अराजनीतिक मामलों में अच्छा काम क्यों करती है सीबीआई, गोगोई ने पूछा
चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों में सीबीआई की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए हैं। गोगोई ने कहा है कि जब किसी मामले में राजनीतिक रंग नहीं होता, तो सीबीआई क्यों अच्छा काम करती है। जस्टिस गोगोई ने सलाह दी कि सीबीआई को कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (सीएजी) के समान वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए। गोगोई ने यह भी कहा कि सीबीआई को सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण से पूरी तरह अलग किया जाना चाहिए।
जस्टिस गोगोई मंगलवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में सीबीआई की ओर से आयोजित डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर कार्यक्रम में बोल रहे थे। जस्टिस गोगोई ने इस दौरान सीबीआई के कामकाज में राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप के बारे में भी बात की। गोगोई ने कहा, ‘कई हाई-प्रोफ़ाइल और संवेदनशील मामलों में सीबीआई न्यायिक जाँच के मानकों को पूरा नहीं कर पाई है। यह बात उतनी ही सच है कि इस प्रकार की खामियाँ कभी-कभार नहीं होती।’
गोगोई ने कहा कि इस तरह के उदाहरण प्रणाली के भीतर की समस्याओं को उजागर करते हैं और साथ ही संस्थागत आकांक्षाओं, संगठनात्मक संरचना, कामकाज करने के तरीक़े और सरकारी राजनीति के बीच तालमेल की बहुत ज़्यादा कमी होने की ओर इशारा करते हैं। इस दौरान सीजेआई ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा सीबीआई की सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिए दिशा-निर्देश तय किए हैं।
सीजेआई ने कहा कि आम लोगों की धारणा को देखते हुए सीबीआई को अपनी प्रतिष्ठा के बारे में भी सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि आम लोगों की धारणा और संस्थान के प्रदर्शन की गुणवत्ता के बीच कोई अंतर देश के शासन पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।
बता दें कि कुछ समय पहले सीजेआई रंजन गोगोईपर उन्हीं के दफ़्तर में जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के पद पर काम कर चुकी एक महिला ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। लेकिन मामले की जाँच के लिए बनी सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की इन हाउस कमेटी ने सीजेआई गोगोई पर लगे आरोपों को निराधार बताया था और कहा था कि उनके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिले हैं। जस्टिस गोगोई को क्लीन चिट मिलने के बाद आरोप लगाने वाली महिला ने कहा था कि उसके साथ बहुत बड़ी नाइंसाफ़ी हुई है और वह इससे बेहद निराश है। तब यह मामला ख़ासा चर्चा में रहा था।