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नड्डा ने क्यों कहा, भाजपा बिना किसी के कंधे पर बैठे चुनाव लड़ेगी?

नड्डा ने क्यों कहा, भाजपा बिना किसी के कंधे पर बैठे चुनाव लड़ेगी?

जेपी नड्डा ने बिहार भाजपा के नेताओं से साफ कह दिया है कि 2025 में अपने कंधे को मजबूत कर राज्य में भाजपा की सरकार बनाए। 

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा गुरुवार को पटना में थे। वह भाजपा के चर्चित नेता रहे  कैलाशपति मिश्र की 100वीं जयंती पर आयोजित समारोह में भाग लेने के लिए पटना आए थे। इस मौके पर उन्होंने बिहार में राजद-जदयू पर जमकर हमला बोला। 

उन्होंने कहा कि आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा बिना किसी के कंधे पर बैठे चुनाव लड़ेगी और राज्य में सरकार बनाएगी। जेपी नड्डा ने बिहार भाजपा के नेताओं से साफ कह दिया कि 2025 में अपने कंधे को मजबूत कर राज्य में भाजपा की सरकार बनाए। 

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि अब अपने कंधे मजबूत कर 2024 में हम संपूर्णता से चुनाव जीते और 2025 में अपने कंधे पर विशुद्ध भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाएं। 

राजनैतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पटना में दिया यह बयान इस बात का साफ इशारा है कि भाजपा अब जदयू से कोई गठबंधन नहीं करने वाली है। उनके इस बयान ने नीतीश कुमार के फिर से भाजपा में शामिल होने की अटकलों पर भी विराम लगा दिया है। 

जेपी नड्डा का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि पिछले दिनों हुए कुछ घटनाक्रमों के बाद कुछ लोग अनुमान लगाने लगे थे कि कहीं नीतीश कुमार फिर से तो एनडीए में नहीं जाने वाले हैं। 

कंधे वाली बात इसलिए भी कही गई क्योंकि करीब एक सप्ताह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने बयान दिया था कि भाजपा ने नीतीश कुमार को पांच बार अपने कंधे पर बैठाकर बिहार का मुख्यमंत्री बनाया लेकिन अब भाजपा किसी को कंधे पर बैठने वाली नहीं है। 

नड्डा के गुरुवार को दिए बयान ने सम्राट चौधरी के बयान की पुष्टि कर दी है। राजनीति की नब्ज पर पकड़ रखने वालों का मानना है कि नड्डा का बयान बिहार भाजपा नेताओं में आत्मविश्वास जगाने के लिए भी हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आज तक भाजपा ने कभी भी बिहार में अपनी बदौलत अकेले सरकार नहीं बनाई है। वह हमेशा जदयू के साथ गठबंधन कर के ही सरकार का हिस्सा बनी है। 

नड्डा ने क्षेत्रीय पार्टियों के समाप्त होने की बात कही

पटना आए जेपी नड्डा ने एक बार फिर से क्षेत्रीय दलों के समाप्त होने की बात कही है। गुरुवार को पटना में उन्होंने विपक्षी इंडिया गठबंधन में शामिल सभी पार्टियों को गिनाया और कहा कि ये सभी परिवारवादी पार्टियां हैं। 

नड्डा ने कहा कि  पहले ये क्षेत्रीय पार्टी बनती हैं और फिर बाद में परिवार की पार्टी बन जाती हैं। उन्होंने कहा कि, भारत का लोकतंत्र परिवारवाद को कभी भी प्रश्रय नहीं देगा बल्कि विचारधारा को प्रश्रय देगा। इसलिए परिवारवाद और क्षेत्रीय पार्टियों का समाप्त होना जरूरी है। 

उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब चिराग पासवान, जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा, पशुपति पारस अपनी-अपनी क्षेत्रीय पार्टियों के नेता हैं और एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि एक तरफ भाजपा एनडीए गठबंधन के सहयोगी दलों की बैठक कर और उनके नेताओं को दिल्ली में बुलाकर अपना शक्ति प्रदर्शन करती है वहीं दूसरी तरफ इन्हीं क्षेत्रीय दलों के समाप्त होने की बात करती है। 

इससे पहले 31 जुलाई 2022 को पटना में भाजपा के सात मोर्चों की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने क्षेत्रीय पार्टियों के समाप्त होने की बात कही थी। इसके बाद काफी विवाद हुआ था। 

उस समय जदयू भाजपा की गठबंधन सहयोगी थी। तब एनडीए गठबंधन का हिस्सा बन नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे। तब जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा था कि जेपी नड्डा को यह बयान देने से पहले सोचना चाहिए था कि जदयू उनके साथ गठबंधन में है। 

माना जाता है कि नड्डा के उस बयान के बाद भाजपा और जदयू में दूरियां काफी बढ़ गई थी। उनके इस बयान को भाजपा-जदयू गठबंधन टूटने का एक कारण माना जाता है।  

सबसे ज्यादा ओबीसी सांसद बीजेपी में

पिछले दिनों बिहार सरकार ने जाति गणना की रिपोर्ट जारी की थी। गुरुवार को पटना में हुए भाजपा के इस समारोह में इसका असर देखने को मिला। जेपी नड्डा समेत कई भाजपा नेताओं ने ओबीसी हितों को लेकर भाजपा के द्वारा किए गये कामों की बाते कही।

जेपी नड्डा ने कहा कि  देश के शोषित, वंचित, पीड़ित, पिछड़े,दलित, आदिवासी सबके लिए भाजपा ने लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को ओबीसी की बात करने का नैतिक अधिकार नहीं है। कांग्रेस ने काका कालेलकर और मंडल कमीशन की रिपोर्ट को वर्षों दबाए रखा। 

कहा कि, ओबीसी को संवैधानिक दर्जा देने का काम नरेंद्र मोदी सरकार ने किया। आज केंद्रीय योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ ओबीसी को मिल रहा है।

जेपी नड्डा ने कहा कि आज जितने कांग्रेस के सांसद हैं, उससे ज्यादा भाजपा में ओबीसी के सांसद हैं। केंद्र सरकार में 27 ओबीसी मंत्री हैं। भाजपा के 85 ओबीसी सांसद हैं। 

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