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पंजाब: फिर छिड़ी चर्चा, क्या राजेवाल होंगे आप के सीएम चेहरे?

पंजाब: फिर छिड़ी चर्चा, क्या राजेवाल होंगे आप के सीएम चेहरे?

क्या किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के चेहरे होंगे? इसे लेकर पंजाब में चर्चा गर्म है। 

किसान आंदोलन के कारण बीते एक साल से सियासी रूप से बेहद गर्म रहे पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले एक चर्चा फिर से छिड़ गई है। चर्चा यह है कि क्या किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के चेहरे होंगे?

हालांकि राजेवाल ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा है कि उन्हें किसी ने एप्रोच ही नहीं किया है और यह सिर्फ़ चर्चा ही है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ भी हो सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हो सकता कि यह बात यूं ही सामने आ गई हो। 

इस साल साल जुलाई-अगस्त में लुधियाना के खन्ना इलाक़े में राजेवाल का एक पोस्टर चर्चा में आया था। इस पोस्टर में गुरमुखी में लिखा था कि क्या आप चाहते हैं कि बलबीर सिंह राजेवाल अगले मुख्यमंत्री हों? पोस्टर में राजेवाल की फोटो लगी थी। तब भी राजेवाल के सियासत में उतरने की चर्चा हुई थी। 

राजेवाल का नाम अब किसी परिचय का मोहताज नहीं है। बीते एक साल में वे लगातार राष्ट्रीय और पंजाब के स्थानीय मीडिया में छाए रहे हैं। उन्हें काफ़ी समझदार किसान नेता माना जाता है और वह बहुत सोच-समझकर अपनी बात कहते हैं।

चुप क्यों हैं केजरीवाल?

राजेवाल आम आदमी पार्टी का चेहरा हो सकते हैं, इससे पीछे एक मजबूत तर्क यह भी है कि इस पार्टी ने अभी तक किसी को भी चेहरा घोषित नहीं किया है। केजरीवाल कह चुके हैं कि उनका मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार सिख समाज से होगा लेकिन अब जब सिर्फ़ मुश्किल से तीन महीने बचे हैं तो वे इस बारे में एलान क्यों नहीं कर रहे हैं, यह सवाल पंजाब में सबकी जुबान पर है। 

जबकि चेहरा न घोषित किए जाने से पंजाब के आप प्रधान और सांसद भगवंत मान और उनके समर्थक बेहद परेशान हैं। 

 - Satya Hindi

राजेवाल ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा कि पता नहीं आगे क्या होगा। लेकिन उन्होंने आम आदमी पार्टी का चेहरा होने की संभावना से पूरी तरह इनकार नहीं किया है। 

एक और किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी की भी पंजाब में सक्रियता को लेकर सवाल उठते रहते हैं जबकि वह हरियाणा के रहने वाले हैं। वह भी पंजाब चुनाव में उतर सकते हैं। 

हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ कहा है कि उनका कोई भी सदस्य चुनावी राजनीति में नहीं उतरेगा। लेकिन फिर भी अगर ऐसा हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि किसान नेता अब किसानों से आगे जनता की सियासत करने और उसका नेता बनने का ख़्वाहिश रखते दिखाई देते हैं।

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