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प्रियंका गांधी को कांग्रेस ने क्यों नहीं बनाया लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार ? 

प्रियंका गांधी को कांग्रेस ने क्यों नहीं बनाया लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार ? 

उत्तर प्रदेश की रायबरेली और अमेठी सीट पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा शुक्रवार की सुबह कर दी है। राहुल गांधी को रायबरेली से तो केएल शर्मा को अमेठी से पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। इस बीच यह सवाल उठ रहा है कि प्रियंका गांधी क्यों चुनाव नहीं लड़ रही हैं। 

उत्तर प्रदेश की रायबरेली और अमेठी सीट पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा शुक्रवार की सुबह कर दी है। राहुल गांधी को रायबरेली से तो केएल शर्मा को अमेठी से पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है।दोनों ने शुक्रवार को अपना नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया है। 

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर काफी दिनों से अटकलें लगाई जा रही थी। अनुमान लगाया जा रहा था कि वह रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया है। इस बीच यह सवाल उठ रहा है कि प्रियंका गांधी क्यों चुनाव नहीं लड़ रही हैं? 

उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाए जाने को लेकर राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रियंका गांधी को दो प्रमुख कारणों से कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं बनाया है। पहला तो यह कि कांग्रेस पर पहले से ही परिवारवाद का आरोप लगता रहा है। 

सोनिया गांधी पहले से ही राज्यसभा सदस्य हैं, राहुल गांधी सांसद बन जायेंगे इसकी पूरी उम्मीद है, ऐसे में अगर प्रियंका को पार्टी टिकट देती और वह भी जीत कर संसद पहुंचती तो कांग्रेस पर परिवारवाद को लेकर भाजपा का हमला तेज हो सकता था। भाजपा कह सकती थी कि एक ही परिवार के तीन-तीन सदस्य संसद में हैं। ऐसे में इस स्थिति से बचने के लिए कांग्रेस ने उन्हें किसी भी सीट से अपना उम्मीदवार नहीं बनाया है।

दूसरा कारण और सबसे बड़ा कारण यह माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी कांग्रेस की स्टर प्रचारक हैं। वह लगातार देश भर में घूम-घूम कर कांग्रेस के लिए प्रचार कर रही हैं। ऐसे में अगर उन्हें रायबरेली, अमेठी या किसी और सीट से पार्टी चुनाव में उतार देती तो चुनाव में उनकी गतिविधियां सिमट सकती थी। पार्टी उन्हें खुद की सीट पर चुनाव जीतने के दबाव से मुक्त रखना चाहती है। पार्टी चाहती है कि वह देश की ज्यादा से ज्यादा सीटों पर प्रचार कर सके इसलिए यह जरूरी है कि वह खुद चुनाव नहीं लड़ें। 

जयराम रमेश ने शतरंज की कुछ चालें बाकि है

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने और कांग्रेस की रणनीति के बारे में एक्स पर लिखा है। उन्होंने लिखा है कि राहुल गांधी जी की रायबरेली से चुनाव लड़ने की खबर पर बहुत सारे लोगों की बहुत सारी राय हैं। 

लेकिन वह राजनीति और शतरंज के  मंजे हुए खिलाड़ी हैं। और सोच समझ कर दांव चलते हैं। ऐसा निर्णय पार्टी के नेतृत्व ने बहुत विचार विमर्श करके बड़ी रणनीति के तहत लिया है। इस निर्णय से बीजेपी उनके समर्थक और चापलूस धराशायी हो गये हैं। बेचारे स्वयंभू चाणक्य जो ‘परंपरागत सीट’ की बात करते थे, उनको समझ नहीं आ रहा अब क्या करें?

उन्होंने लिखा है कि  रायबरेली सिर्फ़ सोनिया जी की नहीं, ख़ुद इंदिरा गांधी जी की सीट रही है। यह विरासत नहीं ज़िम्मेदारी है, कर्तव्य है।  

रही बात गांधी परिवार के गढ़ की, तो अमेठी-रायबरेली ही नहीं, उत्तर से दक्षिण तक पूरा देश गांधी परिवार का गढ़ है। राहुल गांधी तो तीन बार उत्तरप्रदेश से और एक बार केरल से सांसद बन गये, लेकिन मोदी जी विंध्याचल से नीचे जाकर चुनाव लड़ने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पाये?

जयराम रमेश ने लिखा है कि, एक बात और साफ़ है कि कांग्रेस परिवार लाखों कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं उनकी आकांक्षाओं का परिवार है। कांग्रेस का एक साधारण कार्यकर्ता ही बड़े बड़ों पर भारी है। कल एक मूर्धन्य पत्रकार अमेठी के किसी कार्यकर्ता से व्यंग में कह रही थी कि “आप लोगों का नंबर कब आएगा टिकट मिलने का”? लीजिए, आ गया।  कांग्रेस का एक आम कार्यकर्ता अमेठी में बीजेपी का भ्रम और दंभ दोनों तोड़ेगा।

उन्होंने इस पोस्ट में बताया है कि प्रियंका गांधी को क्यों चुनाव में नहीं उतारा गया है। लिखा है कि,  प्रियंका जी धुआंधार प्रचार कर रही हैं और अकेली नरेंद्र मोदी के हर झूठ का जवाब सच से देकर उनकी बोलती बंद कर रही हैं। इसीलिए यह ज़रूरी था कि उन्हें सिर्फ़ अपने चुनाव क्षेत्र तक सीमित ना रखा जाए। प्रियंका जी तो कोई भी उपचुनाव लड़कर सदन पहुंच जायेंगी। 

आज स्मृति ईरानी की सिर्फ़ यही पहचान है कि वो राहुल गांधी के ख़िलाफ़ अमेठी से चुनाव लड़ती हैं। अब स्मृति ईरानी से वो शोहरत भी छिन गई।

जयराम रमेश ने एक्स पर लिखी इस पोस्ट में लिखा है कि,  शतरंज की कुछ चालें बाक़ी हैं, थोड़ा इंतज़ार कीजिए। 

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