डब्ल्यूएचओ ने चेताया- अगला कोविड वैरिएंट होगा ज़्यादा संक्रामक
ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामले कम होने पर क्या कोरोना प्रोटोकॉल की अनदेखी की जा सकती है या उसके प्रति लापरवाह हुआ जा सकता है? क्या अब कोरोना को ख़त्म होने की ओर अग्रसर माना जा सकता है? जिनके दिमाग में भी ऐसे सवाल हैं उन्हें डब्ल्यूएचओ की चेतावनी को पढ़ना चाहिए।
डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों ने चेताया है कि भले ही दुनिया ओमिक्रॉन लहर के कम होने के साथ सामान्य स्थिति में वापस आ गई है, लेकिन कोविड -19 का अगला वैरिएंट अधिक संक्रामक होगा, और शायद पहले वैरिएंट की तुलना में अधिक घातक भी। हाल ही में एक प्रेस ब्रीफिंग में डब्ल्यूएचओ के महामारीविद और कोविड-19 पर तकनीकी प्रमुख डॉ. मारिया वान केरखोव ने जोर देकर कहा कि महामारी ख़त्म नहीं हुई है और भविष्य के वैरिएंट किसी तरह से ओमिक्रॉन की तुलना में अधिक संक्रामक होंगे।
What are potential future scenarios on #COVID19 and #Omicron? WHO's Dr @mvankerkhove explains. ⬇ pic.twitter.com/joaHlgmLKi
— World Health Organization Philippines (@WHOPhilippines) February 6, 2022
डब्ल्यूएचओ की तरफ़ से मारिया वान केरखोव ने इस पर विस्तार से बताया है कि कोरोना और ओमिक्रॉन पर भविष्य में कैसी स्थिति हो सकती है।
इसी दौरान डॉ. केरखोव ने कहा, 'चिंता का अगला वैरिएंट अधिक मज़बूत होगा, और इससे हमारा तात्पर्य यह है कि यह अधिक संक्रामक होगा क्योंकि इसे वर्तमान में जो चल रहा है उससे आगे निकलना होगा। बड़ा सवाल यह है कि भविष्य के वैरिएंट कम या ज़्यादा गंभीर होंगे या नहीं?'
इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि अगला वैरिएंट अधिक आसानी से प्रतिरक्षा से बच सकता है, जिससे टीके कम प्रभावी हो सकते हैं। हालाँकि इसके साथ ही उन्होंने टीके लगवाने पर ज़्यादा जोर दिया क्योंकि यह गंभीर बीमारी और मौत से बचाता है जैसा कि ओमिक्रॉन लहर के दौरान दिखा।
बता दें कि दुनिया भर में ओमिक्रॉन वैरिएंट के बाद आई यह ताज़ा लहर धीमी पड़ गई है। जिस अमेरिका में 15 लाख से ज़्यादा मामले आने लगे थे वहाँ अब दो लाख से भी कम मामले आ रहे हैं। इंग्लैंड में 2 लाख से घटकर मामले अब 50 हज़ार से कुछ ज़्यादा आ रहे हैं। भारत में जहाँ साढ़े तीन लाख केस आने लगे थे वहाँ अब क़रीब 70 हज़ार केस आ रहे हैं। हालाँकि फ्रांस, जर्मनी और इटली जैसे कुछ देशों में संक्रमण के मामले अभी भी ज़्यादा आ रहे हैं।
ओमिक्रॉन वैरिएंट उतना घातक सिद्ध नहीं हुआ है जितना डेल्टा वैरिएंट था। डेल्टा वैरिएंट को पहली बार अक्टूबर 2020 में भारत में पता लगाया गया था। डेल्टा अल्फा वैरिएंट की तुलना में क़रीब 50 प्रतिशत तेजी से फैल रहा था। डेल्टा वैरिएंट ने भारत सहित कई देशों को तबाह कर दिया, जिससे हर रोज़ रिकॉर्ड मामले आए और रिकॉर्ड मौतें हुईं।
कुल मिलकार डब्ल्यूएचओ की ताज़ा चेतावनी का साफ़ मतलब यह है कि भले ही संक्रमण के मामले कम हो गए हों, यह ख़त्म नहीं हुआ है और इस वजह से कोरोना के प्रति लापरवाही नहीं बरती जा सकती है व कोरोना नियमों का पालन जारी रखना होगा।