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छत्तीसगढ़ में क्यों नासूर बनते जा रहे हैं नक्सली

छत्तीसगढ़ में क्यों नासूर बनते जा रहे हैं नक्सली

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को लाल गलियारे के नाम से भी जाना जाता है। जिसका प्रभाव  देश के 11 राज्‍यों तक फैला हुआ है। इन राज्यों में छत्तीसगढ़, महाराष्‍ट्र, मध्‍य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, उत्‍तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल प्रमुख रूप से शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ और नक्सली एक दूसरे के पर्यायवाची बन गए हैं। जितने हमले छत्तीसगढ़ में होते हैं, उतने कहीं नहीं। यहां सुरक्षा बलों को नक्सलियों को ठिकाने लगाने में कामयाबी भी खूब मिलती है।

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को लाल गलियारे के नाम से भी जाना जाता है। जिसका प्रभाव  देश के 11 राज्‍यों तक फैला हुआ है। इन राज्यों में छत्तीसगढ़, महाराष्‍ट्र, मध्‍य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, उत्‍तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल प्रमुख रूप से शामिल हैं। इन राज्यों में संयुक्त रुप से 90 जिलों में नक्‍सलियों का लाल गलियारा फैला हुआ है।

दंतेवाड़ा में हुए आज के हमले से पहले नक्सलियों का एक बड़ा हमला हुआ था 4 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के ही बस्‍तर जिले में। इस हमले में बीएसएफ के 4 जवानों की हत्‍या कर दी गई। उसके कुछ दिनों बाद नक्सलियों ने सुरक्षा बलों पर एक बार फिर से हमला किया। यह हमला दंतेवाड़ा में ही हुआ था। इस हमले में बीजेपी विधायक भीमा मंडावी और चार पुलिसकर्मियों की हत्‍या कर दी गई। उसी साल एक और हमला हुआ महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में 1 मई को, नक्सलियों द्वारा घात लगाकर किए गए इस हमले में 15 जवान शहीद हो गए।

इसके पहले नक्सलियों ने साल 2018 में भी एक हमला किया। यह हमला छत्‍तीसगढ़ के सुकमा जिले में सीआरपीएफ की 212वीं बटालियन के जवानों पर हुआ था। IED लगाकर किए गए इस नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 9 जवान शहीद हुए थे।

मई 2018 में छत्‍तीसगढ़ आर्म्‍ड फोर्स पर हमला किया गया जिसमें सात जवान मारे गए। इसके बाद जून 2018 में  झारखंड में नक्सलियों ने एक हमला किया, इस हमले में झारखंड जगुआर फोर्स के छह जवान मारे गए हो गए।

इसके अलावा भी 2018 में अलग-अलग राज्यों में नक्सलियों द्वारा छोटे छोटे हमले होते रहे जिसमें एक दो लोगों की जान भी गई।  

पिछले एक दशक में नक्सलियों द्वारा सबसे बड़ा हमला हुआ 25 मई 2013 को। नक्सलियों ने अपने इस हमले में कांग्रेस नेताओं को निशाना बनाया जो उस समय राज्य में परिवर्तन यात्रा निकाल रहे थे। नक्सलियों की यह कार्रवाई केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन ग्रीनहंट के विरोध में थी। उस समय केंद्र में कांग्रेसनीत यूपीए सरकार थी।

इस हमले में छत्तीसगढ़ राज्य का कांग्रेस का पूरा शीर्ष नेतृत्व खत्म हो गया। मारे गए लोगों में कांग्रेस के बडे़ नेता और केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके, विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा और नंदकुमार पटेल मारे गए। उस समय इस हमले में 25 लोग मारे गए थे।

इसके पहले नक्सलियों का बड़ा हमला हुआ 6 अप्रैल 2010 को छत्तीसगढ़ के ही दंतेवाड़ा जिले के चिंतलनार जंगलों में नक्सलियों ने सीआरपीएफ के 75 जवानों सहित 76 लोगों की हत्या कर दी।

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