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इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के सहयोगी दल सीट शेयरिंग पर क्यों कर रहे तकरार

इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के सहयोगी दल सीट शेयरिंग पर क्यों कर रहे तकरार

इस गठबंधन के प्रमुख दल कांग्रेस के साथ या तो सीट शेयर करने के लिए तैयार नहीं हैं या फिर कांग्रेस को कम से कम सीट देना चाहते हैं। 

इंडिया गठबंधन की चार बैठकें हो चुकी है। 19 दिसंबर को दिल्ली में हुई बैठक में भी दो दर्जन से अधिक दलों के नेता मौजूद थे। इस बैठक में भी सीट बंटवारे का कोई फार्मूला तय नहीं हो सका। 

लोकसभा चुनाव को अब जबकि 6 माह से भी कम समय बचा है और भाजपा पूरी मजबूती के साथ तैयारी कर रही है। वहीं भाजपा को रोकने के नाम पर बने इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर ही विवाद होता दिख रहा है।

इस गठबंधन के प्रमुख दल कांग्रेस के साथ या तो सीट शेयर करने के लिए तैयार नहीं हैं या फिर कांग्रेस को कम से कम सीट देना चाहते हैं। 

तृणमूल कांग्रेस ने तो साफ कह दिया है कि वह वाम दलों और कांग्रेस के साथ सीट साझा नहीं करेगी। शिवसेना 23 सीटों पर लड़ने के लिए अड़ी है। आम आदमी पार्टी कांग्रेस को पंजाब और दिल्ली में दिल बड़ा कर सीटें देगी इसकी कोई उम्मीद नहीं दिख रही। बिहार में जदयू और राजद इस बार कांग्रेस को 5 सीटें भी दे दें तो बड़ी बात मानी जाएगी।

कांग्रेस के लिए कुछ ऐसी ही मुश्किल समाजवादी पार्टी भी पैदा कर रही है। समाजवादी पार्टी कांग्रेस को 2-4 से ज्यादा सीट देना नहीं चाहती। 

इंडिया गठबंधन के अन्य दल भी जो किसी राज्य में मजबूत स्थिति में हैं वह कांग्रेस को कम से कम सीट देना चाहते हैं।

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या इंडिया गठबंधन में सीटों को लेकर चल रही यह रस्साकसी इतनी बढ़ सकती है कि गठबंधन ही टूट जाए। 

राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि इंडिया गठबंधन में भले ही कांग्रेस सबसे बड़ा दल है लेकिन पिछले दिनों हुए राज्यों के चुनाव में उसके खराब प्रदर्शन के कारण उसकी स्थिति कमजोर हुई है। इस हार के बाद विभिन्न दल अब उसे कमजोर आंक रहे हैं। 

तोल-मोल करने के मूड में हैं क्षेत्रीय दल

वहीं क्षेत्रीय विपक्षी दल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से तोल-मोल करने के मूड में हैं। ये क्षेत्रीय दल कांग्रेस पर दबाव बना कर खुद अधिक से अधिक सीट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। 

यही कारण है कि इन दलों के नेता ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे कि वह बता सके कि अपने -अपने राज्य में वही विपक्षी की बड़ी ताकत हैं। उनके बयान दबाव की रणनीति है। कांग्रेस भी इसे बखूबी समझ रही है। यही कारण है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी 14 जनवरी से भारत न्याय यात्रा पर निकल रहे हैं । उनकी यह यात्रा 14 राज्यों से होते हुए मार्च में मुंबई पहुंचेगी। 

इस यात्रा के जरिए राहुल जहां एक ओर भाजपा के खिलाफ माहौल बनाना चाहते हैं वहीं इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों पर भी दबाव बनाने की कोशिश में हैं। 

अब अगले कुछ दिनों में साफ होगा कि कांग्रेस इन सहयोगी दलों से तोल-मोल में कितना कामयाब रहती है। कांग्रेस के सामने चुनौती इसलिए भी बड़ी है कि उसे इन दलों को एकजुट भी रखना है और इनसे सम्मानजनक सीट हिस्सेदारी भी लेनी है। 

ममता ने कहा बंगाल में टीएमसी करेगी नेतृत्व 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमों ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में टीएमसी भाजपा के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करेगी। 

वह पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के देगंगा में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रही थी। उन्होंने पश्चिम  बंगाल में किसी भी पार्टी के साथ सीट बंटवारे को लेकर समझौता करने से इनकार कर दिया है। 

ममता बनर्जी ने कहा है कि विपक्षी गठबंधन पूरे देश में भाजपा का मुकाबला करेगा जबकि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) इस लड़ाई का नेतृत्व करेगी।

लोकसभा चुनाव को देखते हुए इंडिया गठबंधन के दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर तोल-मोल का दौर चल रहा है। ऐसे में ममता बनर्जी का यह बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अपने बयान से उन्होंने साफ कर दिया है कि बंगाल में वह लोकसभा चुनाव के दौरान वामदलों या कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग के लिए तैयार नहीं है।

ममता किसी भी कीमत पर टीएमसी को बंगाल में कमजोर नहीं करना चाहती। उन्हें लगता है कि इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर उन्हें सीटों का कोई खास फायदा नहीं होगा। 

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