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संदेह के घेरे में रूसी कोरोना टीका स्पुतनिक, डब्लूएचओ ने माँगे आँकड़े

संदेह के घेरे में रूसी कोरोना टीका स्पुतनिक, डब्लूएचओ ने माँगे आँकड़े

कोरोना टीका बनाने के रूसी दावे पर उठ रहे हैं सवाल, डब्लूएचओ ने मांगे आँकड़े। विशेषज्ञ पूछ रहे हैं कि इतने कम समय में कैसे होे गया ट्रायल?

रूस में बने कोरोना टीका स्पुतनिक को लेकर अभी से सवाल उठने शुरू हो गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने रूस से इस टीके से जुड़ी तमाम जानकारियाँ साझा करने को कहा है।

मंगलवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने टीका के सफल परीक्षण का एलान करते हुए कहा कि उनकी बेटी ने यह टीका लिया है। इसके जरिए पुतिन टीके की विश्वसनीयता पर किसी तरह का सवाल नहीं उठने देना चाहते थे।

क्यों उठ रहे हैं सवाल

पर सवाल उठ रहे हैं। इस एलान के कुछ घंटों के अंदर ही डब्लूएचओ ने कहा कि 'टीका के आँकड़ों की वह कड़ी जाँच करेगा और यह जानना चाहेगा कि दावा कितना सही है।'

प्रीक्वालिफिकेशन के बाद टीके की जाँच होगी, इसे कई कड़े परीक्षणों से गुजरना होगा, उसमें सफल होने के बाद ही डब्लूएचओ इसे टीका के रूप में मान्यता देगा। रूस के गमालेय रिसर्च इंस्टीच्यूट ने यह टीका बनाया है।

प्रीक्वालिफिकेशन ट्रायल

पर इस तरह के 165 टीके डब्लूएचओ के पास परीक्षण के लिए हैं। इनमें से 139 टीके प्रीक्लिनिकल ट्रायल की स्थिति में हैं। सिर्फ 26 टीके क्लिनिकल ट्रायल के चरण में हैं और मानव पर उनका प्रयोग कर उनकी जाँच की जा रही है।

जसरेविच ने कहा, 'हर देश की अपनी एजेंसी होती है जो टीके की जाँच करती है और उसे पास करती है।'

उन्होंने इसके आगे कहा, 'हर ज़रूरी आँकड़े की जाँच की जाएगी, हर तरह का परीक्षण किया जाएगा और उसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।'

इसके पहले अमेरिका के चोटी के स्वास्थ्य विशेषज्ञ एंथनी फ़ॉची ने कहा था कि रूस और चीन में बन रहे टीकों पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

दूसरी ओर, रूस ने अब तक सिर्फ़ पहले चरण के क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर ही टीका बनने का दावा कर दिया है। रूसी स्वास्थ्य अधिकारियों ने दावा किया कि पहले चरण का ट्रायल सफल रहा और ट्रायल में शामिल होने वाले किसी वॉलंटियर ने किसी तरह के साइड इफ़ेक्ट की शिकायत नहीं की।

ट्रायल पर संदेह

इंडियन एक्सप्रेस ने कहा है कि रूस के इस टीके के पहले चरण के लिए 76  वॉलंटियर को चुना गया था। ये सभी रूसी सेना के थे। इनमें से आधे को टीके की सूई दी गई और आधे को पानी में तरल घोल कर पिलाया गया।

दूसरे चरण का ट्रायल 13 जुलाई को शुरू हुआ। इसके बाद तीसरा चरण होता। सवाल यह है कि एक महीने से भी कम समय में दूसरा और तीसरा चरण कैसे पूरा हो गया।

अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार तीसरे चरण के ट्रायल में दसियों हज़ार मनुष्यों पर किसी दवा का प्रयोग किया जाता है।  

रूसी स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि अक्टूबर में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान शुरु किया जाएगा।

रूसी स्वास्थ्य अधिकारियों का यह भी कहना है कि यह टीका मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रम (मार्स) के लिए बने टीके से काफी मिलता जुलता है और वह सफल हो चुका है।

जॉर्जटाउन युनिवर्सिटी के लॉरेन्स गॉस्टिन ने समाचार एजेंसी एपी से कहा, 'मुझे चिंता है कि रूस सवालों से बच रहा है, यह टीका बन तो जाएगा, पर प्रभावी नहीं होगा और यह सुरक्षित भी नहीं होगा। पहले ट्रायल ठीक से किया जाना चाहिए।' 

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