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गजा में जंग रोकने के लिए चीन में क्यों जुटे अरब-मुस्लिम देश? 

गजा में जंग रोकने के लिए चीन में क्यों जुटे अरब-मुस्लिम देश? 

समाचार एजेंसी रायटर के मुताबिक अरब और मुस्लिम देशों के मंत्रियों ने सोमवार को चीन की  राजधानी बीजिंग से गजा में तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया है। 

अरब और मुस्लिम देश गजा में इजरायली कार्रवाई को नहीं रोक पाने के कारण अमेरिका से नाराज हैं। गजा में युद्ध रोकने के लिए उनकी ओर से कूटनीतिज्ञ प्रयास किये जा रहे हैं। उनकी इस नाराजगी का फायदा चीन उठाने की कोशिश कर रहा है। 

चीन का प्रयास है कि वह मध्य पूर्व के देशों में अमेरिका की जगह खुद को स्थापित कर ले। इसके लिए वह अरब-मुस्लिम देशों से अपनी नजदीकी बढ़ा रहा है। गजा युद्ध के कारण अमेरिका से नाराज होकर अरब-मुस्लिम देश भी चीन के करीब जाते दिख रहे हैं। 

अब खबर आयी है कि अरब-मुस्लिम देशों का एक सम्मेलन चीन की राजधानी बीजिंग में हो रहा है। 20 और 21 नवंबर को हो रहे इस सम्मेलन में कई अरब और मुस्लिम देश शामिल हो रहे हैं। इसमें गजा में युद्ध रोकने और शांति की बहाली की मांग की गई है। 

समाचार एजेंसी रायटर के मुताबिक अरब और मुस्लिम देशों के मंत्रियों ने सोमवार को गजा में तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया है। 

इन देशों के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को बीजिंग में आयोजित अरब-मुस्लिम देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में ये मांग की है। इस मौके पर कहा गया है कि फिलिस्तीनी लोगों को मानवीय सहायता पहुंचाने और इस दुश्मनी को खत्म करने की आवश्यकता है। 

सोमवार को चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी के साथ सऊदी अरब, जॉर्डन, मिस्र, इंडोनेशिया, फिलिस्तीन और इस्लामिक सहयोग संगठन समेत कई अन्य देशों के विदेश मंत्रियों और उनके प्रतिनिधियों ने बैठक की है। 

रायटर की रिपोर्ट बताती है कि अपनी मांगों को लेकर यह प्रतिनिधिमंडल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से प्रत्येक का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिकारियों से मिलने के लिए तैयार है। ये देश इजरायल के द्वारा आत्मरक्षा के नाम पर किये जा रहे कार्यों के औचित्य को अस्वीकार करने के लिए भी पश्चिम पर दबाव डाल रहे हैं।

इस सम्मेलन में सऊदी विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद ने कहा कि "हम यहां एक स्पष्ट संकेत भेजने के लिए हैं: यानी हमें तुरंत लड़ाई और हत्याएं रोकनी चाहिए, हमें तुरंत गजा में मानवीय आपूर्ति पहुंचानी चाहिए।"  इससे पहले इस महीने रियाद में काफी बड़े स्तर पर संयुक्त इस्लामिक-अरब शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसमें अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय से फिलिस्तीनी क्षेत्रों में "इजरायल द्वारा किए जा रहे युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों" की जांच करने काआग्रह इन देशों की ओर से किया गया था। 

माना जा रहा है कि इजरायल और फिलिस्तीन के बीच गजा में चल रहे युद्ध को रोकने में अब तक अरब-मुस्लिम देश नाकाम रहे हैं। उनकी लाख कोशिशों के बावजूद गजा में इजरायली कार्रवाई नहीं रुक रही है। अब इसी कड़ी में सऊदी अरब शांति लाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। इस मकसद से सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अरब और मुस्लिम नेताओं को इकट्ठा किया है। 

रायटर की रिपोर्ट कहती है, मिस्र के विदेश मंत्री समेह शौकरी ने अपने चीनी समकक्ष से कहा है कि फिलिस्तीनियों के खिलाफ हमलों को रोकने के लिए हम चीन जैसी महान शक्तियों की ओर से एक मजबूत भूमिका की आशा करते हैं। उन्होंने कहा है कि गजा पट्टी में दुर्भाग्य से, ऐसे प्रमुख देश हैं जो वर्तमान इजरायली हमलों को कवर देते हैं। उनका इशारा साफ तौर पर अमेरिका की ओर था। 

चीन ने कहा कि वह 'भाई और दोस्त' है

रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि बीजिंग "अरब और मुस्लिम देशों का एक अच्छा दोस्त और भाई है। चीन ने हमेशा फिलिस्तीनी लोगों के वैध राष्ट्रीय अधिकारों और हितों को बहाल करने के उचित कारण का दृढ़ता से समर्थन किया है। 

प्राप्त जानकारी के मुताबिक चीन के विदेश मंत्रालय ने बार-बार हमास की निंदा करना बंद कर दिया है, इसके बजाय तनाव कम करने और इजराइल और फिलिस्तीन से एक स्वतंत्र फिलिस्तीन के लिए "दो-राज्य समाधान" अपनाने का आह्वान किया है। 

चीन में लगभग तीन साल से जारी कोविड लॉकडाउन की समाप्ति के बाद से,राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगी देशों का मुकाबला करने के उद्देश्य से एक कूटनीतिक प्रयास शुरू किया है। 

बीजिंग ने मध्य पूर्व और वैश्विक दक्षिण के देशों के साथ संबंधों को मजबूत करते हुए ब्रिक्स देशों जैसे गैर-पश्चिमी नेतृत्व वाले बहुपक्षीय समूहों के साथ गठबंधन को गहरा किया है।

सोमवार को, वांग यी ने अपने एक बयान में कहा कि चीन "जितनी जल्दी हो सके गजा में लड़ाई को खत्म करने, मानवीय संकट को कम करने और फिलिस्तीनी मुद्दे के शीघ्र, व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी समाधान को बढ़ावा देने के लिए काम करेगा। 

नजदीक आ रहे हैं चीन और अरब-मुस्लिम देश

अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के जानकारों का कहना है कि चीन इन दिनों पूरी कोशिश कर रहा है कि वह अरब और मुस्लिम देशों के साथ अपने संबंधों के मधुर बनाएं। ऐसा कर के वह अमेरिका के मध्य पूर्व में प्रभुत्व को कम करना चाहता है। वहीं मुस्लिम देश मध्य पूर्व की राजनीति से अमेरिकी दखलअंदाजी को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। 

इन अरब-मुस्लिम देशों में इन दिनों अमेरिका को लेकर आम जनता में नाराजगी भी है। अरब-मुस्लिम देशों का मानना है कि गजा में इजरायली कार्रवाई अमेरिका की शह पर हो रही है और उनकी मांगों पर अमेरिका ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसे में अमेरिका के विरोधी चीन से करीब जा कर वह अमेरिका पर दबाव बनाने में सफल होंगे। 

इसके पीछे यह भी माना जा रहा है कि अगर अरब-मुस्लिम देश अमेरिका को छोड़कर चीन के ज्यादा करीब हो गये तो क्षेत्र में इससे अमेरिकी हितों को बड़ा नुकसान हो सकता है। यही कारण है कि चीन आगे बढ़ कर अरब-मुस्लिम देशों का स्वागत कर रहा है और उन्हें अपना भाई-दोस्त बता रहा है। 

ऐसा कर चीन और ये देश अमेरिका को कूटनीति के जरिये शिकस्त देने की कोशिश में हैं। इन कोशिशों का नतीजा क्या होगा यह तो आने वाला वक्त बतायेगा लेकिन इतना तो तय है कि इजरायल और हमास की बीच हुई इस जंग ने चीन को अरब-मुस्लिम देशों के करीब ला दिया है। 

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