा मौक़ा है। लेकिन वह जानती है कि नीतीश इसके लिए तैयार नहीं होंगे। नीतीश को स्वीकार करने के बाद बीजेपी को 5 साल तो इस हॉट सीट पर बैठने का मौक़ा मिलेगा नहीं, उसके बाद भी 2025 में नीतीश ये कुर्सी देंगे, इसका कोई भरोसा नहीं। और तब तक बिहार बीजेपी के वे नेता जो ख़ुद को इस राज्य के शासन का मुखिया देखना चाहते हैं, उनकी उम्र ढल चुकी होगी।
ऐसे में इन नेताओं ने पूरा जोर लगाया हुआ है कि नीतीश कुमार किसी भी तरह से केंद्र की राजनीति में चले जाएं और उनकी दिली मुराद पूरी कर दें लेकिन नीतीश इसके लिए तैयार नहीं होंगे, यह लगभग तय है।