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विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज आज़ाद, ऑस्ट्रेलिया रवाना

विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज आज़ाद, ऑस्ट्रेलिया रवाना

विकीलीक्स के संस्थापक असांज लंबे समय से सच की लड़ाई लड़ रहे थे। उनके विकीलीक्स ने ऐसे तथ्य उजागर किए थे, जिनसे अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों की किरकिरी हुई। अमेरिका उनका प्रत्यर्पण कर उन पर मुकदमा चलाना चाहता था। लेकिन एक समझौते के तहत उन्हें अब जासूसी का एक आरोप स्वीकार करना होगा। हालांकि इसके अपने खतरे हैं। इसी आधार पर उनकी रिहाई हुई है। वे यूके से अब अपने घर ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना हो चुके हैं। 

विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज को यूनाइटेड किंगडम की जेल से रिहा कर दिया गया है। असांज यूएसए में जासूसी कानून के उल्लंघन के आरोप के मुकदमे का सामना करने के लिए सहमत हो गए हैं। इसी समझौते के तहत उन्हें आजादी मिली है। 

उत्तरी मारियाना द्वीप समूह के लिए अमेरिकी जिला अदालत में दायर एक याचिका के अनुसार, 52 वर्षीय असांज क्लासीफाइड अमेरिकी डिफेंस दस्तावेजों को प्राप्त करने और उनका खुलासा करने की साजिश रचने के एक मामले में मुकदमे का सामना करेंगे। यानी इस केस में अगर उन्हें सजा हुई तो उन्हें उस फैसले को स्वीकार करना होगा।

उन्हें सोमवार 24 जून को ब्रिटेन की बेलमार्श जेल से रिहा कर दिया गया और सीधे एयरपोर्ट ले जाया गया। जहां से वो ऑस्ट्रेलिया चले गए। हालांकि असांज को बुधवार सुबह 9 बजे अमेरिकी प्रशांत क्षेत्र साइपन की एक अदालत में पेश किया जाएगा, जहां उन्हें 62 महीने की सजा सुनाई जा सकती है।

बतौर पत्रकार जूलियन असांज ने वो कर दिखाया जो नामी गिरामी पत्रकार नहीं कर पाए। अमेरिकी सत्ता को चुनौती देना दुनिया के किसी भी पत्रकार के लिए आसान नहीं है। असांज 2006 में विकीलीक्स के लॉन्च के साथ प्रमुखता से उभरे। उन्होंने अमेरिकी डिफेंस पेंटागन के क्लासीफाइड दस्तावेज और तमाम दूतावासों के गुप्त संदेश हासिल किए और दुनिया को बताया कि अमेरिका और उसके मित्र देश पूरी दुनिया में किस तरह युद्ध करते और करवाते हैं। किस लॉबी के तहत हथियारों की बिक्री होती है। विकीलीक्स बहुत जल्दी एक ऑनलाइन व्हिसलब्लोअर मंच बन गया।

अमेरिका बौखलायाः बगदाद में अमेरिकी अपाचे हेलीकॉप्टर हमले के फुटेज, जिसमें दो पत्रकारों सहित एक दर्जन लोग मारे गए के रहस्योद्घाटन ने तहलका मचा दिया। फिर 2010 में अफगानिस्तान और इराक में युद्धों पर हजारों वर्गीकृत अमेरिकी दस्तावेज सामने लाए गए। जिसमें डिप्लोमेट्स द्वारा भेजे जाने वाले गुप्त केबल संदेश भी थे, ने बताया कि अमेरिका ने कैसे वहां युद्ध शुरू किया। उसकी मंशा क्या थी। अमेरिका इस सच के आने से बौखला गया।

विकीलीक्स ने कई देशों के बारे में दस्तावेज प्रकाशित किए। लेकिन असांज पर मुकदमा चलाने का फैसला अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का था। ट्रम्प प्रशासन ने 2019 में जासूसी अधिनियम के उल्लंघन के 17 मामलों में असांज पर आरोप लगाने का फैसला किया। अमेरिकी वकीलों ने तर्क दिया था कि असांज ने पूर्व सेना खुफिया विश्लेषक चेल्सी मैनिंग के साथ साजिश रची थी, जिसने विकीलीक्स को सामग्री लीक करने के लिए सात साल जेल में बिताए थे। जब 2017 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चेल्सी मैनिंग की सजा कम कर दी तो उन्हें रिहा कर दिया गया।

असांज का संघर्ष

जूनियन असांज होना आसान नहीं है। इसके पीछे संघर्षों की लंबी कहानी है। असांज को पहली बार यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए स्वीडिश वारंट पर 2010 में लंदन में गिरफ्तार किया गया था। प्रत्यर्पण मामले के लंबित रहने तक जमानत की अनुमति मिलने के बाद, असांज ने 2012 में इक्वाडोर के लंदन दूतावास में शरण ली, जब एक अदालत ने फैसला सुनाया कि उन्हें मुकदमे के लिए स्वीडन भेजा जा सकता है।

उन्होंने अगले सात साल उसी दूतावास में बिताए। बाद में स्वीडिश पुलिस ने उन पर लगे रेप के आरोप वापस ले लिए। असांज को इसके बाद ब्रिटेन की जेल में रखा जा रहा था क्योंकि अमेरिकी प्रत्यर्पण केस अदालतों में चल रहा था।

खतरा टला नहीं है

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के स्वंतंत्र उम्मीदवार रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर ने विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज पर जासूसी का मुकदमा चलाए जाने पर सहमति देने पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इसे "बुरी खबर" और "प्रेस की आजादी के लिए एक बड़ा झटका" बताया है। कैनेडी ने असांज की रिहाई पर राहत जताते हुए एक्स पर लिखा: “मैं बहुत खुश हूं। वह कई पीढ़ियों के नायक हैं।”

रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर ने कैनेडी ने असांज की जासूसी वाले मुकदमे के व्यापक खतरों की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि यह याचिका बताती है कि "अमेरिका पत्रकारिता को अपराधीकरण के दायरे में लाने और विश्व स्तर पर गैर-अमेरिकी नागरिकों तक अपने अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने में सफल रहा।" उन्होंने कहा कि असांज को अपनी सेहत के दबाव में समझौता करना पड़ा। लेकिन अमेरिकी सरकार ने प्रेस की आजादी के भविष्य के लिए "एक भयावह मिसाल कायम की है"।

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