बिहार में नामांकन शुरू, गठबंधन के नेता सीट बँटवारे में हैं उलझे हुए
बिहार में लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण के लिए नामांकन शुरू हो गया है। बावजूद इसके महागठबंधन में सीट बँटवारा अभी भी अधर में लटका है और इसके घटक दलों के शीर्ष नेता मीटिंग-दर-मीटिंग करने में ही व्यस्त हैं। इस बीच सीट बँटवारे को लेकर हो रही देरी से जनता के बीच गलत संदेश जा रहा है।
क्या है सीट बँटवारे में देरी की वजह
सीट बँटवारे में हो रही देरी की मुख्य वजह कांग्रेस को दी जाने वाली सीटें हैं। शुरुआत में काँग्रेसी 11 सीटें मिलने को लेकर आश्वस्त दिख रहे थे लेकिन लालू यादव काँग्रेस को 8 सीट से ज़्यादा सीट नहीं देने के पक्ष में हैं। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने आज हुई बैठक के बाद एक दो सीट कम होने की बात कही। हालाँकि उन्होंने इस बात को लेकर पेंच फँसे होने की बात को सिरे से ख़ारिज कर दिया।माँझी, सहनी का दर्द और उपेंद्र की मजबूरी
काँग्रेस के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम माँझी भी कम से कम तीन सीट दिये जाने पर अड़े हैं। हालाँकि पूर्व केंद्रीय मंत्री और आरएलएसपी सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा थोड़ा नरम दिख रहे हैं, लेकिन यह नरमी उनकी मजबूरी है। आज की बैठक के बाद उन्होंने सब कुछ लालू प्रसाद पर डाल दिया और कहा कि लालू जी जो ठीक समझेंगे वह करेंगे। इसके अलावा वह जो भी निर्णय लेंगे वह उनको मंज़ूर होगा।जहाँ तक मुकेश साहनी की पार्टी का सवाल है, वह दरभंगा सीट और खगड़िया सीट पर दावा ठोंक रहे हैं। कुल मिला कर देखा जाये तो महागठबंधन के लिए सीट बँटवारा किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं लग रहा है।
अब देखना यह है कि आरजेडी अपने कोटे से घटक दलों को सीट देकर एकजुटता क़ायम रख पाता है या उत्तरप्रदेश की तरह काँग्रेस से अलग चुनाव मैदान में उतरती है।
राहुल के बिल फाड़ने से मिली टीस नहीं भूले लालू!
लालू यादव काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी द्वारा संसद में भ्रष्टाचार संबंधी बिल को फाड़े जाने की घटना को शायद भूल नहीं पाये हैं। उसी वजह से ही लालू यादव चुनाव लड़ने से रह गए थे और उन्हें जेल में सजा काटनी पड़ रही है। मालूम हो कि शुक्रवार को काँग्रेस ने चुनाव संचालन समिति की बैठक के बाद यह ऐलान किया था कि रविवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके सब कुछ स्पष्ट कर दिया जाएगा। इसके साथ ही आज सोमवार का दिन भी बीतने को है, लेकिन सीट बँटवारे पर सहमति बनती नहीं दिख रही है।बता दें कि इससे पहले 14 मार्च को रिपोर्टों में दावा किया गया था कि महागठबंधन की पार्टियों के बीच सीटों के बँटवारे का फ़ॉर्मूला लगभग तय हो गया है। इसके तहत बताया गया था कि राजद कम से कम 20 और काँग्रेस 11 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। इसके बाद से ही सीटों के बँटवारे को लेकर कलह शुरू हो गई। बता दें कि दिल्ली,पटना,राँची में कई दौर के महामंथन के बाद भी सीट बँटवारे का मामला सुलझ नहीं सका है। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि गठबंधन में अभी भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।